जब आबादी ज्यादा बढ़ेगी तो लोग कहां रहेंगे ?

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दिल्ली, मुंबई, कलकत्ता जैसे शहरों में इतनी भीड़ है कि पांव रखने की जगह नहीं है. गांव से शहरों की ओर हो रहे पलायन और अच्छे जीवन की चाह लोगों को शहरों में खींच ला रही है. शहरों में इस बड़ी आबादी को बसाना एक बड़ी चुनौती हो गया है. मल्टीस्टोरी इमारतों बनाकर लोगों को घर मुहैया कराए जा रहा हैं. सड़कों का चौड़ा किया जा रहा है जिससे लोग आसानी से आ जा सकें. लेकिन यहां प्रश्न ये है कि कब तक ? आने वाले सालों में क्या हमारे शहर इतने तैयार हो पाएंगे की वो इतनी बड़ी आबादी का बोझ उठा सकें ? इस सवालों का जवाब सिंगापुर ने खोज लिया है.

बढ़ती आबादी और सिमटती रिहाइशी जगहों की वजह से सिंगापुर ने जमीन के नीचे शहर बसाने का फैसला किया है. सिंगापुर इसी साल अंडरग्राउंड मास्टर प्लान को लांच करने जा रहा है. “सुपरट्री” वर्टिकल गार्डन की मीनारों से लेकर फॉर्मूला वन के लिए रात में रेस करने तक सिंगापुर में कई आकर्षण है. लेकिन अब यहां एक और चीज लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र होगी. और वो होगी जमीन के नीचे खूबसूरत सिटी. सिंगापुर में करीब 56 लाख आबादी रहती है. एक अनुमान के मुताबिक 2030 में ये आबादी 69 लाख हो जाएगी. बढ़ती आबादी के लिए इस द्वीप पर जमीन की कमी होती जा रही है.

अभी सिंगापुर जमीन को रीक्लेम करके आबादी को जगह दे रहा है. लेकिन बढ़ते समंदर के स्तर को देखते हुए ये ज्यादा दिन तक कारगर नहीं होगा. इसलिए सिंगापुर में परिवहन, भंडारण और औद्योगिक सुविधाएं को जमीन के नीचे करके ऊपर की जमीन को घरों, कार्यालयों, सामुदायिक उपयोग और हरियाली के लिए इस्तेमाल करने की योजना है. अंडरग्राउंड मास्टर प्लान में डाटा सेंटर, यूटिलिटी प्लांट, बस डिपो सहित गहरी-सुरंग वाली सीवेज प्रणाली, भंडारण और पानी के तालाब भी होंगे. सिंगापुर का एक्सप्रेस-वे नेटवर्क लगभग 180 किलोमीटर का है और उसका 10 प्रतिशत जमीन के अंदर है.

अंडरग्राउंड मास्टर प्लान में 3D तकनीक का इस्तेमाल होगा, ये “वर्चुअल सिंगापुर” योजना का हिस्सा है. हालांकि दुनिया में और भी कई ऐसे इलाके हैं जहां पर भूमिगत ढांचों पर काम चल रहा है. टेस्ला के सीईओ एलन मस्क की कंपनी बोरिंग ने अमेरिका में एक करोड़ डॉलर की लागत से तकरीबन दो किलोमीटर लंबी एक भूमिगत सुरंग बनाई है. मस्क का कहना है कि वो इसकी मदद से ट्रैफिक की समस्या से निजात दिलाएंगे. उनका कहना है कि लिफ्ट की मदद से इसमें गाड़ियां जाएंगी और 150 किलोमीटर की रफ्तार से चलेंगी.

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