इंजीनियर बनना चाहते हैं तो इसे पढ़े !

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ऐसे वक्त में जब देश में बेरोजगारों की लंबी फौज खड़ी है एक खबर सामने आ रही है कि 2020 से नए इंजीनियरिंग कॉलेजों को मान्यता मिलना मुश्किल होने वाला है. मुश्कित तो छोड़िए हो ये भी सकता है कि नए संस्थानों को मान्यता मिले ही न. दरअसल केंद्र सरकार की एक विशेषज्ञ समिति ने एआईसीटीई (अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद) से सिफारिश की है कि अगले साल से नए इंजीनियरिंग कॉलेजों को मान्यता न दी जाए.

द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक सरकार ने इंजीनियरिंग कॉलेजों की वास्तविक स्थितियों के बारे में अध्ययन कर इस दिशा में बेहतरी के सुझाव देने के लिए ये विशेषज्ञ समिति बनाई थी. समिति के प्रमुख आईआईटी हैदराबाद के पूर्व अध्यक्ष बीवीआर मोहन रेड्‌डी थे. इस समिति ने दो सिफारिशें की थीं.

पहली- 2020 वे नए इंजीनियरिंग संस्थानों को मान्यता न दी जाए.
दूसरी- हर दो साल में स्थिति की समीक्षा की जाए कि नए कॉलेजों या अतिरिक्त सीटों की आवश्यकता है भी या नहीं.

समिति का कहना है कि मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, सिविल, इलेक्ट्रॉनिक्स में तो अतिरिक्त सीटों की अनुमति भी नहीं दी जानी चाहिए. समिति कि सिफारिशें ये संकेत देती हैं कि आने वाले वक्त में मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, सिविल, इलेक्ट्रॉनिक्स में इंजीनियरिंग करने वाले छात्रों को नई संभावनाएं तलाशनी होंगी. परंपरागत शाखाओं वाली सीटों का नई तकनीकी शाखाओं में विलय करने का फैसला लिया जा कता है.

बीते कई सालों से देश के इंजीनियरिंग कॉलेजों में बड़ी तादाद में सीटें लगातार खाली छूट रही हैं. 2016-17 में इन संस्थानों की लगभग 51 % सीटें खाली रह गईं. इंजीनियरिंग की परंपरागत शाखाओं में तो ये आंकड़ा 60 % से भी ज़्यादा बताया जाता है. देश में इस वक़्त लगभग 3,297 इंजीनियरिंग कॉलेज हैं. इनमें बीई/बीटेक की 15.5 लाख के आसपास सीटें उपलब्ध हैं. लेकिन आने वाले वक्त में इसमें बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है.

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