लोकसभा चुनाव: आगे-आगे देखिए होता है क्या ?
सियासत में वक्त बदलने में सिर्फ एक चुनाव का फर्क होता है. हां ये बात अलग है कि एक चुनाव जीतने के लिए लंबा वक्त लगता है और उसके लिए एक तय रणनीति के हिसाब से काम करना होता है. अभी जो विधानसभा चुनाव खत्म हुए हैं उनके नतीजों ने एक तिलिस्म तो खत्म कर दिया है कि मोदी को हराया नहीं जा सकता है. शाह के राजनीतिक चातुर्य को भी चुनौती मिली है. इसलिए लोकसभा चुनाव में क्या होगा ये जानने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों पर गौर करने की जरूरत है.
विधानसभा चुनाव के नतीजों के माएने
तेलंगाना में 2014 के चुनावों में 119 सीटों में से टीआरएस ने 63 सीटें जीती थीं और कांग्रेस 21 सीटें मिली थीं. 2018 में टीआरएस ने 88 सीटें जीती हैं और कांग्रेस ने 19 सीटें पर जीत हासिल की है. बीजेपी को पिछले चुनाव में पांच सीटें मिली थीं इस बार एक सीट मिली है.
राजस्थान में 200 विधानसभा सीटें हैं और चुनाव 199 सीटों पर हुए इसनें 99 सीटें कांग्रेस ने जीती हैं. मध्यप्रदेश में 230 सीटों में से कांग्रेस को 114 और बीजेपी को 109 सीटें मिली है.
यहां भी कांग्रेस बीएसपी, एसपी और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बना रही है. दोनों ही राज्यो में कांग्रेस ने सरकार बनाई है. पांच राज्यों में हुए चुनावों में से चार राज्यों ने अपने यहां सरकार को बदलने के लिए वोट किया. अब सवाल ये है कि क्या ये फैक्टर लोकसभा चुनाव में भी असर करेगा. यानी जहां बीजेपी की सरकार थी वहां पर जनता ने उसे हटाने के लिए वोट किया.
2013 के नतीजों के हिसाब से देखें तो ये कांग्रेस के लिए बड़ी जीत है. 2013 में राजस्थान में कांग्रेस को मात्र 21 सीटें मिली थीं इस बार 99 सीटें मिली हैं. 33 प्रतिशत वोट मिले थे इस बार 39 प्रतिशत मिले हैं.
हां ये बात अलग है कि उसके हाथ से मिजोरम निकल गया. लेकिन तीन राज्यों की जीत ने इसकी भरपाई कर दी है. यहां 10 सालों की कांग्रेस सरकार को लोगों ने हटाकर मिज़ो नेशनल फ्रंट को 40 में से 26 सीटों पर जिताया. कांग्रेस को यहां सिर्फ पांच सीटों पर जीत मिली लेकिन वोट 30 प्रतिशत मिले.
तो क्या हवा का रुख बदल रहा है ?
अब अगर विधानसभा चुनावों के नतीजों को देखें तो यही लगता है क्योंकि कांग्रेस का सभी जगह पर वोट प्रतिशत बढ़ा है. राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी के विरोध में जो वोट पड़े हैं वो ये साबित करते हैं कि बीजेपी के विरोध में जो वोट पड़ा उसने कांग्रेस को मजबूत किया है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही किसानों से किए गए वादों की. कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में जो वादे किए वो किसानों को लुभाने के लिए काफी थे. अगर कांग्रेस इस हवा को बनाए सरकार पाती है और इन चुनावों की तरह किसानों को अपने पाले में लाने में कामयाब रह पाती है तो कांग्रेस के लिए अच्छा होगा और रामा क्या करेंगे और अंदाजा लगा सकते हैं.