हनुमान की जाति जानकर नेताओं को क्या मिलेगा!
वाराणसी: सियासत में जाति का गठजोड़ जरूरी होता है ये तो पता था लेकिन भगवान की जाति को लेकर सियासत इतनी दीवानी हो जाएगी ये तब पता चला जब यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने राजस्थान के अलवर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा.
‘बजरंगबली ऐसे देवता हैं जो स्वयं वनवासी, निर्वासी, दलित, वंचित हैं. बजरंगबली भारतीय समुदाय को उत्तर से लेकर दक्षिण, पूरबसे लेकर पश्चिम तक सबको जोड़ने का काम करते हैं.’
योगी का ये बयान आया तो दलित संगठनों ने हनुमान मंदिरों की कमान अपने हाथ में लेने के लिए प्रदर्शन किए और बहराइच से बीजेपी सांसद सावित्री वाई फुडे ने जब बीजेपी से इस्तीफा दिया तो कहा
‘हनुमान दलित थे और मनुवादियों के गुलाम थे. अगरलोग कहते हैं कि भगवान राम हैं और उनका बेड़ा पार कराने का काम हनुमान जी ने कियाथा. उनमें अगर शक्ति थी तो जिन लोगों ने उनका बेड़ा पार कराने का काम किया, उन्हें बंदर क्यों बना दिया? उनको तो इंसान बनाना चाहिये था’
अब नौबत यहां तक आ गई है कि हनुमान का जाति प्रमाणपत्र हासिल करने के लिए उत्तरप्रदेश के वाराणसी में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी की युवजन सभा ने आवेदन किया है.
फॉर्म में हनुमान से जुड़ी तमाम जानकारियां भी दी गई हैं. हनुमान के पिता का नाम महाराजकेशरी और माता का नाम अंजनी देवी लिखा है. हनुमान का स्थायी पता वाराणसी का संकटमोचन मंदिर लिखा गया है तो वहीं जाति प्रमाण पत्र हासिल करने की वजह को हनुमान के लिए आरक्षण का लाभ प्राप्त करना बताया गया है. पीएसपी युवजन सभा के जिला अध्यक्ष हरीश मिश्रा ने कहा कि
‘बीजेपीकी तरफ से जिस तरह देवताओं को राजनीति में घसीटा जा रहा है उसके विरोधस्वरूप यहकदम उठाया गया है. बीजेपी पहले से ही भगवान राम को लेकर राजनीति कर रही है और अबउसने हनुमान को भी इसमें शामिल कर लिया है. अगर हनुमान दलित हैं तो योगी आदित्यनाथके नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार को उनका जाति प्रमाण पत्र जारी करना चाहिए’
अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंद कुमार साय ने हनुमान के दलित के बजाय अनुसूचित जनजातिसे संबंधित होने की बात कही थी. उनका तर्क था
‘जनजातियों में हनुमान एक गोत्र होता है इसलिएहनुमान को जनजाति वर्ग का माना जाना चाहिए.’
मानव संसाधन राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने हनुमान को आर्य बताया था. उनका कहना था
‘भगवान राम और हनुमान के युग में जाति व्यवस्थानहीं थी इसलिए हनुमान जी आर्य थे.’