कविता: हमारी देह पर तुम्हारा पौरुष जागता है
|| हमारी देह पर तुम्हारा पौरुष जागता है || तुम डरते होहमारी सत्ता तुम्हें डराती है हमारी देह पर तुम्हारा...
|| हमारी देह पर तुम्हारा पौरुष जागता है || तुम डरते होहमारी सत्ता तुम्हें डराती है हमारी देह पर तुम्हारा...