#TheCandidates: ‘हम गरीब विरोधी और विकास विरोधी राजनीति को उखाड़ फेंकेंगे’
‘कोरोना से एक चीज उभर कर आई है कि, दो तरह के भारत हैं. एक जो बीजेपी ने बनाया है अमीरों का भारत जो बहुत ज्यादा अमीर हैं. और दूसरा गरीबों का भारत. जो लोग हवाई चप्पल में गरीबों को हवाई यात्रा कराने की बात करते थे. वो आज गरीबों के पैरों में पड़े हुए छाले नहीं देख रहे हैं.’
The Candidates: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के सबसे मजबूत और जमीनी नेताओं में शामिल अतुल प्रधान कोरोना काल में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को ना सिर्फ अमीरों की सरकार बताते हैं बल्कि साथ में ये भी जोड़ते हैं कि ‘हम इस गरीब विरोधी और विकास विरोधी राजनीति को उखाड़ फेंकेंगे.’ सरधना से 2 बार विधानसभा का चुनाव लड़ चुके अतुल प्रधान राजनीति में करीब 18 साल पहले आए. ये वो वक्त था जब अखिलेश यादव अपने पिता की विरासत को संभालने की तैयारी कर रहे थे और उत्तर प्रदेश में समाजवादी झंडे के तले युवा जुट रहे थे. अतुल प्रधान ने छात्र राजनीति से शुरुआत की. बाद में अखिलेश यादव से प्रभावित होकर उन्होंने समाजवाद का परचम थामा. आज वो पश्चिमी यूपी में समाजवादी पार्टी का मजबूत स्तंभ माने जाते हैं. कोरोना काल में गरीबों, वंचितों और जरूरतमंदों की सेवा में लगे अतुल प्रधान को शासन और प्रशासन से शिकायत है कि उनके ऊपर गरीबों की सेवा करने के लिए भी 4 मुकदमें लगाए गए हैं.
1- आप रोजाना सैकड़ों लोगों को राशन बांट रहे हैं. मौजूदा परिस्थियों पर क्या कहना चांहेंगे.?
मैं मेरठ की बात करना चाहता हूं. पूरे वेस्ट यूपी में मेडिकल की सारी सुविधाएं मेरठ में ही हैं. दिल्ली के बाद मेरठ ही है जहां लोग सबसे ज्यादा इलाज कराने जाते हैं. लेकिन पूर्व में यानी 2012 से भी पहले मेडिकल क्षेत्र में जिस तरह का काम होना चाहिए था उस तरह का काम नहीं हुआ. हमारे यहां पर बीते 25 साल में स्वास्थ्य सेवाओं का निजीकरण कर दिया गया. जिसमें मनमर्जी से लोगों से पैसा वसूला जाता है. जिससे संपन्न लोग तो इलाज करा लेते हैं लेकिन आम गरीब आदमी परेशान हैं. कई लोग हमसे संपर्क करते हैं और कहते हैं कि अस्पताल वाले ज्यादा पैसा ले रहे हैं कम करा दीजिए. तो हम अस्पताल या सीएमओ से बात करके पैसा कुछ कम करा देते हैं. इससे लोगों से जुड़ाव होता है. सरकारी अस्पतालों की बात करें तो सपा सरकार ने पर्चे की कीमत एक रुपये की थी लेकिन मौजूदा सरकार ने अस्पतालों का वार्षिक बजट घटाया है. बीते तीन सालों में मेडिकल स्टाफ भी ऑउटसोर्सिंग से रखे जाते हैं.
2- कोरोना वायरस से आपका इलाका कितना प्रभावित हुआ है क्या गरीबों को मदद मिल रही है?
देखिए ! कोरोना से एक चीज उभर कर आई है कि दो तरह के भारत हैं. एक जो बीजेपी ने बनाया है अमीरों का भारत जो बहुत ज्यादा अमीर हैं. जो लोग हवाई चप्पल में गरीबों को हवाई यात्रा कराने की बात करते थे. वो आज गरीबों के पैरों में पड़े हुए छाले नहीं देख रहे. प्रवासी मजदूरों और गरीबों की हालत 40 से 45 दिनों में बिगड़ चुकी है. मौजूदा सत्ता ने हर तरह से गरीब जनता को कुचलने का काम किया है. देश ये देख रहा है. इन्होंने लेबर रिफॉर्म के नाम पर जो मजदूरों के अधिकार कम किए हैं ये भूखे आदमी को और भूखा रखने का काम करेंगे. इस कदम से इनका गरीब विरोध चेहरा दिखाई दे रहा है. हम सरकार का ये रूख जनता तक पहुंचा रहे हैं और जनता इस बात को समझ रही है. इस सरकार ने एक वर्ग को भ्रमित कर रखा है. इस भ्रम को फैलाने में इलेक्ट्रानिक मीडिया और प्रिंट मीडिया का बहुत बड़ा हाथ है. ऐसे में हम सोशल मीडिया को धन्यवाद देना चाहते हैं जिससे कुछ सच्चाईयां लोगों के सामने तक पहुंच रही हैं. इनकी पकड़ कितनी भी हो लेकिन ये सच्चाई को बाहर आने से नहीं रोक पा रहे हैं. ये उन तस्वीरों को नहीं रोक पा रहे हैं जो लॉकडाउन की त्रासदी बयां करती हैं.
3- आपको किस चीज ने लॉकडाउन के दौरान गरीबों की मदद करने के लिए प्रेरित किया ?
जब 23 मार्च को लॉकडाउन शुरु हुआ तो तुरंत पलायन शुरु हो गया. ये पलायन दिल्ली से लखनऊ वाले हाइवे पर देखा जा सकता था. उस पर जब मैं गया वहां पर मैंने देखा की लोग रोते बिलखते जा रहे हैं. लोग बहुत दिक्कत में थे. उसी दौरान एक व्यक्ति अपने दो छोटे बच्चों और अपनी पत्नी के साथ घर जा रहा था. उस परिवार को संम्भल के पास जाना था. एक बच्चा महिला के गोद में था और एक 4 साल का था चारों चलते चले जा रहे थे. और चारों रो रहे थे. हम तो राशन बांट रहे थे लेकिन वो लोग रोते जा रहे थे. तो उन लोगों को गाड़ी में बैठाकर जहां तक हो सका वहां तक छोड़ दिया. उनकी मदद की. राष्ट्रीय अध्यक्ष ने भी आवाहन किया. और फिर मैंने धनाड्य लोगों से संपर्क करके पैसे जुटाए और पिछले 40 दिन से लगातार हम 40 से 50 कुंवटल राशन रोज बांटते हैं. इसमें हमने कोशिश की है कि गरीब के हाथ तक राशन पहुंचे. हमें ये लगता है अगर कोई कहे कि ये राजनीति है तो अच्छा काम करना कौन सी राजनीति है. मैंने कई बार राशन बांटने के लिए परमीशन मांगी लेकिन अनुमति नहीं दी. अधिकारी झूठे हैं. सरकार को खुश करने में लगे हैं. इतनी ज्यादा खराब हालत है कि 24-24 घंटे मेडिकल कॉलेड में बेड पर लाशें पड़ी रही हैं. कोई उनको उठाना तो दूर चादर डालने वाला भी नहीं मिला. हम किसी भी सूरत में अपने काम से पीछे नहीं हट सकते. कहीं अगर कोई मदद मांगता है तो मैं उसकी मदद करूंगा. चांहे जो हो जाए. और हम मुकदमों से नहीं डरते.
4- राजनीति में क्यों आए ?
चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से राजनीति की शुरुआत हुई. पहले मैं पुलिस में जाना चाहता था. पढ़ाई के दौरान ही आंदोलनों से जुड़ गए. हमारी यूनिवर्सिटी 9 जिलों को प्रभावित करती थी. वहीं पर लोगों से मेलजोल बढ़ा. पहले मैं छात्रों की समस्याओं को लेकर आंदोलन करता था. उसी दौरान माननीय अखिलेश यादव से मुलाकात हुई. उस वक्त अखिलेश जी सांसद बने थे. ये बात 2004 की है. मुलाकात के बाद अखिलेश जी से जुड़ाव हो गया. जब 2007 में सपा की सरकार हटी तब भी हम मेडिकल सुविधाओं के लिए आंदोलन करते रहे. और यहीं से राजनीति शुरु हो गई.
5- समाजवाद से जुड़कर राजनीति क्यों शुरु की कोई खास वजह या फिर ये इत्तेफाक था ?
जब छात्र राजनीति की शुरुआत की तब कुछ साफ नहीं था. लेकिन जब इत्तेफाकन अखिलेश यादव जी से मुलाकात की तो हम उनसे काफी प्रभावित हुए. अखिलेश जी का लोगों से मिलना, लोगों के प्रति उनके नजरिए ने हमें प्रभावित किया. उससे पहले 2-3 साल छात्र राजनीति में भी हम थे और किसी भी गलत के खिलाफ हम मुखर होकर विरोध और आंदोलन करते थे.
6- अखिलेश यादव के करीबी हैं. संगीत सोम से लड़ कर रहे हैं? आप पर मुकदमें भी किए गए हैं.? क्या आपको डराने या दबाने के लिए केस किए गए और क्या वेस्ट यूपी में सपा के लिए संभावनाएं हैं?
बीजेपी विकास की राजनीति नहीं करती. गरीबों और किसानों के प्रति हमदर्दी की राजनीति बीजेपी की नहीं है. वो ‘फूट डालो और राज करो’ वाली नीति पर काम करते हैं. अगर वेस्ट यूपी की बात करें तो यहां गन्ना किसान की बात आती है. वेस्ट यूपी अकेला 25 से 30 हजार करोड़ का व्यापार किसानों के जरिए देता है. यहां गन्ना किसान खुशहाल रहता है तो सभी खुश रहते हैं. इस सरकार ने गन्ना किसानों के लिए कुछ नहीं किया. इस सरकार ने वादा किया था कि हम 14 दिनों के भीतर पेंमेट करेंगे और नहीं कर पाए तो ब्याज सहित पैसा देंगें. लेकिन बीजेपी सरकार सिर्फ हिंदू मुसलमान का विवाद पैदा करती है. बीजेपी वाले लोगों के जेहन में ये डाल रहे हैं कि मुसलमानों से हिंदुओं की रक्षा हम कर सकते हैं.
7- तो आप जैसे युवा नेताओं ने क्या किया? आप जब मुखरता से खड़े हैं तो क्यों आप अपनी बात नहीं पहुंचा पा रहे हैं?
दरअसल इन लोगों ने कास्ट बेस तैयार किया. अगर आप मेरठ के हिसाब से देखें तो मेरठ में शहर सीट सपा के पास है. दक्षिण में दूसरे नंबर पर है. पिथौड़ में दूसरे नंबर पर हैं, हस्तिनापुर में दूसरे नंबर पर रहे हैं. सरधना में भी दूसरे नंबर पर मैं खुद दूसरे नंबर पर रहा हूं. मात्र 11 हजार वोट और मिल जाते तो मैं जीत जाता. सिर्फ मेरठ कैंट ऐसी सीट है जो अगल तरह के समीकरण वाली है. जहां हम तीसरे नंबर पर हैं. तो पूरे वेस्ट यूपी में हमने बीजेपी को टक्कर दी है. हां, ये बात और है कि इसमें बीजेपी जीती. हमारा और बीजेपी का आमने-सामने का मुकाबला है. हम ही बीजेपी को यहां हराएंगे.
8- संगीत सोम को आप किस तरह का प्रतिद्वंदी मानते हैं?
देखिए! संगीत सोम के पास विकास का एजेंडा नहीं है. उनका लोगों के प्रति कोई भावनात्मक लगाव नहीं है. वो पिछले 40 दिन से घर में दुबके बैठे हैं कोरोना के डर से. मैं एक बात कहना चाहता हूं. मैं उस क्षेत्र से 2012 और 2017 में चुनाव लड़ा हूं और दोनों चुनाव में दूसरे नंबर पर रहा हूं. और 2012 से 2017 के बीच में जो काम मैंने कराए हैं अगर विधायक उनकी मरम्मत भी करा दें तो मैं बहुत जानूं. यहां समीकरण बहुत माएने रखता है. 2017 में कुछ पारिवारिक और आपसी कलह की वजह से मेरा टिकट कट गया था. और चुनाव के समय पर डेढ़ महीने तक मेरा टिकट कटा रहा उससे हमें ही नहीं बल्कि पूरी पार्टी को नुकसान हुआ. टिकट कटने की वजह से हम जो फाइट कर रहे थे उसकी वजह से समीकरण बिगड़ गया.
9- अपने बारे में कुछ बताइए?
मैं सरधना के महौना तहसील के गड़ीहना गांव का रहने वाला हूं. मैं हमेशा कर्म पर विश्वास रखने वाला आदमी हूं. बहुत मुश्किल हालातों से निकलकर यहां तक आया हूं. जब मैं बहुत छोटा था हमारे मां-बाप नहीं रहे. हमारे दादा-दादी भी कोई घर में नहीं थे. मैं और मेरी दो बहनें थीं बाद में मेरी शादी हो गई. मैं चांहे छात्रसभा का अक्ष्यक्ष रहा हूं, चाहें मेरी पत्नी मेरठ की जिला पंचायत अध्यक्ष रही हों, चाहें मैं दो बार एमएलए का चुनाव लड़ा हूं. इन सब चीजों में मैंने अपना काम किया है और पार्टी ने उसकी सराहना की है. हमने अपनी जमीन तैयार की है और माननीय अखिलेश यादव जी ने उसमें हमें आगे बढ़ाया है. जब मेरे ऊपर केस लगते हैं या फिर मैं लॉकडाउन में राशन बांट रहा हूं परिवार बहुत चिंतिंत रहता है. कोरोना काल में लोगों की सेवा का काम हो या फिर राजनीति में जेल जाना. मैं आपको बता दूं कि मैं करीब 9 बार जेल गया हूं. सरकार भी अलग-अलग तरह हरैस करती है. मुकदमें भी लगते हैं. इन सब बातों से परिवार चिंतित रहता है. जब आप सरकार के खिलाफ आवाज मुखर करते हैं तो सरकार को पीड़ा होती है और वो हमपर वार करती है. लेकिन मैं उससे घबराता नहीं हूं. मैंने अपने परिवार का माइंड मेकअप कर रहा है. कि यही मेरा जीवन है. मेरे परिवार ने स्वीकार कर लिया है ये मेरा हिस्सा है. लेकिन परिवार को दुख तो होता ही है. मैं 17-18 साल से ऐसे ही लोगों के बीच जाकर उनकी सेवा कर रहा हूं. मेरा ये रूटीन का काम है. मैं 18 साल का था तब से राजनीति कर रहा हूं. 12वीं पास करके मैं राजनीति में आ गया था.
10- 2022 में क्या उम्मीद है जमीन पर कैसे तैयारी है आपकी ?
जो दबे, कुचले, वंचित तबके से आते हैं और बहुत तेजी से समाजवादी पार्टी की ओर आ रहे हैं. और जैसा मैंने दो भारत की बात की बात की तो पैसेवाला भारत भाजपा का है वो उन्हीं के लिए काम करने वाली सरकार है. औऱ जो दबे-कुचले लोग हैं वो समाजवादी पार्टी की से जुड़ रहे हैं. हम लोग गरीबों के लिए काम करने जा रहे हैं. हम उन्हीं के लिए बेहतर इंफ्रा देने का काम करेंगे.
11- आपके राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर आरोप लगता है कि वो विपक्ष की भूमिका सही ढ़ंग से नहीं निभा पा रहे हैं ?
बीजेपी के पास विषय बदलने की ताकत है. विषय बदलने की ताकत हमारे पास इसलिए नहीं है. क्योंकि मुख्यधारा की मीडिया में विपक्ष को लगातार इग्नोर किया गया है. सपा यूपी में हर मौके पर मुखर होकर विरोध करती है. यही कारण है कि सपा वालों पर लाखों मुकदमे दर्ज हैं. ये इसलिए हैं क्योंकि बीजेपी को लग रहा हैं उनकी नींव खिसक रही है. योगी के पास नाकामियों के अलावा बताने के लिए कुछ नहीं है. उनके पास किसी भी विषय पर एक भी योजना है ही नहीं. जहां तक यूथ की बात है. तो 2019 तक बीजेपी ने युवाओं को बरगलाया है. लेकिन ये युवा बीजेपी के बहकावे में नहीं आएंगे. आप देखिए, नीचता की पराकाष्ठा ये है 151 करोड़ रुपये आप रेलवे से दान में लेते हैं ‘पीएम केयर्स’ में, और फिर मजदूरों से पैसा भी वसूलते हैं किराए का. लोग रास्तों पर पैदल चले जा रहे हैं.
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12- समाजवादी पार्टी में कैसा परिवर्तन चाहते हैं ?
पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं का ध्यान रखा. मेरा लोगों से भावानात्मक जुड़ाव है. मेरा फोकस रहा है कि संगठन में रचात्मक बनाया जाए. आईटी सेल में अभी और काम करने की जरूरत है. राष्ट्रीय अध्यक्ष के दिशानिर्देश नीचे तक नहीं पहुंच पाते हैं. मेरा मानना है कि सरकार में रहते हुए जिन लोगों ने महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं जिन्हें ओहदे दिए गए. उन लोगों ने सरकार ने जाने के बाद ग्राउंड में काम नहीं किया. उनकी भूमिका जमीनी स्तर पर कम है. मैं राष्ट्रीय अध्यक्ष जी से कह चुका हूं कि ऐसे समय में उन लोगों को काम करना चाहिए. जिन्होंने सत्ता का सुख लिया और विपक्ष में ऐसे लोगों ने पार्टी के लिए काम नहीं किया. और जब सरकार बने तो हमें काम करने वालों को प्राथमिकता देनी चाहिए.
ये रिपोर्ट #TheCandidates सिरीज़ का हिस्सा है. #TheCandidates की रिपोर्ट के ज़रिए हमारी कोशिश उन युवाओं के जीवन में झांकने की है जिन्होंने समाज की सेवा करने के लिए राजनीति करने का फैसला किया, जब राजनीति चंद नेताओं की चकाचौंध में सिमट गई है तब जमीन पर काम करने वाले नेता क्या कर रहे हैं .
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