मोदी जी बैंक मर रहे हैं, आप लोन देने की बात कर रहे हैं
PM मोदी के सत्ता में आने के बाद बैड लोन (NPA) का बहुत बड़ा बोझ बैंकिंग सेक्टर पर है. सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत ये जानकारी मिली है. लगभग सभी बैंक बुरे दौर में हैं.
कोटा के आरटीआई कार्यकर्ता सुजीत स्वामी के आवेदन पर मिले जवाब के अनुसार, बैंक ऑफ बड़ौदा का एनपीए मार्च 2014 के अंत में 11,876 करोड़ रुपये था, जो दिसंबर 2019 के अंत में बढ़कर 73,140 करोड़ रुपये हो गया है. इस दौरान इसके एनपीए खातों की संख्या 2,08,035 से बढ़कर 6,17,306 हो गई है.
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सिर्फ एक बैंक ही नहीं बल्कि बाकी सेक्टर भी बहुत बुरे दौर से गुजर रहा है. बैड लोन (NPA) का बहुत बड़ा बोझ इस सेक्टर पर है. सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में सामने आया है कि बैंक ऑफ बड़ौदा में एनपीए पिछले छह साल में छह गुना से अधिक बढ़कर 73,140 करोड़ रुपये हो गया है.
इंडियन बैंक का एनपीए चार गुना बढ़कर 32,561.26 करोड़ रुपये हो गया है. आरटीआई दाखिल करने वाले ने भारतीय स्टेट बैंक और पंजाब नेशनल बैंक से भी ये जानकारियां मांगी हैं, लेकिन इन्होंने अभी तक डेटा नहीं दिया है.
बैंक ऑफ बड़ौदा ने एक अप्रैल 2018 से 29 फरवरी 2020 के दौरान एसएमएस अलर्ट शुल्क के माध्यम से 107.7 करोड़ रुपये एकत्र किये. इसी अवधि के दौरान इंडियन बैंक ने एसएमएस सेवा शुल्क के माध्यम से लगभग 21 करोड़ रुपये एकत्र किये.
इंडियन बैंक का NPA
इंडियन बैंक का एनपीए 31 मार्च 2014 को 8,068.05 करोड़ रुपये था? जो बढ़कर 31 मार्च 2020 तक 32,561.26 करोड़ रुपये हो गया. इस दौरान एनपीए खातों की संख्या 2,48,921 से बढ़कर 5,64,816 पर पहुंच गई. आरटीआई से पता चला है कि बैंकों ने एसएमएस अलर्ट सेवा शुल्क, न्यूनतम शेष शुल्क, लॉकर शुल्क, डेबिट-क्रेडिट कार्ड सेवा शुल्क, बाह्य, आवक, खाता बही के प्रभार से बड़ी राशि अर्जित की है. बैंकों का ये एनपीए मोदी जी के सत्ता में आने के बाद बढ़ा है.
क्या बैंक लोन देंगे?
कोरोना काल में सरकार कह रही है कि वो अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए लोगों को लोन दिलवाएगी. लेकिन अगर इस तरह से लोन बढ़ता रहा हो फिर क्या होगा? क्या बैंक लोन देंगे? ये ज़रूरी सवाल है