‘अब चिल्लाए होत का, जब योगी सरकार चुग गई खेत’

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This policy of Yogi government ruined the farmers

‘क्या दो हजार रुपये में मोदी जी अपना घर चला सकते हैं जिसके पास तीन बीघा गेंहू है और उसे भी छुट्टा गाय खा जाएंगी तो वो क्या खाएगा पूरे साल. कोई बताएगा हमें मोदी जी बताएंगे या योगी जी’

फर्रुखाबाद जिले के शमशाबाद ब्लॉक में है नगलानान गांव, इस गांव में किसान छुट्टा गोवंश से परेशान हैं. आप जब गांव में घुसेंगे तो खतों में दर्जनों की संख्या में आवारा गाय और सांड़ गेंहू के खतों में चरते हुए मिलेंगे. नगलानान और आस पास के दर्जनों गांव में छुट्टा गोवंश ने फसलों को तबाह कर दिया है.

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किसान को बेमौसम बारिश और ओले ही नहीं बल्कि गोवंश ने भी काफी नुकसान पहुंचाया है. नगलानान में रहने वाले युवा किसान अनुज कुमार कहते हैं ‘गायों को खेतों से भगाभगाकर थक गए हैं. रुपये देकर गायों को पास के ही असगरपुर गांव में बनी गोशाला में छोड़कर आते हैं लेकिन दो तीन दिन बाद ये गाय फिर से खेतों में चरने आ जाती हैं.’

अनुज की गेंहू और सरसों की फसल गायों ने पूरी तरह से बर्बाद कर दी है. हालात ये है कि 70 बीघा खेत के मालिक अनुज के कई बीघा गेंहू छुट्टा गोवंश ने चर लिए हैं लेकिन इनकी सुनवाई करने वाला कोई नहीं है. अनुज कहते हैं कि “गोशाला में भी सिफारिश चलती है वहां गायों को तब लिया जाता है जब आप पांस सौ रुपए देकर पर्ची करवाएं और सिफारिश लगवाएं. गांव में गायों का खौफ इतना है लोग रात-रात भऱ खेतों में पड़े रहते हैं. फिर भी फसल नहीं बचा पाते’ नगलानाग गांव में रहने वाले किसान विकास चतुर्वेदी बताते हैं कि उन्होंने आठ बीघा गन्ने की फसल बोई थी लेकिन पूरी फसल गाय और साड़ों ने चर ली उन्हें उसमें दूसरी फसल करनी पड़ी.

विकास ये भी कहते हैं ‘गाय माता-पिता कुछ नहीं है यहां खाने के लाले पड़े हैं और जब खाने के दाने घर में ही नहीं होंगे तो गाय की पूजा करके क्या करेंगे?’ उन्होंने बताया कि ‘गोशालाओं का बुरा हाल है पहले तो गोशाला वाले गाय लेते नहीं हैं और अगर लेते हैं तो उसके लिए भी हजार रुपये प्रति मवेशी देने पड़ते हैं’ इस इलाके में गायों का खौफ इतना ज्यादा है कि बच्चे स्कूल जाने से डरते हैं. गांव वाले कहते हैं कि गांव के प्राइमरी स्कूल की दीवार छुट्टा गायों और सांड़ों ने गिरा दी और एक बच्चे की टांग भी तोड़ दी. विकास बताते हैं कि 2 सालों से आवारा गोवंश का खौफ बढ़ गया है सपा सरकार में ऐसा नहीं था.

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यहां के लोगों का कहना है कि गाय को बचाना ठीक है लेकिन अमेरिकन और जर्सी गायों का कटान बंद करके सरकार ने संकट बढ़ा दिया है. गांव वाले कहते हैं कि अगर किसानों को सरकार राहत देना चाहती है तो उसे कोई ऐसी नीति बनानी पड़ेगी जिससे कटान शुरु हो. गांव वाले कहते हैं कि देसी गायों का कटान ना किया जाए लेकिन जर्सी गायों का कटान शुरु किया जाए क्योंकि हालात बहुत ज्यादा खराब हो गए हैं. और नुकसान 50 फीसदी से ज्यादा का है.

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