फिनलैंड: दुनिया की सबसे युवा PM से क्या सीख सकता है भारत ?
फिनलैंड का जिक्र जब भी होता है तो वहां के एजुकेशन सिस्टम की बात होती है. फिनलैंड में शिक्षा पद्धति सबसे उम्दा है और इसकी तारीफ पूरी दुनिया में होती है. लेकिन आजकल इस देश का जिक्र इसकी नई प्रधानमंत्री सना मारिन की वजह से हो रहा है. सना दुनिया की सबसे युवा राष्ट्राध्यक्ष बन गई हैं.
सना मारिन को फिनलैंड की नई प्रधानमंत्री चुना गया है. उनकी उम्र सिर्फ 34 साल है और वो पिछले करीब 12 साल से राजनीति में हैं. अपने 12 साल के राजनीतिक करियर में सना ने पहले चुनाव में हार से लेकर देश के सर्वोच्च पद तक का सफर तय किया है. भारत में जब राजनीति पकाऊ और उबाऊ हो गई है तब फिनलैंड की राजनीति नए संकेत देती है. सना नई सोच और नए जोश के साथ देश को चलाना चाहती है और उन्होंने पीएम की कुर्सी संभालते ही देश से बेरोजगारी खत्म करने की बात कही है.
सना मारिन के मुताबिक उनका बचपन मुश्किलों से भरा रहा. वे समलैंगिक (लेस्बियन) अभिभावकों की इकलौती संतान हैं. बचपन में ही उनकी मांओं का अलगाव हो गया और यहीं से तकलीफों की शुरुआत हुई.
युवाओं के लिए फिक्रमंद हैं सना
सना की माओं का अलग होना उनके लिए काफी तकलीफदेय था. क्योंकि उसके बाद मारिन हेलसिंकी से पर्कला शहर आ गईं. उन्हें जेब खर्च और पढ़ाई के लिए नौकरी करनी पड़ी. सना ने पीएम बनने के बाद बताया है कि उन्होंने पहली नौकरी 15 साल की उम्र में टैम्पीर शहर की एक बेकरी कंपनी में की. हाईस्कूल में पहुंचीं तो मैगजीन भी बांटीं. ग्रैजुएशन के बाद कुछ साल दुकानों में बतौर कैशियर काम किया. टैम्पीर यूनिवर्सिटी में एडमिनिस्ट्रेटिव साइंस की पढ़ाई के दौरान उन्होंने सिटी यूथ ऑफिस में और सेल्समैन के तौर पर भी काम भी किया.
सना की नई कैबिनेट में मंत्रियों के औसत उम्र 33 साल है. जो बेहद दिलचस्प है. सना के मुताबिक बेरोजगार युवाओं को हमेशा कोई अस्थायी काम मिलना चाहिए. इससे युवाओं का समाज और खुद पर भरोसा बढ़ता है. उन्होंने कभी अपने लिए स्टूडेंट लोन नहीं लिया, क्योंकि उन्हें इस बात का भरोसा नहीं था कि वो इसे चुका पाएंगी. इतना ही नहीं सना कहती है कि वो हफ्ते में चार दिन काम करना या करवाना चाहती हैं.
युवा महिलाओं के हाथ में देश की कमान
सना इस साल सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी के 120 साल पूरे होने पर परिवहन और संचार मंत्री के तौर पर पैनल डिस्कशन में हिस्सा लिया था इसमें उन्होंने कहा था, “हफ्ते में चार दिन और हर दिन छह घंटे काम होना चाहिए. यही दुनिया में अगला ट्रेंड होगा” मारिन ने अपनी पार्टी से हफ्ते में कम दिन काम के प्रस्ताव को लागू करने के लिए कहा था. इस वक्त फिनलैंड की सरकार पांच महिलाओं के हाथ में हैं. मारिन के नेतृत्व में सरकार गठन के लिए चार अन्य दलों का एक सेंटर-लेफ्ट गठबंधन बनाया गया है. जिसमें चार (सना मारिन, ली एंडरसन, कत्री कुलमुनी और मारिया ओहिसालो) की औसत उम्र 33 साल है.
ये भी पढ़ें:
- क्या है लॉकबिट जिसने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है?
- शिवपाल सिंह यादव को अखिलेश ने दी मुश्किल मोर्चे की जिम्मेदारी, जानिए बदायूं से क्यों लाड़वा रहे हैं लोकसभा चुनाव?
- CII India Europe Business and Sustainability Conclave 2024: एजुकेशन सेक्टर में अडानी ग्रुप नया एक्सपेरिमेंट, यूरोप की बड़ी आईटी कंपनी जॉइस्ट इनोवेशन पार्क से किया एमओयू
- दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल कैमरा कहां है?
- Online Gambling: लूट के तंत्र ने कानून को किया बेबस
सना मारिन देश के बेरोजगारों के लिए काम करना चाहती हैं. उन्होंने साफ कहा है कि युवाओं के आत्मसम्मान और आत्मविश्वास को बनाए रखने के लिए उन्हें रोजगार देना जरूरी है. उनकी नई सरकार की कमान युवा महिलाओं के हाथ में है और वो युवाओं की परेशानियों को बेहतर समझते हैं. भारत में भी जब युवा बेरोजगारी के दंश को झेल रहे हैं तो सना जैसी सोच की जरूरत है.