‘पौधरोपण के नाम पर MP की शिवराज सरकार ने किया था 450 करोड़ का घोटाला’
मध्यप्रदेश में एक बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है. राज्य के वन मंत्री ने इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (EWO) को चिट्ठी लिखकर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, तत्कालीन वन मंत्री गौरीशंकर सेजवार की जांच कराने के लिए कहा है.
व्यापम के बाद अब मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार पर एक और घोटाले के दाग लग रहे हैं. मौजूदा वन मंत्री ने ईडब्ल्यूओ को चिट्ठी लिखकर शिकायत की है कि करीब दो साल पहले नर्मदा नदी के किनारे तत्कालीन बीजेपी सरकार की ओर से एक दिन में करीब 7 करोड़ पौधे लगवाए गए थे उसमें घोटाला हुआ था. मध्य प्रदेश के वर्तमान वनमंत्री उमंग सिंघार ने कहा है कि पेड़ लगाने के नाम पर तत्कालीन सरकार ने 450 करोड़ रुपये का घोटाला किया था. मंत्री ने इकोनॉमिक ऑफेंस विंग से शिकायत करके हुए कहा है कि तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान, तत्कालीन वन मंत्री गौरीशंकर सेजवार और कुछ शीर्ष वन अधिकारियों की जांच की जाए.
क्या है पूरा मामला?
ये मामला तब का है जब मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह की सरकार थी. उस वक्त एक कार्यक्रम में 2 जुलाई 2017 को 1.21 लाख जगहों पर विभिन्न सरकारी विभागों के अधिकारियों ने पौधे लगाए थे. 24 जिलों में सुबह 7 बजे से लेकर शाम 7 बजे तक यह पौधरोपण अभियान चलाया गया था. तत्कालीन सीएम चौहान ने नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक में पौधे लगाकर इस अभियान की शुरुआत की थी. उस वक्त तत्कालीन पब्लिक रिलेशंस ऑफिसर की ओर से ये भी दावा किया गया था कि इस अभियान के दौरान गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के पदाधिकारी भी कई जगहों पर मौजूद थे.
तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दावा किया था कि राज्य में पेड़ लगाने का ये रिकॉर्ड गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में जगह दिलाने के लिए बनाया गया. उस वक्त ये दावा किया गया था कि वन विभाग, ग्रामीण विकास विभाग और कृषि विभाग के अधिकारियों ने रिकॉर्डतोड़ वृक्षारोपण किया है. लेकिन अब इस कार्यक्रम में घोटाले की जांच करने की बात सामने आ रही है. मध्यप्रदेश के मौजूदा वन मंत्री ने शुक्रवार को बताया कि उन्होंने ईओडब्ल्यू से इस मामले की जांच करने के लिए कहा है.
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सिंघार ने कहा कि इस कवायद ने न तो रिकॉर्ड बुक में कोई जगह दिलाई और न ही इससे जुड़ा कोई ऑफिशियल कम्युनिकेशन मौजूद है. सिंघार ने कहा कि पौधरोपण में वक्त लगता है और यह एक दिन का काम नहीं है. मंत्री का आरोप है कि इस अभियान के लिए पौधे पास-पड़ोस के राज्यों से बेहद ऊंची कीमत पर खरीदे गए. उनका आरोप है कि इस कवायद के जरिए सरकारी पैसे का इस्तेमाल कुछ लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया.