बच्चे ही नहीं भारत का स्वास्थ्य विभाग भी ICU में है

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बिहार के मुजफ्फरपुर में 150 से ज्यादा बच्चे चमकी बुखार की वजह से मर गए. बरेली में एक 4 दिन की बच्ची दो डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से मर गई. बिहार में 2 सौ ज्यादा लोग लू और गर्मी की वजह से मर गए. और ऐसे ही ना जाने कितने आंकडे हैं जो भारत में स्वास्थ्य विभाग की हकीकत बयां करते हैं.

भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत बेहद खराब है. यहां एक दिन में आम आदमी के इलाज के लिए सरकार सिर्फ 3 रुपये खर्च करती है और करीब 11 हजार लोगों पर एक डॉक्टर की सुविधा दे पाती है. यही कारण है कि भारत में जानलेवा बीमारियों से लड़ते हुए हजारों लोग मर जाते हैं. 2017 और 2018 में इन्सेफेलाइटिस से 1000 लोगों की मौत हो गई, केरल में निपाह तो ओडिशा में ज्वाइंडिस ने सैकंड़ों लोगों को लील लिया. बिहार में इस साल चमकी बुखार की वजह से 150 से ज्यादा बच्चे मर चुके हैं.

इन्सेफेलाइटिस से उत्तर प्रदेश में साल 2016 में 621 मौतें हुई थीं, पश्चिम बंगाल में 2015 में 351 मौत हुई थीं, बिहार में पिछले साल 7 मौतें हुई थीं, ओडिसा में साल 2014 में ज्वाइंडिस से 30 लोगों की जान गई थी, 2018 में केरल में निपाह वायरस से 17 लोगों की मौत हुई थी

भयावह हैं हेल्थ सिस्टम के हालात

स्वास्थ्य विभाग की हकीकत बयान करने के लिए ये आंकड़े काफी हैं. ये आंकड़े ये साबित करते हैं कि भारत में हेल्थ सिस्टम पूरी तरह से फेल हो गया है और सरकार राम भरोसे चल रही है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार एक दिन में एक व्यक्ति पर औसतन 3 रुपये ही खर्च करती है. इसी रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि भारत में हेल्थ का बजट जीडीपी का सिर्फ 1.3 फीसदी हिस्सा ही है. आपको जानकार हैरानी होगी कि भारत से ज्यादा तो मालदीव, थाईलैंड, भूटान और श्रीलंका जैसे देश अपने देश के हेल्थ सिस्टम पर खर्च करते हैं.

भारत में स्थास्थ्य विभाग की हालत इतनी खराब है कि पूरे देश में सिर्फ 11 करोड़ 49 लाख डॉक्टर हैं और इस आंकड़े को आप ऐसे समझिए कि एक डॉक्टर करीब 11 हजार मरीजों का इलाज करता है. इतना ही नहीं कुछ राज्यों में तो मरीज डॉक्टर अनुपात और भी खराब है. जैसे बिहार में ये 1:28,391 है, यूपी में 1:19,962 है, झारखंड में 1:18,518 है, एमपी में 1: 16996 है. ये हाल तब है जब विश्व स्वास्थ्य संगठन के हिसाब से एक डॉक्टर के जिम्मे सिर्फ 1 हजार मरीज ही होने चाहिए.

सरकार नहीं देगी स्वास्थ्य के लिए बजट

अब आप सोच रहे होंगे कि ये हाल है क्यों? तो इसका सीधा सा जवाब ये है कि सरकार स्वास्थ्य के लिए बजट ही नहीं देती. अब मोदी सरकार ने 2018-19 में हेल्ख के लिए सिर्फ 52,800 करोड़ रुपये आवंटित किए थे. 2019-20 के अंतरिम बजट में 61, 398 करोड़ रुपये आवंटित किए थे यानी एक साल में  स्वास्थ्य के लिए सिर्फ 8598 करोड़ रुपये ज्यादा दिए गए. इतनी रकम भारत जैसे विशाल देश के लिए ‘ऊंट में मुंह में जीरा’ जैसी है.

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