मोदी को काशी विद्वत परिषद ने दी ‘राष्ट्र ऋषि’ की उपाधि, महासचिव ने कहा – चाटुकारों ने लिया फैसला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दी गई ‘राष्ट्र ऋषि’ देने पर काशी विद्वत परिषद दो फाड़ हो गया है. दरअसल काशी विद्वत परिषद के कुछ सदस्यों ने पिछले हफ्ते घोषणा की थी कि प्रधानमंत्री को ‘राष्ट्र ऋषि‘ की उपाधि से सम्मानित किया जाएगा, परिषद के इस फैसले पर सवाल भी खड़े होने लगे हैं.
काशी विद्वत परिषद हिन्दू धर्म के विद्वानों का एक महत्वपूर्ण संस्थान है. इस संस्थान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सम्मानित करने का फैसला किया है. संस्थान के फैसले को विरोध शुरु हो गया. संस्थान के ही कुछ सदस्यों ने इस फैलसे को विरोध करते हुए कहा है कि ये फैसला राजनीति से प्रेरित और गलत है. काशी विद्वत संस्थान वाराणसी में हैं जहां से नरेंद्र मोदी सांसद हैं. यहां काशी विद्वत परिषद के कुछ सदस्यों ने पिछले हफ्ते ये एलान किया था कि प्रधानमंत्री को ‘राष्ट्र ऋषि’ की उपाधि से सम्मानित किया जाएगा, लेकिन इस मुद्दे पर परिषद में ही दो फाड़ हो गया है.
टेलिग्राफ के मुताबिक परिषद के महासचिव शिवाजी उपाध्याय और कुछ सदस्यों ने इसका विरोध किया है. रिपोर्ट के मुताबिक सोमवार को कहा कि यह तथाकथित निर्णय सही मंच पर या अपेक्षित कोरम के साथ नहीं लिया गया था. उपाध्याय ने कहा,
“यह कुछ चाटुकारों की करतूत है। उन्होंने राजनीतिक रूप से तटस्थ सदस्यों और बिना कोरम के परामर्श के बिना प्रधान मंत्री को इस उपाधि से सम्मानित करने का फैसला लिया।”
सिर्फ परिषद के महासचिव ही नहीं बल्कि एक और सदस्य ऋषि द्विवेदी ने बताया,
“इस तरह का कोई भी फैसला जनरल बॉडी की मीटिंग में होता है, जहां कुल 24 सदस्यों में से तीन-चौथाई सदस्य इस पर सहमति जताते हैं। लेकिन ऐसी कोई बैठक हुई ही नहीं। सिर्फ दो लोग एक साथ बैठे और मीडिया में यह घोषणा कर दिया कि वाराणसी में एक कार्यक्रम आयोजित कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘राष्ट्र ऋषि’ की उपाधि से सम्मानित किया जाएगा। मैं उपाध्याय (परिषद के महासचिव) की बातों से पूरी तरह सहमत हूं। यहां तक की मुझे भी किसी तरह की बैठक या फैसले के बारे में जानकारी नहीं दी गई थी। “राष्ट्र ऋषि” शीर्षक एक “गलत और अशुद्ध” था, जिसे शास्त्रों में मंजूरी भी नहीं मिली। सही शब्द ‘राजर्षि’ है।”
आपको बतादें की राष्ट्र ऋषि की उपाधि देने के लिए ये प्रक्रिया होती है. ऋषियों में निपुण लोगों के लिए चार पारंपरिक उपाधियां हैं. इसमें एक राजार्षि, महर्षि, ब्रम्हर्षि और देवर्षि है. दो साल पहले नरेंद्र मोदी को हरिद्वार में पतंजली योगपीठ में एक शोध संस्थान का उद्घाटन करने के दौरान बाबा रामदेव ने पीएम को ‘राष्ट्र ऋषि’ से सम्मानित किया था. आपको बतादें कि खबर ये भी आ रही है कि योगी आदित्यनाथ सरकार के कुछ केंद्रीय भाजपा नेताओं और मंत्रियों ने आम चुनाव से पहले संगठन के दो सदस्यों से मोदी के लिए एक उपाधि की पैरवी करने के लिए संपर्क किया था. मोदी को राष्ट्रऋषि की उपाधि देने का विरोध कर रहे तबके का कहना है कि जो लोग मोदी को राष्ट्रऋषि देने की बात कर रहे हैं वो बीजेपी भक्त हैं.