किम-ट्रंप मुलाकात: एक बार फिर मिलेंगे दो कट्टर दुश्मन
किम जोंग-उन और डोनल्ड ट्रंप वियतनाम की राजधानी हनोई में मुलाक़ात करेंगे. इस मुलाकात पर दुनिया की नज़र है. 27-28 फरवरी को होने वाली इस मुलाकात के लिए हनोई तैयार है. उम्मीद की जा रही है कि उत्तर कोरिया को उसके परमाणु कार्यक्रमों को समाप्त करने के लिए राज़ी किया जा सकेगा.
गले मिलेंगे, गिले मिटेंगे
अमरीका और उत्तर कोरिया में आधुनिक संबंधों के लिए वियतनाम को एक मॉडल के रूप में देखा जा सकता है. इससे पहले किम-ट्रंप और बीते साल जून में सिंगापुर में मिल चुके हैं. यानी एक साल के भीतर इन दो कट्टर दुश्मनों की दूसरी बार मुलाकात हो रही है. दुश्मनी भुलाकर ये दोनों नेता शांति की राह पर चलने की कोशिश रहे हैं. किम-ट्रंप ने अपनी पहली मुलाकात में परमाणु कार्यक्रमों को ख़त्म करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की थी.
वियतनाम क्यों है खास ?
इन दोनों नेताओं की दूसरी मुलाकात वियतनाम में हो रही है. वियतनाम के खास माएने हैं. मार्च, 1965 को जब वियतनाम के डानांग शहर में पहली बार अमेरिकी फ़ौज ने क़दम रखे थे तब दक्षिण-पूर्व एशिया में पूंजीवाद और साम्यवाद के बीच की जंग में अमरीकी दख़लअंदाज़ी की यह एक तरह से शुरुआत थी. अब करीब चार दशक बाद वियतनाम अपने पुराने दुश्मन अमेरिका और शीत युद्ध के दिनों के साथी उत्तर कोरिया की मेज़बानी की तैयारी कर रहा है.
किम जोंग उन क्यों राजी हुए ?
वियतनाम कई मायने में अमेरिका और उत्तर कोरिया के लिए खास है. साम्यवादी शासन लेकिन पूंजीवादी अर्थव्यवस्था वाला वियतनाम अमेरिका और उत्तर कोरिया दोनों का ही करीबी है. यानी ये एक ऐसा तटस्थ मेजबान है जो डोनाल्ड ट्रंप और किम जोंग उन की सभी कसौटियो पर खरा उतरेगा. किम जोंग उन के लिए भी ये देश अहम है और वो चीन के बाद सबसे ज्यादा भरोसा वियतनाम पर ही करता है. एक बात और आपको बता दें किम जोंग उन पहली बार वियतनाम में पहुंच रहे हैं.
ट्रंप ने वियतनाम को क्यों चुना ?
ट्रंप के लिए वियतनाम में किम जोंग उन से मुलाकात करना अहम है. क्योंकि किम जोंग उन यहां की आर्थिक सफलता से प्रेरणा ले सकते हैं. 1986 में आर्थिक सुधारों की शुरुआत के बाद से ही वियतनाम ने समाजवाद की तरफ़ ले जानी वाली बाज़ार अर्थव्यवस्था खड़ी करने का लक्ष्य रखा है. और आज ये देश एशिया की तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था है. ट्रंप 2017 के एपेक सम्मेलन में यहां आ चुके हैं. और वो मानते हैं कि वियतनाम ने परमाणु हथियारों को रोकने की प्रतिबद्धता दिखाई है. उत्तर कोरिया को समझाने का प्रयत्न भी किया है.