बीते 5 सालों में आतंकी घटनाओं में 177% और शहादत में 94% बढ़ोत्तरी
पुलवामा हमला होने के बाद पूरे देश में शोक की लहर है. देश बदला चाहता है और मोदी सरकार से देश अपील कर रहा है कि सरकार बदला लो. लेकिन क्या उम्मीद की जा सकती है. क्योंकि पुलवामा में कोई पहली बार आतंकी हमला नहीं हुआ है. इससे पहले देश ने संसद पर हमला देखा, मुबई अटैक देखा और पठानकोट, उरी भी देखा. हर हमले के बाद सरकार निंदा करती है और फिर सब खत्म हो जाता है. आपको कुछ आंकड़े दिखाते हैं ये आंकड़े देखकर आप समझ पाएंगे कि सरकार शहादत के लिए कितनी गंभीर है.
मोदी सरकार में आतंकी हमले और शहादत के आंकड़े
- पुलवामा आतंकी हमला राज्य में सुरक्षाबलों पर सबसे घातक हमला रहा
- जम्मू कश्मीर में आतंकी हमलों की घटनाओं में 177% इज़ाफा हुआ है
- 2014 में राज्य में आतंकवाद की 222 और 2018 में 614 घटनाएं हुईं
- छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा के बाद ये CRPF पर दूसरा बड़ा हमला हुआ है
- 5 फरवरी 2019 को लोकसभा में मोदी सरकार ने 5 सालों के आंकड़े दिए
- जम्मू कश्मीर में बीते 5 सालों में जवानों शहादत की संख्या में 94% बढ़ी
- 2014 से 2018 के बीच कुल 1,708 आतंकी हमले हुए, 339 शहादत हुई
- 2014 में 47 जवान शहीद हुए थे, 2018 में ये आंकड़ा बढ़कर 91 हो गया
- बीते 4 सालों से जम्मू कश्मीर में आतंकी हमलों में 177 % बढ़ोत्तरी हुई
- 2014 में राज्य में आतंकवाद की 222 घटनाएं हुईं, 2018 में 614 हुईं थीं
- 2014 से 2018 के बीच आतंकी घटनाओं में 138 नागरिकों की मौत हुई
- 2014 में 28 नागरिक मारे गए थे, साल 2018 में 38 नागरिकों मारे गए
- 5 सालों में 838 आतंकी मारे गए, 2014 में 110 आतंकियों का खात्मा हुआ
मोदी सरकार में आतंकवादियों का सफाया करने में 134 % की बढ़ोतरी हुई लेकिन उससे कहीं ज्यादा सैनिकों ने शहादत दी है. गृह मंत्रालय ने ये आंकड़े पांच फरवरी को संसद में रखे. 2017 की तुलना में 2018 में आतंकवाद की घटनाएं 80 फीसदी बढ़ोत्तरी हुई है.
इंडियास्पेंड के रिपोर्ट कहती है कि जम्मू कश्मीर में 2017 तक 28 सालों में आतंकवाद की 70,000 से ज्यादा घटनाएं हुई और इस दौरान करीब 22,143 आतंकवादियों को मारा गया है. और इन घटनाओं में 13,976 नागरिकों की मौत हुई. इन सालों में करबी 5,123 जवानों शहादत हुई. ये आंकड़े बताने के लिए काफी है कि सरकार आतंकी घटनाओं को रोकने के लिए कितना गभीर है.