क्या तीसरे विश्वयुद्ध की तरफ बढ़ रही है दुनिया?
1980 के दशक में आईएनएफ संधि ने दुनिया को तीसरे विश्वयुद्ध में फंसने से बचाया था. ये संधि दुनिया में शांति बरकरार करने के लिए बहुत जरूरी थी. लेकिन अब अमेरिका और रूस पीछे हट गए हैं. अमेरिका ने मध्यवर्ती दूरी की परमाणु मिसाइलों पर रोक लगाने वाली रूस के साथ हुई 32 साल पुरानी ‘आईएनएफ’ (इंटरमीडिएट न्यूक्लियर फ़ोर्स) संधि से खुद को अस्थायी रूप से अलग कर लिया है.
इस बात के संकेत तो तभी मिल गए थे तब बीते साल ट्रंप ने कहा था कि रूस ईमानदारी से संधि की शर्तों का पालन नहीं कर रहा है. ट्रंप की सरकार ने दिसंबर में कहा था कि रूस अगले 60 दिनों में इस संधि का पालन नहां करता तो अमेरिका भी इस संधि से पीछे हट जाएगा. अब एक फरवरी को राष्ट्रपति ट्रंप और उनके विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने साफ कर दिया है कि अमेरिका अब अपने आप को इस संधि से बंधा हुआ महसूस नहीं करता.
अमेरिका ने ये भी कहा है कि रूस अगर अगले 6 महीने में अपनी नीति में सुधार नहीं करता तो अमेरिका स्थाई तौर पर इस संधि से खुद को अलग कर लेगा. अमेरिका की इस प्रतिक्रिया के बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि,
‘हमारे अमेरिकी साथी संधि में अपनी भागीदारी स्थगित कर रहे हैं तो हम भी अपनी भागीदारी स्थगित कर देते हैं. इस बारे में हमारे सभी सुझाव पहले की ही तरह अब भी मेज़ पर रखे रहेंगे. वार्ताओं के लिए दरवाज़े भी खुले रहेंगे.’
आईएनएफ संधि क्या है ?
ये संधि 8 दिसंबर 1987 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन और भूतपूर्व सोवियत कम्युनस्ट पार्टी के महासचिव मिख़ाइल गोर्बाचोव के बीच व्हाइट हाउस में हुई थी. इसे ‘वॉशिंगटन निरस्त्रीकरण संधि’ के नाम से भी जाना जाता है. 1 जुलाई 1988 को मॉस्को में अंतिम दस्तावेजों पर हस्ताक्षर के साथ यह संधि प्रभावी हुई थी.
‘आईएनएफ’ संधि जमीन से छोड़ी जाने वाले 500 से 5500 किमोमीटर तक की परमाणु मिसाइलों पर प्रभावी होती है. लेकिन समुद्र से छोड़ी जा सकने वाली ऐसी ही प्रणालियां इस संधि के दायरे में नहीं आतीं. इस संधि के खत्म होने का असर नाटो देशों पर भी होगा क्योंकि रूस अगर ऐसी मिसाइलें बनाता है तो बर्लिन, पेरिस और लंदन जैसे शहरों उनकी ज़द में होंगे.
80 के दशक में अमेरिका औऱ सोवियत संघ ने ऐसी मिसाइलों को पश्चिमी सीमा पर तैनात रखते थे यानी कभी भी तबाही वाली जंग होने के आसार बने रहते थे लिहाज इस संधि के होने से दुनिया में अमन के आसार बने जो अब धूमित हो रहे हैं.