पूर्वोत्तर: वो कौन सी मुश्किल हैं जो बीजेपी को बेचैन कर रही है?

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नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद बीजेपी ने पूर्वोत्तर में खासी कामयाबी हासिल की है. जिन राज्यों में बीजेपी का खाता भी नहीं खुला था वहां पर बीजेपी ने सरकार बनाई है. और आने वाले चुनाव के लिए मोदी यहां अपनी रणनीति पर काम कर रहे हैं लेकिन अपनी बीजेपी अपने ही एजेंडे में फंस गई है. पूर्वोत्तर में मोदी की बीजेपी के लिए नागरकिता संशोधन बिल 2016 सबसे बड़ी मुश्किल बन गया है.

असम के चांगसारी में 1,123 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाले एम्स के भूमि पूजन, 2,187 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से गुवाहाटी और उत्तरी गुवाहाटी को जोड़ने वाले ब्रह्मपुत्र पर छह लेन के पुल के निर्माण कार्यों का उद्घाटन और इस तरह की तमाम योजना मोदी ने पूर्वोत्तर का दिल जीतने के लिए दी हैं. अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा में भी कई बड़ी परियोजनाओं की आधारशिला रखी गई. अरुणाचल प्रदेश में ग्रीनफ़ील्ड होलोंगी एयरपोर्ट और FTII के स्थाई परिसर की आधारशिला रखी. 4,000 करोड़ रुपए की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया. लेकिन विकास के इन कामों के बाद भी बीजेपी के लिए मुश्किल कम नहीं हो रही हैं. पीएम मोदी को अपने पूर्वोत्तर दौरे में व्यापक विरोध का सामना करना पड़ा है.

ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) के सदस्यों ने काले झंडे दिखाकर अपना विरोध किया. ताई आहोम युवा परिषद ने असम बंद बुलाया और गुवाहाटी में पीएम मोदी को काले झंडे दिखाए गए. उनके पुतले फूंके गए. ये विरोध बढ़ता जा रहा है. नागरिकता संशोधन बिल पर मोदी की सफाई लोगों को रास नहीं आई पीएम मोदी ने कहा था,

नागरिकता से जुड़े क़ानून को लेकर बहुत बड़ा भ्रम फैलाया जा रहा है. यह भ्रम फैलाने वाले वही लोग है जिन्होंने यहां घुसपैठ को रोकने के लिए नेशनल सिटीजन रजिस्टर को 36 साल बीत जाने के बाद भी लागू नहीं किया. लेकिन हमारी सरकार सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एनआरसी का काम तेज़ी से पूरा करने में लगी है.विरोध करने वाले हमारी जनसभा में आए लोगों को देखें, उन्हें असम के मिजाज़ का पता चल जाएगा.”

पीएम लागातर असम के संत, धर्म गुरु और जननायकों को के माध्यम से भावनात्मक कार्ड खेल रहे हैं. लेकिन ऐसा लगा है कि पूर्वोत्तर की 25 लोकसभा सीटों पर बीजेपी की मुश्किल इन विकास कार्यों से कम नहीं होगीं. और यही बीजेपी की बेचैनी है. बिल को लेकर पूरे पूर्वोत्तर में विरोध है.असम में 2016 के विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी के भाषणों में जो रवानी थी वो अब नहीं है हां वो कोशिश पूरी कर रहे हैं. लेकिन बिल को लेकर बीजेपी सरकार का विरोध बढ़ रहा है. सिर्फ बिल ही नहीं छह जनजातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की बात को लेकर भी बीजेपी से जनजातीय लोग नाराज हैं. 2016 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने ये वादा किया था.

बीजेपी पूर्वोत्तर में हिंदुत्व का एजेंडा लेकर चुनाव में उतरना चाहती है. लेकिन ये कारगर होगा ये मुश्किल है. यहां जाति, भाषा और संस्कृति पर लोग खतरा महसूस कर रहे हैं. हालांकि बीजेपी इस बात से इंकार करती है कि पूर्वोत्तर में उन्हें कोई नुकसान होगा क्योंकि पीएम की रैलियों में भीड़ उमड़ रही है.

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