ईवीएम हैकिंग: वो 5 देश जहां ईवीएम पर सवाल उठे
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. चुनाव में करीब 80 करोड़ मतदाता और 2 हजार पार्टियां हिस्सा लेंगी. लोगों को भरोसा होता है कि वो जिसे वोट करेंगे उसी को वोट जाएगा. लेकिन कुछ वक्त से ईवीएम को लेकर काफी कुछ कहा गया है. यहां सवाल ये है कि क्या वाकई ईवीएम को हैक किया जा सकता है.
- वेनेज़ुएला में 2017 के चुनावों में डाले गए वोटों की कुल संख्या कथित रूप से असली संख्या से दस लाख ज़्यादा निकली.
- अर्जेंटीना में राजनेताओं ने मतों की गोपनीयता और नतीजों में छेड़छाड़ की आशंकाएं जताते हुए ई-वोटिंग कराने की योजना से किनारा किया.
- इराक में 2018 में हुए चुनाव के बाद ईवीएम में गड़बड़ी की ख़बरों के बाद मतों की आंशिक गिनती दोबारा करवाई गई थी.
- डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो में ई-वोटिंग से पहले मशीनों की टेस्टिंग न किए जाने की ख़बरें सामने आने के बाद ई-वोटिंग मशीनें विवाद का विषय बनी थीं.
- अमेरीका में वोटिंग मशीनों को लगभग 15 साल पहले इस्तेमाल में लाया गया था.
तो सिर्फ भारत में ही नहीं दुनिया के दूसरे देशों में भी ईवीएम पर सवाल उठे हैं. चुनाव के लिए डाले गए मतों की गिनती करने की प्रक्रिया कितनी पुख़्ता है जब यही सवालों के घेरे में है तो फिर ये जानना जरूरी है कि क्या वाकई ईवीएम हैक हो सकती है.
ऐसा नहीं है कि ईवीएम के इस्तेमाल से पहले जब बैलेट से चुनाव होते थे तब सबकुछ ठीक होता था. तब भी मतदान केंद्रों पर हमले, मतपेटियों में मत भरने जैसे मामले सामने आते थे. ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल होने के बाद ये घटनाएं बंद हुईं हैं और हैकिंग का मामला सामने आया है. जो पार्टियां चुनाव हार गईं वो इन पर सवाल उठा रही हैं फिर चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस.