अखिलेश करेंगे सपा की बाईपास सर्जरी, बहुत बड़े प्लान पर कर रहे हैं काम

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अखिलेश यादव ने लगातार मिल रही असफलताओं से निपटने के लिए समाजवादी पार्टी की बाईपास सर्जरी करने का फैसला किया है. यह सर्जरी कई चरणों में होगी और उसकी शुरुआत हो चुकी है.

अखिलेश यादव रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव हारने के बाद फिर से आलोचकों के निशाने पर हैं. उनकी नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े हो रहे हैं और लगातार उनके फैसलों की आलोचना हो रही है. ऐसे में अब समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष में पूरी पार्टी को नए सिरे से गठित करने का फैसला किया है और इसके लिए उन्होंने उत्तर प्रदेश अध्यक्ष को छोड़कर सभी पार्टी इकाइयों के प्रमुखों को हटा दिया है. न सिर्फ प्रमुखों पर एक्शन लिया गया है बल्कि सभी इकाइयां भी भंग कर दी गई हैं और अब नए सिरे से इन इकाइयों का गठन किया जाएगा.

अखिलेश यादव करेंगे कई चरणों में पार्टी का गठन

समाजवादी पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक सभी जिला इकाइयों से अप टू डेट रहने के लिए कहा गया है. नए जिलाध्यक्ष के चयन के लिए कई पैरामीटर सेट किए गए हैं. बताया जा रहा है कि अब किसी भी अध्यक्ष का चयन सिफारिश या जुगाड़ से नहीं होगा बल्कि जो मानक सेट किए गए हैं उन्हीं के आधार पर नए अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा. 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव नए सिरे से नए और पुराने लोगों को मिलाकर पार्टी को नई ऊर्जा देने का प्रयास कर रहे हैं.

लगातार मिल रही हार से लेंगे सबक

बताया जा रहा है कि अखिलेश यादव लगातार मिल रही हार पर मंथन कर रहे हैं और उसी के हिसाब से पार्टी में लोगों को मौका दिया जाएगा. 2017 से लेकर 2022 तक हुए सभी चुनावों में समाजवादी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है. ऐसे में जरूरी है कि आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी बेहतर प्रदर्शन करें और उसके लिए अभी से सभी कार्यकर्ताओं को तैयार किया जाएगा. इतना ही नहीं अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी का कुनबा बढ़ाने के लिए सदस्यता अभियान भी शुरू किया है और ज्यादा से ज्यादा युवाओं को टारगेट करने की कोशिश है.

सभी जातियों को साधने की कोशिश

बताया जा रहा है कि अखिलेश यादव पार्टी में नए लोगों को मौका देने से पहले जातियों को भी ध्यान में रखकर फैसले कर रहे हैं वह अच्छी तरह से जानते हैं कि अगर पार्टी को दोबारा खड़ा करना है तो उसके लिए गैर यादव पिछड़ी जातियों को साथ लेना जरूरी है. और इसके लिए सभी प्रकोष्ठ सक्रिय किए जा रहे हैं और आम कार्यकर्ता की बात सीधे राष्ट्रीय अध्यक्ष तक कैसे पहुंचे इसको लेकर भी उन्होंने गंभीरता दिखाई है. खबर यह भी है कि युवाओं को ज्यादा से ज्यादा मौका देने के बारे में भी अखिलेश यादव गंभीरता से विचार कर रहे हैं. ऐसे में यह बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है कि नेता प्रतिपक्ष के पद पर रहते हुए वह अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करें और पार्टी को नई ऊर्जा देने के साथ-साथ बीजेपी जैसी मजबूत पार्टी से लड़ने के लिए तैयार भी करें.

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