अपने वोटरों की बात क्यों नहीं सुन रहे अखिलेश क्या है चाचा से इतनी नाराजगी की वजह?

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समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का मजबूत वोटर है यादव और मुसलमान. 2022 के चुनाव में इस वोट बैंक में ही उन्हें एक मजबूत विपक्ष के तौर पर विधानसभा तक पहुंचाया. लेकिन अब अखिलेश यादव इसी वोटर की बात को अनसुना कर रहे हैं.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर पूर्वी उत्तर प्रदेश तक और बुंदेलखंड से लेकर रुहेलखंड तक आप किसी भी क्षेत्र में चले जाइए जहां समाजवादी पार्टी को लोगों ने वोट दिया है आपको 100 में से 99 लोग ऐसे मिलेंगे जो यह चाहते हैं कि चाचा शिवपाल सिंह यादव को किसी भी कीमत पर समाजवादी पार्टी से जोड़ कर रखा जाए. लेकिन अपने वोटरों की बात अखिलेश यादव क्यों नहीं सुन रहे? ऐसी क्या वजह है जिसने अखिलेश यादव को चाचा से दूरी बनाने पर मजबूर कर दिया है? क्योंकि कोई भी नेता तभी सफल होता है जब वह अपने मतदाताओं की इच्छा के अनुरूप व्यवहार करता है. उदाहरण के तौर पर आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देख सकते हैं उनके सभी क्रियाकलापों अपने मतदाताओं को उत्साहित और जोश से लबालब भरने के लिए होते हैं. उनका पहनावा, उनका मंदिरों में जाना और उनके भाषणों में लच्छेदार भाषा का इस्तेमाल होना सब कुछ उनके चाहने वालों की सोच के हिसाब से डिजाइन किया जाता है. लेकिन अखिलेश यादव मतदाताओं के मन की ना करके अपने मन की बात मतदाताओं पर थोपते हुए दिखाई दे रहे हैं.

आप अगर गौर करें तो पाएंगे कि जब अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव के बीच सुलह हुई तू यादव लैंड में और खासकर समाजवादी पार्टी के समर्थकों में एक उत्साह का माहौल था. सपा कार्यकर्ता भी उत्साहित होकर चुनाव प्रचार कर रहे थे. इसके बाद 10 मार्च को जब नतीजे सपा के मन मुताबिक नहीं आए तो एक गहरी मायूसी भी समाजवादी खेमे में देखने को मिली. लेकिन 12 मार्च को जब सोशल मीडिया पर यह खबर आई कि शिवपाल सिंह यादव अखिलेश यादव से मिलने गए हैं और समाजवादी पार्टी उन्हें नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में लाना चाहती है तो फिर एक बार हार का गम भुला कर समाजवादी पार्टी के लोगों में समाजवादी पार्टी के मतदाताओं में एक उत्साह का संचार हुआ. और अब जब शिवपाल सिंह यादव भारतीय जनता पार्टी के साथ तालमेल बनाने की कोशिश कर रहे हैं तो फिर से ग्राउंड लेवल का कार्यकर्ता, समाजवादी पार्टी का समर्थक निराश हो गया है.

क्या अखिलेश यादव को यह बात समझ नहीं आती. क्योंकि राजनीति में धारणा की बड़ी भूमिका है और अखिलेश यादव धारणा बनाने में नाकाम रहे हैं. 2017 में भी उन्होंने गलती की और 2022 में भी वह अपनी गलती दोहराते हुए दिखाई दे रहे हैं. मौजूदा परिस्थितियों में ऐसी कोई भी वजह नहीं हो सकती जिसकी वजह से शिवपाल सिंह यादव के साथ अखिलेश यादव इस तरह का अलग-थलग रवैया अपनाएं. लेकिन अगर फिर भी सपा प्रमुख ऐसा कर रहे हैं तो इसके पीछे कोई ठोस कारण होगा. वो कारण क्या हो सकता है? बहुत से लोग कहते हैं किसके पीछे अखिलेश यादव के सिपहसालार हैं. कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि अखिलेश यादव अपनी सौतेली मां से शिवपाल यादव की करीबी के चलते हैं उनसे खफा हैं. कुछ लोग इसे परिवार की महिलाओं का झगड़ा भी बता रहे हैं. और कुछ लोगों का कहना है कि अखिलेश यादव में असुरक्षा की भावना घर कर गई है.

अब कारण चाहे जो भी हो लेकिन समाजवादी पार्टी का वोटर अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच पैदा हुई खाई के चलते बेहद खफा है. खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है क्योंकि ऐसे समय में जब भारतीय जनता पार्टी अपने कुनबे को लगातार बढ़ाने का प्रयास कर रही है तब अखिलेश यादव इस बड़ी लड़ाई को जीतने की वजह है छोटी लड़ाईयों में उलझे हुए हैं.

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