नेताजी के भाई और समधी के बीच क्या खिचड़ी पक रही है?

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नेताजी के भाई शिवपाल सिंह यादव और समधी हरिओम यादव के बीच इन दिनों घनिष्ठा काफी बढ़ गई है. अखिलेश यादव की उपेक्षा के बाद शिवपाल सिंह यादव ने हरिओम यादव की जमकर तारीफ की है.

फिरोजाबाद जिले में एक जमाने में समाजवादी पार्टी के मजबूत नेता रहे हरिओम यादव जो नेताजी मुलायम सिंह यादव के समधी भी है अब भाजपा के हो चुके हैं और 2022 में उन्होंने सिरसागंज से भाजपा के टिकट पर चुनाव भी लड़ा लेकिन वह जीत नहीं सके. अखिलेश यादव को हरिओम यादव फूटी आंख नहीं सुहाते लेकिन शिवपाल सिंह यादव इन दिनों हरिओम यादव की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं.

26 मार्च को जब शिवपाल सिंह यादव को समाजवादी पार्टी की बैठक में नहीं बुलाया गया तो वह इटावा चले आए और ताखा ब्लॉक के उदय सिंह नगला में उन्होंने हरिओम यादव के साथ मंच साझा किया महाभारत का जिक्र किया और स्पष्ट किया कि हरिओम यादव उनके लिए क्या है. सैफई घराने से जुड़े लोग बताते हैं कि नेताजी के समधी और भाई मिलकर अखिलेश यादव के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं.

समधी के बाद क्या भाई भी बीजेपी में जा सकते हैं?

इस सवाल को नकारा नहीं जा सकता ऐसा माना जा रहा है कि हरिओम यादव को भारतीय जनता पार्टी में शामिल करने के पीछे उनकी एक स्पष्ट रणनीति है और वह यादव लैंड में यादवों को ही समाजवादी पार्टी के सामने खड़ा करने का प्लान बना रहे हैं. ऐसे में अगर शिवपाल यादव भी बीजेपी खेमे में चले जाते हैं तो आने वाले समय में यहां समाजवादी पार्टी के लिए सरवाइव करना मुश्किल हो जाएगा. क्योंकि 2022 के विधानसभा चुनाव में भी इस इलाके में अखिलेश यादव को वह कामयाबी नहीं मिली जिसकी वह उम्मीद कर रहे थे और बीजेपी यहां काफी मजबूती से उभरी है.

भतीजे अखिलेश के लिए चाचा शिवपाल अब कांटो भरा रास्ता तैयार कर रहे हैं और इसमें नेताजी के समधी हरिओम यादव भी शिवपाल सिंह यादव के साथ हैं. ऐसा नहीं है इसमें सिर्फ शिवपाल सिंह यादव का दोष है इसके पीछे अखिलेश यादव का अहंकार भी शामिल है. इन दिनों इटावा, सैफई के इलाके में वही 2017 जैसा माहौल है और सब के दिमाग में एक ही सवाल है कि अब चाचा शिवपाल सिंह यादव क्या करेंगे?

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