Uttarakhand में पुष्कर सिंह धामी की ये कहानी क्यों है सबसे पॉपुलर ?

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उत्तराखंड (Uttarakhand) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को जीत दिलाने वाले पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने लगातार दूसरी बार प्रदेश के ​मुख्यमंत्री पद की शपथ लेली है. हाल ही में घोषित विधानसभा चुनाव परिणाम में बीजेपी ने 70 में से 47 सीट पर जीत हासिल किया और दो-तिहाई से अधिक बहुमत के साथ लगातार दूसरी बार सत्ता में आई.

बीजेपी ने यह चुनाव धामी के चेहरे पर ही लड़ा था और पार्टी को 70 में से 47 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. हालाँकि मुख्यमंत्री पद के दावेदार धामी ख़ुद अपनी सीट नहीं बचा पाए थे. पुष्कर धामी को अब 6 महीने के अंदर चुनाव जीतकर विधायक बनना होगा, क्योंकि वह खटीमा से अपना चुनाव हार गए थे. खटीमा से कोंग्रेस के भुवन कापड़ी ने धामी को शिकस्त दी थी. इससे पहले धामी दो बार खटीमा से जीतकर विधानसभा के सदस्य बने थे. धामी के चुनाव हार जाने के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए कई नाम चर्चा में थे.

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बारे में

पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड में सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री भी बन चुके हैं. 45 साल की उम्र में उन्होंने राज्य की बागडोर अपने हाथ में ली. पुष्कर धामी को उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी का क़रीबी माना जाता है. जब भगत सिंह कोश्यारी मुख्यमंत्री थे तो पुष्कर धामी उनके ओएसडी हुआ करते थे.पुष्कर धामी अभी तक कभी भी किसी कैबिनेट मंत्री या राज्यमंत्री के पद पर नहीं रहे हैं. इसके अलावा सरकार चलाने का भी कोई अनुभव उनके पास नहीं है.पुष्कर धामी उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल से आते हैं और राजपूत जाति से ताल्लुक़ रखते हैं.

जब पहली बार बने मुख्यमंत्री

9 नवंबर 2000 को अस्तित्व में आए उत्तराखंड में अब तक 10 मुख्यमंत्री बदल चुके हैं. इनमें से केवल नारायण दत्त तिवारी ही अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा कर पाए थे. भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियों को उत्तराखंड में शासन के लिए तक़रीबन 10-10 सालों का वक़्त मिला है जिसमें कांग्रेस ने मुख्यमंत्री के 3 चेहरे दिए तो भाजपा अब तक 6 मुख्यमंत्री के चेहरे उतार चुकी है और अब सातवें की तैयारी है.

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बीजेपी ने अपने पॉंच-पॉंच साल के दो शासनकालों में तीन-तीन मुख्यमंत्रियों को बदला है. तीरथ सिंह रावत के इस इस्तीफ़े का कारण जनप्रतिनिधि क़ानून 1951 की धारा 151 ए के तहत बन गई एक संवैधानिक संकट की स्थित को बताया गया है, लेकिन जानकारों की राय है कि असल में बीजेपी ने यह क़दम संवैधानिक नहीं बल्कि एक राजनीतिक संकट के चलते उठाया है. और इसी संकट के चलते पुष्कर सिंह धामी को राज्य की कमान संभालने का मौका मिला. लेकिन 2022 में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में उन्होंने पार्टी को जीत दिलाकर दूसरी बार लगातार सीएम बनने का गौरव प्राप्त किया है.

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