UP Election 2022: अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ की 10 विधानसभा सीटों का खेल बिगाड़ सकते हैं ये लोग

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UP Election : 2022 के रण में आजमगढ़ (Azamgarh) की 10 विधानसभा सीटों पर मुकाबला बेहद दिलचस्‍प होने जा रहा है। यहां टिकट नहीं मिल पाने की वजह से कई प्रत्‍याशी निर्दलीय ही ताल ठोक रहे हैं। 

UP Election: आजमगढ़ की 10 विधानसभा सीटों पर 2017 चुनाव में प्रचंड मोदी लहर के दौरान भी बीजेपी केवल एक ही सीट पर विजय प्राप्‍त कर सकी थी। देखना रोचक होगा कि इस बार यहां परिणाम कैसे रहते हैं। यहां टिकट नहीं मिल पाने की वजह से कई प्रत्‍याशी निर्दलीय ही ताल ठोक रहे हैं। इस वजह से सपा और बीजेपी और बसपा तीनों के समीकरण गड़बड़ाते नजर आ रहे हैं।

आजमगढ़ जनपद में दो संसदीय क्षेत्र आते हैं- आजमगढ़ सदर और लालगंज सुरक्षित। सपा के अध्‍यक्ष अखिलेश यादव इस समय आजमगढ़ सदर सीट से ही सांसद हैं और मौजूदा विधानसभा चुनाव में मैनपुरी की करहल सीट से उम्‍मीदवार हैं। अखिलेश यादव पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। दूसरी लोकसभा सीट है- लालगंज सुरक्षित, यहां से बसपा की संगीता आजाद सांसद हैं।

अखिलेश यादव की संसदीय सीट आजमगढ़ सदर के तहत पांच विधानसभा आती हैं। इनके नाम हैं- गोपालपुर, सगड़ी, मुबारकपुर, मेहनगर और आजमगढ़ सदर विधानसभा। आजमगढ़ जनपद की दूसरी संसदीय सीट लालगंज सुरक्षित के तहत आने वाली पांच विधानसभा सीटों के नाम हैं- अतरौलिया, जिजामाबाद, फूलपुर-पवई, दीदारगंज और लालंगज।

आजमगढ़ जनपद की दूसरी संसदीय सीट लालगंज सुरक्षित के तहत आने वाली पांच विधानसभा सीटों के नाम हैं- अतरौलिया, जिजामाबाद, फूलपुर-पवई, दीदारगंज और लालंगज।

UP election :आजमगढ़ की विधानसभा सीटों का गणित

1- फूलपुर-पवई विधानसभा सीट 

2017 यूपी चुनाव में आजमगढ़ जनपद की 10 सीटों में यह इकलौती ऐसी सीट रही जहां पर बीजेपी को जीत प्राप्‍त हुई। बीजेपी के टिकट पर रमकांत यादव के बेटे अरुण कांत यादव यहां से जीते थे। रमाकांत यादव 2019 में सपा में चले गए, लेकिन उनके बेटे अरुण कांत यादव बीजेपी में ही रहे।

सपा ने इस सीट पर रमाकांत यादव को टिकट दिया है। ऐसे में पिता-पुत्र के बीच मुकाबले के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन बीजेपी ने अरुण कांत का टिकट काट दिया और इस बार रामसूरत राजभर को मैदान में उतारा है। बसपा ने इस सीट पर मुस्लिम प्रत्‍याशी शकील अहमद को उतारा है, जबकि कांग्रेस ने मोहम्‍मद शाहिद को टिकट दिया है।

2- लालंगज विधानसभा सीट

पिछले चुनाव में बसपा के टिकट पर इस सीट से आजाद आरी मर्दन को जीत मिली थी। बसपा ने इस बार भी उन्‍हीं पर दांव लगाया है। बीजेपी ने पूर्व एमपी नीलम सोनकर को यहां से टिकट दिया है, जबकि सपा ने बेचेई सरोज पर भरोसा जताया है।

3- दीदारगंज विधानसभा सीट

पिछले चुनाव में यहां से बसपा प्रत्‍याशी को जीत प्राप्‍त हुई थी। इस सीट की कहानी बड़ी रोचक है। 2017 में बसपा के टिकट पर जीते सुखदेव राजभर ने निधन से कुछ समय पहले अखिलेश यादव को एक चिट्ठी लिखी थी। उन्‍होंने अखिलेश यादव से अपने बेटे कमलाकांत राजभर को सपा का टिकट देन की गुजारिश की थी, जिसे अखिलेश यादव ने पूरा किया। अखिलेश यादव ने वचन पूरा करने के लिए अपने दो बार के विधायक आदिल शेख का टिकट काटकर कमलाकांत राजभर को मैदान में उतारा है। वहीं, बसपा ने भूपेंद्र सिंह मुन्‍ना, बीजेपी ने कृष्‍ण मुरारी विश्‍वकर्मा को प्रत्‍याशी बनाया है। इस सीट पर मुस्लिम वोट बड़ी संख्‍या में है।

4- निजामाबाद विधानसभा सीट

पिछले चुनाव में सपा के टिकट पर आलम बदी इस सीट से जीते थे। अखिलेश यादव ने इस बार भी इन्‍हीं पर भरोसा जताया है। बीजेपी ने मनोज यादव, कांग्रेस ने अनिल यादव और बसपा ने पीयूष यादव को टिकट दिया है। मतलब सपा को छोड़कर तीनों ही बड़े दलों ने यादव प्रत्‍याशी उतारा है, देखना होगा कि यादवों के वोट बंटते हैं या नहीं। अगर यादव वोट बंटते हैं तो ऐसे में सपा के आलम बदी को निश्चित ही फायदा होगा, क्‍योंकि इस सीट का समीकरण एकदम परफेक्‍ट MY कॉम्बिनेशन है, जो कि सपा की ताकत माना जाता रहा है।

5- अतरौलिया विधानसभा सीट 

पिछले दो चुनावों में इस सीट पर सपा कैंडिडेट संग्राम यादव को जीत प्राप्‍त होती रही है। संग्राम सपा के वरिष्‍ठ नेता बलराम यादव के पुत्र हैं। इस बार बीजेपी ने यह सीट निषाद पार्टी को दी है, जिसने प्रशांत सिंह को मैदान में उतारा है। वहीं, बसपा ने सरोज पांडे को इस सीट से प्रत्‍याशी चुना है। सपा, बसपा और बीजेपी तीनों ही इस सीट पर मजबूत हैं, लेकिन संग्राम यादव का पलड़ा थोड़ा भारी नजर आता है।

6- मेहनगर विधानसभा सीट

2017 चुनाव में यह सीट बसपा के पास रही है। बसपा ने अपने मौजूदा विधायक आजाद आरी मर्दन को ही उम्‍मीदवार बनाया है। वहीं, बीजेपी ने पूर्व सांसद नीलम सोनकर को उम्‍मीदवार बनाया है। सपा ने 2012 में इस सीट पर जीत चुके बेचेई सरोज को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने पुष्‍पा भारती को मैदान में उतारा है।

7- आजमगढ़ सदर सीट

सबसे पहले अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र में पड़ने वाली विधानसभा सीटों की बात करते हैं। आजमगढ़ सदर सीट- इस सीट पर सपा का बोलबाला रहा है। यहां पर सपा ने इस बार दुर्गा प्रसाद को ही टिकट दिया है, जो कि 1996 से 2017 तक लगातार 6 बार चुनाव जीत चुके हैं। इस सीट पर हमेशा पुरुष उम्‍मीदवार ही जीते हैं। बीजेपी ने इस सीट पर अखिलेश मिश्र गुड्डू को मैदान में उतारा है, जबकि बसपा ने सुशील कुमार सिंह को टिकट दिया है। आजमगढ़ सदर सीट पर पहला चुनाव 1957 में हुआ था। यहां से प्रजा सोशलिस्‍ट पार्टी के बिसराम पहले विधायक बने थे। इसके बाद भीम प्रसाद लगातार तीन बार विधायक चुने गए। इमरजेंसी के बाद हुए 1977 के चुनाव में भीम प्रसाद ने इस सीट पर कांग्रेस का परचम फहराया था। 1980 के चुनाव में भीम प्रसाद चौधरी चरण सिंह की पार्टी से चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन कांग्रेस कैंडिडेट रामकुमार सिंह ने उन्‍हें हरा दिया। इस सीट पर बीजेपी अब एक बार भी नहीं जीत पाई है।

8- गोपालपुर विधानसभा सीट

2017 विधानसभा चुनाव में यह सीट सपा ने जीती। नफीस अहमद यहां से सपा के विधायक हैं। इस बार भी अखिलेश यादव ने नफीस अहमद पर ही भरोसा जताया है, जबकि बीजेपी ने सत्‍येंद्र राय को उम्‍मीदवार बनाया है। बसपा ने रमेश यादव, जबकि कांग्रेस ने शान ए आलम को टिकट दिया है। गोपालपुर में यादव-मुस्‍लिम मतदाता प्रभावी हैं। यहां पर 68 हजार यादव वोटर हैं, जबकि 42 हजार मुस्लिम मतदाता। अनुसूचित जाति के 53 हजार, राजभर 28 हजार, ब्राह्मण और क्षत्रीय 18-18 हजार।

9- सगड़ी विधानसभा सीट 

2017 विधानसभा चुनाव में यह सीट वंदना सिंह ने बसपा के टिकट पर जीती थी, लेकिन कुछ ही समय बाद उन्‍होंने बीजेपी जॉइन कर ली। बीजेपी ने इस बार वंदना सिंह को ही मैदान में उतारा है। वहीं, सपा ने डॉक्‍टर एमएच पटेल, बसपा ने शंकर यादव और कांग्रेस ने राणा खातून को टिकट दिया है। 2017 यूपी चुनाव में इस सीट पर बसपा की वंदना सिंह को 62203 वोट मिले थे, जबकि समाजवादी पार्टी के जयराम पटेल 56728 वोट पाकर दूसरे स्‍थान पर रहे थे।

10- मुबारकपुर विधानसभा सीट

यहां बेहद दिलचस्‍प मुकाबला है। यह ऐसी सीट है जहां पर AIMIM को जीत मिलने की संभावना है। इस सीट पर 2012 में बसपा ने शाह आलम को टिकट दिया था। 2017 में भी वह बसपा से ही लड़े और चुनाव जीत गए। उन्‍होंने पिछले साल बसपा छोड़ दी थी। इस बार शाह आलम AIMIM के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। हालांकि, शाह आलम ने सपा से टिकट पाने की काफी कोशिशें कीं, लेकिन बात नहीं बनी तो वह AIMIM के टिकट पर ही मैदान में कूद गए। बसपा ने इस बार अब्‍दुल सलाम को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने परवीन तो बीजेपी ने सगड़ी के अपने पूर्व प्रत्‍याशी अरविंद जयसवाल को उम्‍मीदवार बनाया है।
वहीं, सपा ने अखिलेश यादव को यहां से टिकट दिया है, जी नहीं ये सपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष नहीं हैं बल्कि उनके हमनाम हैं।

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