सावरकर का माफीनामा और गांधी, सबका मुंह बंद कर देगा ये खुलासा!
सावरकर का माफीनामा इन दिनों सियासत के केंद्र में है. उनके भाई ने महात्मा गांधी की सलाह 1920 में मांगी थी। इससे पहले ही सावरकर दो बार अंग्रेजों से अपनी रिहाई की गुहार लगा चुके थे। विक्रम संपत की किताब Echoes from a Forgotten Past, 1883-1924 में इस बारे में यह ब्योरा दर्ज है।
सावरकर इन दिनों भारत की सियासत के केंद्र में हैं. सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी उन्हें हीरो बनाने में लगी है तो वही अंग्रेजों को दिए उनके माफीनामे का जिक्र करते हुए विपक्ष सरकार को घेर रहा है. देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सावरकर के बारे में एक महत्वपूर्ण बात कही. उन्होंने कहा कि सावरकर में अंग्रेजों से माफी गांधी जी के कहने पर मांगी. लेकिन अब एक किताब में दावा किया गया है कि गांधीजी के कहने से पहले ही वह दो बार माफी मांग चुके थे.
हकीकत यह है कि वीडी सावरकर के भाई ने महात्मा गांधी की सलाह 1920 में मांगी थी। इससे पहले ही सावरकर दो बार अंग्रेजों से अपनी रिहाई की गुहार लगा चुके थे। विक्रम संपत की किताब Echoes from a Forgotten Past, 1883-1924 में इस बारे में जो ब्योरा दर्ज है, उस पर एक नजर:
सावरकर का माफीनामा और सच
महात्मा गांधी को पहली चिट्ठी लिखी गई 1920 में जबकि अंग्रेजों को पहली दया याचिका दी गई 1911 में। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें 13 मार्च 1910 को नासिक के तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट एएमटी जैक्सन की हत्या के मामले में अरेस्ट किया गया था। 4 जुलाई 1911 में उन्हें अंडमान निकोबार स्थित काला पानी (सेसुलर जेल) भेज दिया था।
हालांकि, सावरकर उस समय लंदन में थे जब जैक्सन को मारा गया। उनके ऊपर आरोप था कि जैक्सन को मारने के लिए जिस हथियार का इस्तेमाल किया गया था उसका इंतजाम सावरकर ने ही किया था। सावरकर और उनके बड़े भाई गणेश दामोदकर सावरकर रिवॉल्यूशनरी ग्रुप मित्र मेला के संस्थापक थे। अभी इसे अभिनव भारत के नाम से जानते हैं। यह भूमिगत होकर काम करता था। जैक्सन की हत्या में इस ग्रुप का नाम सामने आया था।
1911 का माफीनामा
गणेश सावरकर को इस घटना से तकरीबन एक साल पहले एक अन्य ब्रिटिश अधिकारी की हत्या के लिए गिरफ्तार किया जा चुका था। वीडी सावरकर ने अपनी पहली दया याचिका 1911 में दाखिल की थी। ब्रिटिश सरकार के प्रोटोकॉल के तहत सभी राजनीतिक कैदियों को अपनी रिहाई के लिए दया याचिका दाखिल करनी होती थी। दिल्ली दरबार की गुडविल के लिए तत्कालीन सरकार ऐसा करती थी।
बताया जाता है कि अन्य कैदियों के साथ वीडी सावरकर ने भी जेल अधिकारियों के पास दया याचिका दाखिल की थी। उनकी याचिका 30 अगस्त 1911 को जेल प्रशासन ने रिसीव की थी। हालांकि, इसकी कोई प्रति फिलहाल उपलब्ध नहीं है। ‘जेल हिस्ट्री टिकट’में ही इसका केवल संदर्भ उपलब्ध है। जब यह याचिका दाखिल की गई तब महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में थे। वीडी सावरकर ने दूसरी दया याचिका 14 नवंबर 1913 को दाखिल की थी। उस समय भी गांधी जी विदेश में थे.
साल 1920 में वीडी सावरकर के छोटे भाई नारायण दामोदर सावरकर को गांधी जी ने सलाह दी थी कि वह एक दया यचिका दाखिल करके अंग्रेजों से गुहार लगाए कि वीडी सावरकर के ऊपर जो आरोप हैं उनकी पृष्ठभूमि पूरी तरह से राजनीतिक थी।
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