भैया भक्त ने बताया-क्यों एक नहीं हो रहे चाचा शिवपाल और अखिलेश यादव ?
‘शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच सुलह का रास्ता तो 2 मिनट में निकल आए लेकिन रामगोपाल यादव चाचा-भतीजे के बीच दरार बनाए रखने के लिए बड़ा षड्यंत्र कर रहे हैं’
फिरोजाबाद में रहने वाले राम सिंह यादव यह कहते हुए गुस्से से आगबबूला हो जाते हैं. राम सिंह ने अपनी पूरी जिंदगी मुलायम सिंह के अलावा किसी दूसरे को वोट नहीं दिया. 2017 में जब पार्टी में फूट पड़ी तब भी राम सिंह सपा के साथ ही खड़े रहे. लेकिन 2022 में वह अखिलेश यादव और शिवपाल यादव को अलग-अलग देखना नहीं चाहते. राजनीति ऑनलाइन से बात करते हुए राम सिंह यादव ने अपनी तस्वीर छापने से इंकार कर दिया लेकिन उन्होंने यह जरूर कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में अगर चाचा भतीजे एक नहीं हुए तो समाजवादी पार्टी 100% हार जाएगी.
2022 में रामगोपाल यादव बनेंगे हार की वजह?
रामसिंह कट्टर सपाई हैं और मुलायम सिंह यादव की बुराई बर्दाश्त नहीं कर सकते लेकिन 2017 में जो कुछ भी हुआ उसके बाद उनका मन खट्टा हो गया है. राम सिंह कहते हैं कि वह आखिरी बार 2022 में अखिलेश यादव को दोबारा मुख्यमंत्री बनता हुआ देखना चाहते हैं लेकिन रामगोपाल शायद ऐसा होने नहीं देंगे. उन्होंने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में फिरोजाबाद लोकसभा सीट पर क्या हुआ सब ने देखा. अगर शिवपाल यादव को साथ लेकर चुनाव लड़ा होता तो यह दुर्गति नहीं होती. राम सिंह कहते हैं क्या अखिलेश यादव को अपना अच्छा बुरा खुद सोचना चाहिए ना कि हर बात के लिए रामगोपाल के ऊपर निर्भर रहना चाहिए.
शिवपाल यादव की वापसी से कम हो जाएगा रामगोपाल यादव का कद
राम सिंह कहते हैं कि भले ही वह राजनीति में ना हो लेकिन वह मुलायम सिंह यादव को भी शुरू से जानते हैं और शिवपाल सिंह यादव को भी…उनका कहना है कि दोनों भाइयों ने समाजवादी पार्टी को खड़ा करने के लिए खून पसीना लगाया है और अब रामगोपाल यादव ने चाचा भतीजे को अलग करके मलाई काटने का इंतजाम कर लिया है. और इसी मलाई काटने के चक्कर में समाजवादी पार्टी की 2017 और 2019 के चुनाव में दुर्गति हुई. इसलिए अगर 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को सरकार बनानी है तो सबसे पहले रामगोपाल यादव को षड्यंत्र करने से रोकना होगा.
फिरोजाबाद जिले के कई लोग है रामगोपाल से नाखुश
नाम ना छापने की शर्त पर फिरोजाबाद जिले के कई लोग आपको यह कहते हुए मिल जाएंगे कि रामगोपाल यादव हनक में रहते हैं और इसी हनक की वजह से 2019 के चुनाव में उनका बेटा चुनाव हार गया. 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले ना सिर्फ फिरोजाबाद बल्कि मैनपुरी, इटावा जैसे जिलों के पुराने समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता भी शिवपाल यादव और अखिलेश यादव का मिलन चाहते हैं. एक कार्यकर्ता और सपा समर्थक अंदर खाने इस बात उसे भी इत्तेफाक रखते हैं कि चाचा भतीजे के मिलने में सबसे बड़ा रोड़ा रामगोपाल यादव हैं.
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