काले धन को सफेद करने वालों की अब संसद ने भी कर दी मदद, हो गई बल्ले बल्ले

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काले धन को वापस लाएंगे और मंदिर वहीं बनाएंगे…यह दो बातें 2014 में भारतीय जनता पार्टी को सत्ता में लाने और नरेंद्र मोदी को पीएम बनाने में बहुत कारगर साबित हुई थीं. लेकिन अब सरकार के सुर बदल गए हैं.

मोदी सरकार ने सोमवार को कहा कि पिछले 10 वर्ष से स्विस बैंक में छिपाये गये काले धन का कोई आधिकारिक अनुमान नहीं है. वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि इस साल 31 मई तक काला धन अधिनियम, 2015 की धारा 10(3)/10(4) के तहत 66 मामलों में निर्धारण आदेश जारी किये गये हैं जिसमें 8,216 करोड़ रुपये की मांग की गयी है. लोकसभा में विन्सेंट एच पाला के प्रश्न के लिखित उत्तर में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने यह बात कही. उन्होंने यह भी कहा कि हाल के वर्षों में विदेशों में छिपाये गये काले धन को वापस लाने के लिए सरकार ने अनेक प्रयास किये हैं जिनमें काला धन एवं कर अधिरोपण कानून को प्रभावी करना, विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करना आदि शामिल हैं.

काले धन पर सरकार की खुली पोल, क्या यह भी जुमला था?

काले धन पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए चौधरी ने कहा, एचएसबीसी मामलों में लगभग 8,465 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति को कर के अधीन लाया गया है और 1,294 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है. आईसीआईजे (खोजी पत्रकारों का अंतरराष्ट्रीय संघ) मामलों में लगभग 11,010 करोड़ रुपये की अघोषित आय का पता चला है. चौधरी ने कहा कि पनामा पेपर्स लीक मामलों में 20,078 करोड़ रुपये (लगभग) के अघोषित जमाधन का पता चला है. वहीं पेराडाइज पेपर्स लीक मामलों में लगभग 246 करोड़ रुपये के अघोषित जमाधन का पता चला है.

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वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी बड़े ही सधे हुए लहजे में काले धन पर सरकार का बचाव करते हुए निकल गए लेकिन वह भूल गए यही मुद्दा 2014 में सबसे ज्यादा गर्म था और इसी ब्लैक मनी से हिंदुस्तान की अर्थव्यवस्था का कायाकल्प होना था. यानी अब यह बात सिद्ध हो गई है कि ब्लैक मनी वापस लाने की बात भी महज एक जुमला थी.

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