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मिल्खा सिंह: जिनकी उड़ान ने दुश्मनों को भी हैरान कर दिया था

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भारत के महान फर्राटा धावक मिल्खा सिंह (Milkha Singh) का एक महीने तक कोरोना संक्रमण से जूझने के बाद शुक्रवार को निधन हो गया. उन्होंने शुक्रवार रात 11:30 बजे अस्पताल में अंतिम सांस ली.

महान फर्राटा धावक मिल्खा सिंह (#MilkhaSinghji) का एक महीने तक कोरोना संक्रमण से जूझने के बाद शुक्रवार को निधन हो गया. उन्होंने शुक्रवार रात 11:30 बजे अस्पताल में अंतिम सांस ली. 13 जून को उनकी पत्नी और भारतीय वॉलीबॉल टीम की पूर्व कप्तान निर्मल कौर ने भी कोरोना संक्रमण के कारण दम तोड़ दिया था. पद्मश्री मिल्खा सिंह 91 वर्ष के थे. उनके परिवार में उनके बेटे गोल्फर जीव मिल्खा सिंह और तीन बेटियां हैं. ‘फ्लाइंग सिख’ के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनकड़, बॉलीवुड एक्टर शाहरुख खान, पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण समेत कई हस्तियों ने उन्हें नम आंखों से श्रद्धांजलि दी.

1929 में अविभाजित भारत में जन्मे मिल्खा सिंह की कहानी जीवटता की कहानी

ऐसा शख़्स जो विभाजन के दंगों में बाल-बाल बचा, जिसके परिवार के कई सदस्य उसकी आंखों के सामने क़त्ल कर दिए गए, जो ट्रेन में बेटिकट सफ़र करते पकड़ा गया और जेल की सज़ा सुनाई गई और जिसने एक गिलास दूध के लिए सेना की दौड़ में हिस्सा लिया और जो बाद में भारत का सबसे महान एथलीट बना. 1960 के रोम ओलंपिक में विश्व रिकॉर्ड तोड़ने के बावजूद मिल्खा सिंह भारत के लिए पदक नहीं जीत पाए और उन्हें चौथे स्थान पर संतोष करना पड़ा. मिल्खा सिंह ने पहली बार विश्व स्तर पर अपनी पहचान तब बनाई, जब कार्डिफ़ राष्ट्रमंडल खेलों में उन्होंने तत्कालीन विश्व रिकॉर्ड होल्डर मैल्कम स्पेंस को 440 गज की दौड़ में हराकर स्वर्ण पदक जीता.

पिछले महीने कोरोना हुआ था और बुधवार को उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई

बताते चलें कि मिल्खा सिंह की हालत शुक्रवार शाम से ही खराब थी और बुखार के साथ उनका ऑक्सीजन लेवल भी कम हो गया था. वह यहां पीजीआईएमईआर के आईसीयू में भर्ती थे. उन्हें पिछले महीने कोरोना हुआ था और बुधवार को उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई थी. उन्हें जनरल आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया था. गुरूवार की शाम से पहले उनकी हालत स्थिर हो गई थी. उनकी पत्नी 85 वर्षीय निर्मल का रविवार को एक निजी अस्पताल में निधन हुआ था.

चार बार के एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता मिल्खा ने 1958 राष्ट्रमंडल खेलों में भी पीला तमगा हासिल किया था. उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन हालांकि 1960 के रोम ओलंपिक में था, जिसमें वह 400 मीटर फाइनल में चौथे स्थान पर रहे थे. उन्होंने 1956 और 1964 ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया. उन्हें 1959 में पद्मश्री से नवाजा गया था.

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