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इसराइल और फलस्तीन के बीच क्या सब कुछ ठीक हो गया है या अभी भी आग सुलग रही है?

इसराइल और फलस्तीन के बीच 11 दिन तक चले हिंसक संघर्ष के रुकने के बाद दोनों ओर से आ रही प्रतिक्रियाओं से लगता है कि अभी हालात सामान्य नहीं हुए हैं. क्या संघर्षविराम के बाद अब भी कुछ सुलग रहा है? यह जानना जरूरी है.

21 मई को इसराइल और फलस्तीन ने संघर्षविराम की घोषणा की. दोनों ने ही संघर्ष विराम को इस ‘टकराव में अपनी जीत’ बताया. संघर्ष-विराम के लागू होते ही बड़ी संख्या में फ़लस्तीनी लोग ग़ज़ा में सड़कों पर उतरकर जश्न मनाने लगे थे. दूसरी तरफ इसराइल की संघर्ष विराम को अपनी जीत के तौर पर देख रहा है. दोनों पक्षों ने 11 दिन की लड़ाई के बाद आपसी सहमति से संघर्ष-विराम का निर्णय लिया.

इसराइल और फलस्तीन फिर आ सकते हैं आमने सामने

इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने सीज़फ़ायर के ऐलान के बाद हमास को एक बेहद कड़ा संदेश दिया है. उन्होंने हमास को चेताया है कि वो भविष्य में रॉकेट हमला करने के बारे में सोचे भी न. शुक्रवार को युद्धविराम प्रभाव में आने के बाद नेतन्याहू ने अपने एक भाषण में कहा, “अगर हमास को लगता है कि हम भविष्य में रॉकेट की बौछार सह लेंगे तो वो ग़लत हैं.” उन्होंने यह भी कहा कि अब अगर इसराइल के किसी भी हिस्से में किसी भी तरह की आक्रामकता देखने को मिली तो उसका जवाब ‘नए दमखम’ से दिया जाएगा. इससे पहले हमास ने कहा था कि “उसके हाथ ट्रिगर से हटे नहीं हैं”. यानी वो हमले की स्थिति में जवाब देने के लिए तैयार है.

इसराइल और फलस्तीन विवाद पर क्या है मुस्लिम देशों का रुख?

इसराइल और फलस्तीन के बीच हुए संघर्ष विराम पर तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने कहा है कि “वो दुनिया को दिखाएंगे कि इसराइल कितना बड़ा आतंकी मुल्क़ है.” अर्दोआन ने कहा कि “हमारे विदेश मंत्री और उनके समकक्ष, जिनके साथ हम सहयोग से कार्य करते हैं, उन्होंने गुरुवार को हमारे एक सांसद और यूएनजीए के अध्यक्ष वोल्कन बोज़किर की अध्यक्षता में एक सफ़ल सत्र आयोजित किया.”

इसराइल और फ़लस्तीनियों के बीच संघर्ष विराम की ख़बर आने के बाद, संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्रालय द्वारा संयुक्त राष्ट्र में एक बयान दिया गया. इसमें संयुक्त अरब अमीरात ने कहा है कि “यूएई इसराइल और फ़लस्तीनियों के बीच बढ़ते तनाव और हिंसा को लेकर बहुत चिंतित था. इसमें जो लोग मारे गए, उनके परिवारों के साथ हमारी पूरी संवेदना है. इस हिंसक संघर्ष को रुकवाने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने बार-बार जो शांति की अपील की, उसके लिए हम संगठन का शुक्रिया अदा करते हैं.” क़तर के विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान अल-थानी ने इसराइल और फ़लस्तीनियों के बीच युद्ध-विराम का स्वागत किया है.

क्या वाकई इसराइल और फलस्तीन मान गए हैं?

11 दिनों तक चली इस हिंसा में हमास ने इसराइल पर 4,000 रॉकेट दागे और इसराइली हिंसा ने जवाबी कार्रवाई करते हुए गज़ा में 1500 ठिकानों को निशाना बनाया. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़ इस हिंसा के कारण गज़ा में कम से कम 243 लोगों की मौत हुई जिनमें 100 से ज़्यादा महिलाएं और बच्चे थे. लेकिन अब संघर्ष विराम के बाद हालात सामान्य करने की कोशिशें की जा रही हैं.

लेकिन इसका यह अर्थ कतई नहीं है कि दोबारा से युद्ध नहीं हो सकता. सीज़फ़ायर या युद्धविराम दोनों पक्षों द्वारा हमेशा के लिए या एक निश्चित अवधि तक युद्ध रोकने का ऐलान है. अतीत में भी ऐसा हुआ है, जब इसराइल और हमास ने युद्धविराम का उल्लंघन करते हुए फिर से लड़ाई शुरू कर दी थी. इसराइल और हमास के बीच किन शर्तों पर संघर्षविराम हुआ है यह अभी तक स्पष्ट नहीं है लेकिन सीज़फ़ायर की इस पूरी प्रक्रिया में अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र, मिस्र और क़तर की बड़ी भूमिका रही है.

ग़ज़ा पट्टी में अभी क्या है हालात?

इसराइल ने ग़ज़ा पट्टी तक मानवीय मदद पहुँचने के लिए एक क्रॉसिंग पॉइंट खोल दिया है. इसराइल में आवाजाही पर लगी ज़्यादातर आपातकालीन पाबंदियाँ हटाई जा चुकी हैं और कुछ ही दिनों में शुरू हो जाएंगी. इस युद्धविराम की कोई समयसीमा तय नहीं की गई है और दुनिया भर के नेता उम्मीद जता रहे हैं कि यह हमेशा के लिए रहेगा.

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