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कोरोना मरीजों की जान लेने वाला साइटोकाइन स्टॉर्म क्या है ?

साइटोकाइन स्टॉर्म नाम की एक अवस्था कोरोना संक्रमित मरीजों में विकसित हो रही है. यह जानलेवा भी हो सकती है. जानिए क्या होती है यह अवस्था और यह आपके शरीर पर क्या असर करती है?

कोविड-19 संक्रमण के मामलों में आपने साइटोकाइन स्टॉर्म नाम की अवस्था के बारे में कई बार सुना हो. इसे कोरोना के संक्रमण के मामलों में मल्टिपल-ऑर्गन फेलियर यानी कई अंगों के काम करना बंद कर देने के लिए जिम्मेदार कारणों में से एक अहम कारण माना जाता है. आवश्यक अंगों के काम करना बंद कर देने से मरीज की मौत भी जाती है. साइटोकाइन हमारे शरीर की कोशिकाओं यानी सेल के अंदर एक तरह के प्रोटीन होते हैं.

साइटोकाईन स्टॉर्म तब होता है जब शरीर को संक्रमित करने वाला वायरस इम्यून सिस्टम पर ऐसा असर करता है कि शरीर में आवश्यकता से ज्यादा काफी बड़ी मात्रा में और अनियंत्रित रूप से साइटोकाईन बनने लगते हैं. इतनी बाड़ी मात्रा में एक साथ जन्मे साइटोकाईन कोशिकाओं पर ही हमला करना लगते हैं जिससे शरीर पर बुरा असर पड़ता है और अंग काम करना बंद करने लगते हैं.

साइटोकाइन स्टॉर्म शरीर पर क्या असर करते हैं?

साइटोकाइन स्टॉर्म जानलेवा हो सकता है, लेकिन इसके घातक असर को लेकर अभी तक कोई व्यापक अध्ययन नहीं हुआ है. हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि कई मामलों में कोविड-19 से संक्रमित और गंभीर रूप से बीमार लोगों में देखा गया है कि उनके शरीर में साइटोकाइन स्टॉर्म शुरू होने के बाद उनकी हालत तेजी से खराब हो गई. इसकी वजह से दिल की धमनियां फूल सकती हैं, जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है. नसों में खून का जमना या थ्रोम्बोसिस भी हो सकता है.

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