कोरोना का आंध्र प्रदेश वैरिएंट कितना खतरनाक है इस बात का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि विशाखापत्तनम में ये मौजूदा वायरस की तुलना में 1000 गुना तेज़ी से फैल रहा है.
कोरोना का आंध्र प्रदेश वैरिएंट…जो भी इसके बारे में सुन रहा है उसके पैरों तले जमीन खिसक जा रही है क्योंकि यह मौजूदा वायरस से कहीं ज्यादा खतरनाक है. कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस का एक वैरिएंट कुर्नूल में सबसे पहले देखा गया और विशाखापत्तनम में ये मौजूदा वायरस की तुलना में 1000 गुना तेज़ी से फैल रहा है. कोरोना का आंध्र प्रदेश वैरिएंट की वजह से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लोग काफी सहमे हुए हैं. दिल्ली सरकार ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से आने वाले लोगों पर पाबंदी भी लगा दी है. तू क्या वाकई में कोरोना का आंध्र प्रदेश वैरिएंट इतना खतरनाक है?
कोरोना का आंध्र प्रदेश वैरिएंट क्यों खतरनाक है?
कोरोना के आंध्र प्रदेश वैरिएंट के बारे में बताने से पहले आपको वायरस के वैरिएंट के बारे में बताते हैं. एक वायरस किसी व्यक्ति के शरीर में पनपने लगता है. विज्ञान की भाषा में कहें तो मनुष्य के शरीर में ये वायरस अपने सेल्स (कोशिकाओं) की संख्या बढ़ाने लगता है. इस प्रक्रिया को हम रेप्लिकेशन या प्रतिकृति बनाना कहते हैं. फिर ये एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने लगता है और इसी तरह से इसका विकास होता है. इस प्रक्रिया में ये आप बदलने भी लगता है जिसे विज्ञान की भाषा में म्यूटेशन कहा जाता है. अलग-अलग हो रहे ये म्यूटेशन दो-तीन महीने की अवधि में एक वैरिएंट बन जाते हैं. जब से कोरोना वायरस अस्तित्व में आया है, इसके सैकड़ों-हज़ारों म्युटेशन हुए हैं और उनमें से कुछ वैरिएंट बन गए हैं.
कोरोना वायरस के सैकड़ों वैरिएंट्स हैं
दुनिया में कोरोना वायरस के सैकड़ों वैरिएंट्स हैं लेकिन उनमें से हमें केवल तीन को गंभीरता से लेना चाहिए. वे दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और ब्रितानी वैरिएंट हैं. यही वो वैरिएंट्स हैं जिनका ऊपर जिक्र किया गया है. इसके अलावा सात अन्य वैरिएंट हैं जिन पर हमें नजर रखनी है. इन सात वैरिएंट्स में एक महाराष्ट्र वैरिएंट है. जिसे ब्रितानी वैरिएंट बताया जा रहा है, उसके 23 म्यूटेशन हो चुके हैं और महाराष्ट्र वैरिएंट के 15 म्यूटेशन हैं.
कोरोना का आंध्र प्रदेश वैरिएंट को N440K का नाम दिया गया
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में फैले कोरोना वैरिएंट को N440K का नाम दिया गया है. कोरोना के N440K की अब कोई अहमियत नहीं रह गई है. कई महीनों पहले ये अस्तित्व में था और अब ये ख़त्म हो गया है. दक्षिण भारत के पांच फीसदी मामलों के लिए भी शायद ये वैरिएंट अब ज़िम्मेदार नहीं है. इससे भी ऊपर ये कहना ग़लत है कि ये 1000 गुना तेज़ी से फैलता है. लैब में एक वायरस तेजी से फैल सकता है लेकिन मनुष्य के शरीर में ये उतनी तेजी से नहीं पनपता है. क्योंकि लैब में वायरस को किसी प्रतिस्पर्धा का सामना नहीं करना पड़ता है. शरीर के पास प्रतिरोधक क्षमता भी होती है जो लैब में नहीं होती है.
आंध्र प्रदेश कोविड कमांड कंट्रोल सेंटर के चेयरपर्सन केएस जवाहर रेड्डी ने कहा, “कोरोना वायरस के N440K वैरिएंट को लेकर चिंता करने जैसी कोई बात नहीं है. पिछले साल जून-जुलाई में इसकी पहचान की गई थी. ये दिसंबर, जनवरी और फरवरी में फैला और मार्च में खत्म हो गया. इसके संक्रमण के मामले तीन राज्यों में देखने को मिले थे लेकिन ये बहुत कम फैला था.”
कोरोना वायरस का N440K म्यूटेंट उतना गंभीर नहीं
ग्लोबल इन्फ्लुएंज़ा सर्विलांस एंड रिस्पॉन्सिव सिस्टम (जीआईएसएआईडी) से दुनिया भर के कई संगठन और प्रमुख वैज्ञानिक जुड़े हुए हैं. जीआईएसएआईडी का भी कहना है कि कोरोना वायरस का N440K म्यूटेंट उतना गंभीर नहीं है.
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