नई दिल्ली का चेहरा बदलने वाली महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा परियोजना का काम जारी है. दिल्ली के दिल में 20 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक की लागत से पूरी होने वाली इस सरकारी परियोजना को ‘आवश्यक सेवा’ घोषित किया गया है.
जब देश भयानक आपदा की गिरफ्त में है और लोग ऑक्सीजन के बगैर तड़प तड़प कर मर रहे हैं तब सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की क्या जरूरत है? मोदी सरकार इस सवाल का जवाब देने में असमर्थ है. विपक्ष कह रहा है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के लोगों को मरता हुआ देख कर भी पसीज नहीं रहे हैं और सरकार मोदी महल बनाने में व्यस्त है.
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट आवश्यक सेवा कैसे?
इस सरकारी परियोजना को ‘आवश्यक सेवा’ घोषित किया गया है और यह सुनिश्चित किया गया है कि दिल्ली में लॉकडाउन होने के बावजूद इस परियोजना पर मज़दूर काम करते रहें. सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत एक नए संसद भवन और नए केंद्रीय सचिवालय के साथ राजपथ के पूरे इलाके का री-डेवलपमेंट होना है. दिल्ली में 19 अप्रैल से लगे लॉकडाउन के बावजूद सेंट्रल विस्टा का काम जारी रखा गया और इसके लिए दिल्ली पुलिस ने अनुमति भी दी. केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी और शहरी विकास सचिव इस बात का जवाब नहीं दे पा रहे हैं कि यह प्रोजेक्ट आवश्यक सेवा कैसे है.
केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक पीएस चौहान सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर रहे हैं. उनके मुताबिक “जहाँ साइट पर मज़दूर उपलब्ध हैं, वहां काम जारी रखने की अनुमति है. एक सीमित संख्या में जो मज़दूर साइट पर उपलब्ध हैं, वो काम कर रहे हैं. वो तो काम कर ही सकते हैं क्योंकि निर्माण कार्यों की अनुमति है अगर वो साइट पर काम कर रहे हैं. जो दिल्ली पुलिस से अनुमति मांगी गई है वह कंक्रीट जैसी निर्माण सामग्री लाने के लिए है.”
सेंट्रल विस्टा का विरोध करने वाले क्या कहते हैं?
सेंट्रल विस्टा परियोजना का शुरुआत से ही विरोध कर रहे जाने-माने आर्किटेक्ट नारायण मूर्ति कहते हैं, “क्यों इसे आवश्यक सेवाओं में शामिल किया गया था, इसका उत्तर केवल वही दे सकते हैं जिन्होंने इसकी अनुमति दी. इस परियोजना के बारे में इतना आवश्यक ऐसा कुछ भी नहीं है. इस समय कई और चीज़ें हैं जो ज़्यादा ज़रूरी हैं.”
हालाकि इन आलोचनाओं का जवाब केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी कई बार दे चुके हैं, उन्होंने इस साल के शुरू में समाचार एजेंसी एएनआई से कहा था, “नई इमारत भारत की आकांक्षाओं को दर्शाएगी, मौजूदा इमारत 93 साल पुरानी है जिसका निर्माण भारत की निर्वाचित सरकार ने नहीं किया था, इसका निर्माण औपनिवेश काल में हुआ था.” इन आलोचनाओं के बीच इसी सवाल पर फ़रवरी में शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने कहा था, “सेंट्रल विस्टा आधुनिक भारत का प्रतीक होगा. कुछ लोग इसका महत्व नहीं समझते हैं, कुछ लोग देश को विकास करते नहीं देख सकते.”
#ModiMahal क्या है?
रायसीना हिल पर पुरानी इमारतों को सुधारने, आम सचिवालय भवनों को बेहतर बनाने, पुराने संसद भवन का नवीनीकरण करने और सांसदों की आवश्यकता अनुसार नई जगह बनाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने सेंट्रल विस्टा परियोजना शुरू की है. इस परियोजना पर लगभग 20 हज़ार करोड़ रुपये के ख़र्च होने का अनुमान है.
सेंट्रल विस्टा का काम नवंबर 2021 तक, नए संसद भवन का काम मार्च 2022 तक और कॉमन केंद्रीय सचिवालय का काम मार्च 2024 तक पूरा किया जाना है.
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