हार्ट अटैक से बचने के लिए आपको अपने दिल को समझाना होगा. छाती में दिल के अलावा भी ढेरों अंग-संरचनाएं होती हैं लिहाजा सीने का दर्द क्यों है इसे समझने की जरूरत है.
हम गर्दन के नीचे, और नाभि के ऊपर के हर दर्द को लेकर कुछ चिंतित हो जाते हैं. हमने ऐसे ही अचानक आए छाती के दर्द में हार्ट अटैक से मरते लोगों को देखा है, सुना है और इनके बारे में पढ़ा भी है. हमें पता ही नहीं कि छाती का दर्द हार्ट अटैक के अलावा किसी अन्य कारण से भी हो सकता है. यहां हम आपको यही समझाने की कोशिश करेंगे कि छाती का दर्द होने पर हर बार यह जरूरी नहीं कि हम छाती पकड़कर हार्ट अटैक का रोना रोने लगें.
हार्ट अटैक को समझना जरूरी
सबसे पहले तो यह जान लें कि वह इलाका जिसे हम छाती कहते हैं, उसमें केवल एक दिल ही नहीं रहता. छाती में दिल के अलावा दूसरे बहुत से अंग और रचनाएं भी हैं और इनके कारण भी दर्द हो सकता है. खाने की नली. इस नली को मेडिकल साइंस की भाषा में हम ईसोफेगस कहते हैं. यह आपके मुंह को नीचे पेट से जोड़ती है. इसी नली के जरिए, गुटका के बाद खाना या पानी, नीचे उतरकर पेट में जाता है. बहुत बार छाती का दर्द खाने की इसी नली में एसिडिटी बढ़ने से या इस नली की मूवमेंट में रुकावट या असंतुलन के कारण भी हो सकता है.
हालांकि कई बार यह दर्द दिल के दर्द से इतना मिलता-जुलता है कि जब तक एंजियोग्राफी द्वारा यह सिद्ध ना हो जाए कि दिल में सब कुछ ठीक-ठाक है तब तक हम इसे ईसोफेगस का दर्द कहने से डरते रहते हैं.
छाती के दर्द के और भी कारण हो सकते हैं
छाती का पिंजरा पसलियों, कार्टिलेज, मांसपेशियों और इनके जोड़ों से बनता है. इस पिंजरेनुमा स्ट्रक्चर में दोनों तरफ बारह-बारह पसलियां हैं, बीच में एक बड़ी हड्डी का टुकड़ा है जिसे हम मैनूब्रियम स्टर्नी कहते हैं. पसली, पीछे रीढ़ की हड्डी से चलकर घूमती हुई आगे आकर एक कार्टिलेज के टुकड़े में जुड़ जाती है. ये जोड़ कॉस्टोकॉन्ड्रल जंक्शन कहलाते हैं. दर्द इन जोड़ों में भी आ सकता है और यह बहुत तेज हो सकता है. इन जोड़ों में दर्द के साथ सूजन भी हो सकती है. यह दर्द भी इतना तेज हो सकता है कि आप घबरा जाएं कि कहीं मुझे हार्ट अटैक तो नहीं हो रहा! फिर इन पसलियों के बीच-बीच में मांसपेशियां भी होती हैं. इन्हें हम इंटरकॉस्टल मसल्स कहते हैं. दर्द इन मांसपेशियों में भी हो सकता है.
फफड़े के कारण भी हो रहा है दर्द
छाती में दर्द का एक महत्वपूर्ण कारण फेफड़े और फेफड़े के ऊपर की एक झिल्ली जिसे प्लूरा कहा जाता है, की कोई बीमारी भी हो सकती है. इस झिल्ली के अंदर यदि कोई बीमारी हो जाए, जैसे कि निमोनिया या मान लें कि फेफड़े की झिल्ली में कोई इनफेक्शन हो जाए (जिसे प्लूराइटिस कहते हैं) तो यह दर्द भी बहुत तेज होगा. सांस लेने से, गहरी सांस खींचने से यह बढ़ेगा. यह दर्द भी इतना तेज हो सकता है कि आदमी उस जगह छाती को हथेली से दबाये हुए डॉक्टर के पास पहुंचे.
कई बार, कभी कोई छोटी-मोटी चोट आपकी छाती में लगी हो जिस पर उस समय आपका ध्यान ही ना जाए, तो भी इसकी वजह से बाद में छाती में तेज दर्द हो सकता है. यह हल्के-फुल्के तरीके से टकराने से लगी चोट भी हो सकती है. या फिर आप छोटे से बच्चे को गोदी में लेकर खेल रहे थे कि उसका पैर छाती में जोर से लग गया और उस समय आपको कुछ भी नहीं हुआ और तीन दिन बाद आपको उसी जगह तेज दर्द हो रहा है. इसी तरह किसी एक्सीडेंट के बाद आपको बेहद तेज दर्द, पसलियों के फ्रैक्चर का भी हो सकता है.
तो आपने देखा कि हार्ट अटैक के अलावा भी छाती में दर्द के पचासों अन्य कारण भी हो सकते हैं. इनमें से हमने अभी पेट की उन बीमारियों की तो बात ही नहीं की जिनमें छाती का दर्द हो सकता है. लिवर में कोई बीमारी, या स्टमक में छाला या गॉलब्लेडर अथवा पेनक्रियाज में कोई पथरी या इनफेक्शन होने से भी छाती में दर्द हो सकता है. कभी ऐसा भी होता है कि पेट की थैली जिसे आप स्टमक बोलते हैं, वह खिसककर आपकी छाती में आ गई हो. इसे हम हायटस हर्निया कहते हैं. यह भी छाती में दर्द पैदा कर सकता है.
तो छाती के हर दर्द को आप दिल का दर्द मानकर घबराने न लगे जायें, सीधे हार्ट स्पेशलिस्ट के पास ना पहुंच जाए. किसी अच्छे मेडिकल स्पेशलिस्ट को पहले दिखाएं. अगर वह महसूस करेगा तो अवश्य हार्ट स्पेशलिस्ट के पास भेजेगा.
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