गांजा उद्योग सिर्फ नशे सही नहीं जुड़ा है और भी बहुत कुछ है जिसमें गांजे का इस्तेमाल होता है. कई सदियों तक जापान में गांजे के उत्पाद का इस्तेमाल खाना बनाने, कपड़ों और पारंपरिक संस्कारों में किया जाता था.
द्वितीय विश्व युद्ध का दौर था जब जापान का गांजा उद्योग अपनी आखिरी सांसें भरने लगा था. तभी से जापान में ये उद्योग अपनी आखिरी सांसें ले रहा है. लेकिन जापान के किसान चाहते हैं कि गांजा उद्योग के दिन बहुरें…जापान में किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थों के लिए जीरो टॉलरेंस की नीति लागू है.
दूसरे शब्दों में कहें तो यहां सभी प्रकार के नशीले पदार्थों पर रोक है. हालांकि 2020 में टोक्यो में कस्टम अधिकारियों ने साल 2019 के मुकाबले 70 गुना अधिक गांजा जब्त किया. ये सभी तरल पदार्थ के रूप में थे. जब अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी तो यह पूरे देश की सुर्खियों में शामिल हो गया है.
गांजा उद्योग का इतिहास सदियों पुराना है
गांजा एक ऐसी फसल है जिसका इतिहास जापान में सदियों पुराना है. लेकिन जब गांजा और चरस को मिला कर बात की जाती है हो लोग गांजे को भी नशे के समान की तरह देखते हैं. परंपरागत रूप से जापानी संस्कृति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले लोगों को गांजा उद्योग के लाभ के लिए प्रेरित करना कठिन काम है.
“जापानी लोग अतीत में कई चीजों के लिए गांजे का उपयोग करते थे लेकिन कानून बनने के कारण लोग भूल गए कि गांजे का किस तरह से इस्तेमाल किया जाता था.”
जापान में बहुत मशहूर था गांजा उद्योग
जापान के कई हिस्सों में गांजा उगाया जाता था. इसका इस्तेमाल कपड़ों, घरेलू सामान और यहां तक कि धार्मिक आयोजनों में भी होता था लेकिन अब यह सब नहीं होता. सदियों तक गांजा पूरे जापान में एक सामान्य फसल थी जिसका इस्तेमाल पवित्र रस्सियों में किया जाता था. इन रस्सियों का इस्तेमाल मंदिरों और सूमो पहलवानों के औपचारिक बेल्ट में होता था.
गांजे के पौधों के डंठल के रेशों का इस्तेमाल कपड़े बनाने के लिए किया जाता था. इससे शर्ट के साथ मच्छरदानी, मछली पकड़ने के जाल, कागज और पारंपरिक दवा बनती थी, जबकि पौधे के बीजों का इस्तेमाल खाना पकाने में मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता था.
कब लगा गांजा उद्योग पर प्रतिबंध?
द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की हार के बाद देश में अमेरिका के नियंत्रण वाली सरकार बनी. नया कानून लागू किया गया. इस कानून के तहत गांजा और उससे जुड़े उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया गया. इसका असर यह हुआ कि जहां साल 1952 में 5,000 हेक्टेयर में 37,300 किसान इसकी खेती कर रहे थे, वहीं 2015 में मात्र 7.6 हेक्टेयर में इसकी खेती हुई.
मार्च 2017 तक टोक्यो के उत्तर में तोचीगी प्रांत से 90 प्रतिशत घरेलू उत्पादन के लिए मात्र 30 लोगों को इसकी खेती करने की अनुमति थी. 2017 में उद्योग के परमिट और ओवरसाइट के लिए शर्तों को कड़ा किया गया था. जापान के सुदूर दक्षिण-पश्चिम में टोटोरी प्रांत में गांजा उगाने वाली कंपनी के अध्यक्ष को कई स्थानीय लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया था.
गांजा उद्योग के लिए लाइलेंस लेना जरूरी
नए नियमों के तहत गांजे की खेती के लिए हर साल लाइसेंस लेना जरूरी है. जापान के पारंपरिक खेतिहर समुदायों में मजदूरों की कमी की वजह से गांजा किसानों के लिए कारोबार में बने रहना मुश्किल होता जा रहा है. जापान में सिर्फ 10 लोग अब कथित तौर पर गांजा फैक्ट्री से यार्न और स्पिन कपड़े बनाने का काम जानते हैं.
इस उद्योग को अन्य मादक पदार्थों से दूरी बनाने के प्रयास में उत्पादकों ने पौधे की बढ़ती किस्मों पर स्विच किया है, जिनका कोई मादक प्रभाव नहीं है. फिर भी इस बात के बहुत कम संकेत हैं कि अधिकारी गांजे पर अपना रुख बदलने की योजना बना रहे हैं.
सरकार को बदलना होगा नजरिया
जापान में एक लंबे इतिहास के बावजूद, द्वितीय विश्व युद्ध के सरकार का नजरिया गांजा उद्योग को लेकर बदल गया था जो अब तक वही है. जबकि कनाडा, यूरोप के कुछ देशों और अमेरिका के कुछ राज्य “नरम दवाओं” को वैध कर रहे हैं. अधिकारी व्यक्तिगत उपयोग के लिए थोड़ी मात्रा में मनोरंजक नशीले पदार्थों के साथ पकड़े गए लोगों के प्रति सख्ती नहीं दिखा रहे हैं. वहीं, जापान ने सभी तरह के ड्रग्स पर एक समान पाबंदी लगा रखी है.
यह भी पढ़ें:
अपनी राय हमें rajniti.on@gmail.com के जरिये भेजें. फेसबुक और यूट्यूब पर हमसे जुड़ें |