ग्लेशियर टूटने के बाद नदी के ऊपरी हिस्से में एक जगह पर बड़ी मात्रा में मलबा जमा हो गया है और इस कारण राहत कार्य में मुश्किल आ सकती है. उत्तराखंड के चमोली जिले में जिस जगह पर ग्लेशियर से टूटा है वहां कुदरत ने एक और कांड कर दिया है.
हिंदुस्तान टाइम्स अख़बार में छपी एक ख़बर के अनुसार बीते सप्ताह चमोली में ग्लेशियर के टूटने के बाद ऋषि गंगा नदी के ऊपर के हिस्से में बनी झील का दौरा करने के लिए अधिकारियों ने आठ सदस्यीय टीम को वहां भेजा है. वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि बाढ़ प्रभावित रैणी गाँव के नज़दीक छह किलोमीटर ऊपर की तरफ़ ग्लेशियर टूटने के कारण पानी और मलबा जमा हो गया है. यहां से धीरे-धीरे पानी निकलना शुरू हो सकता है जो राहत और बचाव कार्य के लिए मुश्किल का सबब बन सकता है.
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अहमदाबाद स्थित फ़िज़िकल रीसर्च लैब के रिटायर्ड वैज्ञानिक नवीन जुयाल ने अख़बार को बताया कि “ये एक झील सी बन गई है जो पूरी तरह भर गई है. यहां से पानी बहना कभी भी शुरू हो सकता है.” उन्होंने कहा, “एक जगह है, जहाँ रोन्टीगढ़ या रोन्टी नदी ऋषि गंगा नदी से मिलती है. सात फ़रवरी को जब ग्लेशियर टूटा तो उसके कारण आई बाढ़ से मलबा यहां गिरा. इससे ऋषि गंगा का रास्ता रुक गया, अब वहां झील बन गई है जो भर गई है.”
उत्तराखंड के चमोली ज़िले में नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटने से हिमस्खलन हुआ और धौली गंगा, ऋषि गंगा और अलकनंदा नदियों में पानी का स्तर बढ़ गया था. बाढ़ ने तपोवन हाइड्रो-पावर प्रोजेक्ट को तबाह कर दिया था और कई लोग टनल में फंस गए थे.
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