कोरोना वायरस से बचाएगा केकड़ा, ऐसे किया जाएगा इस्तेमाल?

0

हॉर्सशू  क्रैब यानी घोड़े की नाल की आकार वाले केकड़े क़रीब 30 करोड़ सालों से पृथ्वी पर रह रहे हैं. सालों से इनके शरीर के नीले ख़ून का इस्तेमाल इंसानों के लिए दवा बनाने के लिए किया जाता रहा है. अब वैज्ञानिक कोरोना वायरस की संभावित वैक्सीन बनाने के लिए इस केकड़ा पर शोध कर रहे हैं.

केकड़ा बनेगा इलाज का जरिया

  1. केकड़ों का ख़ून इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इससे ये सुनिश्चित करने में मदद मिलती है की नई बनाई दवा में कोई हानिकारक बैक्टीरिया तो मौजूद नहीं है.
  2. केकड़े के ख़ून से मिलने वाले ब्लड सेल (रक्त कोशिकाएं) दवा में मौजूद हानिकारक तत्वों से केमिकली रीएक्ट करते हैं और इस तरह से वैज्ञानिकों को पता चल जाता है कि नई दवा इंसानों के लिए सुरक्षित हैं या नहीं.
  3. हॉर्सशू केकड़ा, धरती पर पाया जाने वाला एकमात्र ऐसा जीव है जिसे इस तरह की टेस्टिंग में इस्तेमाल किया जाता है.
  4. हर साल हज़ारों की संख्या में हॉर्सशू केकड़ों को पकड़ कर अमेरिका की उन लैब्स में भेजा जाता है, जहाँ दवाइयां बनती है. यहां उनके दिल से पास मौजूद नली से ख़ून निकाला जाता है. इसके बाद उन्हें वापस पानी में छोड़ दिया जाता है.
  5. कुछ शोधों में केकड़े के ख़ून का विकल्प मिला जिसके इस्तेमाल को यूरोप में स्वीकृति भी मिल गई. लेकिन अभी भी कई कंपनियां केकड़ों के खून का इस्तेमाल ही कर रही हैं.

कोरोनावायरस को हराने के लिए पूरी दुनिया में कोविड-19 की वैक्सीन बनाने का काम तेजी से चल रहा है. कोरोना के लिए वैक्सीन बनाने के काम में कम से कम 30 कंपनियां लगी हुई हैं. सभी को वैक्सीन की टेस्टिंग के लिए समान प्रक्रिया से गुज़रना होगा. अब सवाल यह है कि क्या सभी कंपनियां वैक्सीन की टेस्टिंग के लिए हॉर्सशू केकड़े का इस्तेमाल करेंगी. क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो उससे केकड़ों की आबादी पर असर पड़ सकता है.

यह भी पढ़ें.

अपनी राय हमें [email protected] के जरिये भेजें. फेसबुक और यूट्यूब पर हमसे जुड़ें |

About Post Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *