गलवान मुद्दे पर फिर घिरी मोदी सरकार, कुछ सवाल जिनके जवाब मिलने जरूरी हैं?

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भारत चीन सीमा विवाद के बाद दोनों तरफ से शांति बहाल करने की कोशिशें शुरू हो चुकी है. लेकिन दोनों देशों की ओर जारी किए गए बयान को लेकर मोदी सरकार फिर विपक्ष के निशाने पर आ गई है.

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच रविवार को टेलीफ़ोन पर बातचीत के बाद शांति बहाली की प्रक्रिया शुरू हुई. ऐसी खबरें आई कि चीन अपने टेंट उखाड़ कर पीछे हट गया है. लेकिन अब रक्षा मामलों के जानकार और कांग्रेस बॉर्डर पर हो रही गतिविधि को लेकर मोदी सरकार को घेर रहे हैं. इसकी वजह है वह बयान जो शांति बहाली की प्रक्रिया शुरू होने के बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने दिया है.

भारत ने क्या बयान दिया?

पहले आपको भारत के विदेश मंत्रालय के बयान के बारे में बता देते हैं, भारत के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया है कि दोनों देशों के प्रतिनिधि, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच रविवार को टेलीफ़ोन पर बातचीत हुई. दोनों देशों ने पूर्वी सीमा पर हाल के दिनों में हुई गतिविधियों पर विस्तार से चर्चा की. इसके बाद ही भारत-चीन के बीच इस बात पर सहमति बनी कि आपसी रिश्तों को बनाए रखने के लिए सीमा पर शांति ज़रूरी है. बयान के दूसरे हिस्से में कहा गया है कि रविवार को हुई बातचीत के बाद भारत-चीन के प्रतिनिधि इस बात पर सहमत हुए कि जल्द से जल्द वास्तविक नियत्रंण रेखा पर सैनिकों के  डिस-एंगेजमेंट की प्रक्रिया शुरू होगी.

भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ़ से जारी बयान के तीसरे हिस्से में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर दोनों देशों के बीच आगे भी बातचीत जारी रहेगा. 

चीन के बयान पर विवाद क्यों?

चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है, भारत और चीन के बीच वेस्टर्न सेक्टर सीमा के गलवान घाटी में जो कुछ हुआ है, उसमें सही क्या है और ग़लत क्या हुआ है- ये स्पष्ट है. चीन अपनी संप्रभुता की रक्षा करने के साथ-साथ इलाक़े में शांति भी बहाल करना चाहता है. हमें उम्मीद है कि भारत, चीन के साथ मिल कर इस दिशा में काम करेगा ताकि जनता की सोच दोनों देशों के रिश्तों के बारे में सकारात्मक हो, आपसी सहयोग से दोनों से अपने मतभेदों को और ना आगे बढ़ाएं और मामले को जटिल ना बनाते हुए भारत-चीन के आपसी रिश्ते की बड़ी तस्वीर पेश करें. दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और सैन्य स्तर की बातचीत का सिलसिला चलता रहेगा.

आपको बता दें कि चीन ने ना तो डिस-एंगेजमेंट शब्द का इस्तेमाल है, ना ही डि-एस्कलेशन की प्रक्रिया का ज़िक्र किया गया है. और यही वजह है की विपक्ष और रक्षा मामलों के जानकार मोदी सरकार पर हमलावर हो गए हैं राहुल गांधी ने ट्वीट करके कुछ सवाल पूछे, उन्होंने कहा

  • सीमा पर यथास्थिति की बात पर भारत सरकार ने दवाब क्यों नहीं बनाया?
  • गलवान में हुई हिंसक झड़प में मारे गए 20 जवानों को चीन ने अपने बयान में सही साबित क्यों करने दिया गया?
  • गलवान घाटी की संप्रभुता का ज़िक्र बयान में क्यों नहीं हैं?

रक्षा मामलों के जानकार ब्रह्म चेलानी ने भी ट्वीट करके कहा है, “चीन की तरफ़ से जारी बयान में ना तो वास्तविक नियंत्रण रेखा के सम्मान की बात है, ना ही यथास्थिति बहाल किए रखने की बात है, ना ही चीन ने अपने बयान में जल्द से जल्द या डि-एस्केलेशन जैसे शब्दों का प्रयोग किया है.” भारत को ये नहीं भूलना चाहिए कि चीन ने अपने बयान में दोनों देशों को अपने रिश्ते को बिग पिक्चर में देखने की बात कही है. ये इस ओर इशारा है कि ना सिर्फ़ एशिया में बल्कि पूरे विश्व की नज़र भारत और चीन के रिश्तों पर है.

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