चीन ने चली एक और खतरनाक चाल, भारत को करनी होगी पुख्ता तैयारी
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर तनाव के बीच चीनी सेना ने लद्दाख के पैंगॉन्ग झील वाले इलाके में अपनी स्थिति मजबूत करनी शुरू कर दी है. द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक उसने फिंगर 4 नाम की जगह पर एक हेलीपैड का निर्माण शुरू कर दिया है. इसके अलावा पैंगॉन्ग झील के दक्षिणी किनारे पर चीनी सैनिकों की संख्या अचानक बढ़ गई है.
पैंगॉन्ग झील का रणनीतिक महत्त्व
- LAC रेखा झील के मध्य से होकर गुजरती है, लेकिन भारत और चीन इसकी सटीक स्थिति के विषय में सहमत नहीं हैं।
- इस झील का 45 किमी. लंबा पश्चिमी भाग भारतीय नियंत्रण में, जबकि शेष चीन के नियंत्रण में है।
- दोनों सेनाओं के बीच अधिकांश झड़पें झील के विवादित हिस्से में होती हैं। हालाँकि इसके इतर झील का कोई विशेष सामरिक महत्त्व नहीं है।
- लेकिन यह झील चुशूल घाटी के मार्ग में आती है, यह एक मुख्य मार्ग है जिसका चीन द्वारा भारतीय-अधिकृत क्षेत्र में आक्रमण के लिये उपयोग किया जा सकता है।
- वर्ष 1962 के युद्ध के दौरान यही वह स्थान था जहाँ से चीन ने अपना मुख्य आक्रमण शुरू किया था, भारतीय सेना ने चुशूल घाटी (Chushul Valley) के दक्षिण-पूर्वी छोर के पहाड़ी दर्रे रेज़ांग ला (Rezang La) से वीरतापूर्वक युद्ध लड़ा था।
चीन नियंत्रण रेखा को भारत की तरफ खिसकाने की रणनीति पर आगे बढ़ रहा है. जानकारों के मुताबिक इससे वह यह संकेत भी दे रहा है कि इलाके में नई यथास्थिति अब यही है. अखबार से बातचीत में एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी इन नए घटनाक्रमों की पुष्टि की है. विशाल पैंगॉन्ग झील का कुछ हिस्सा भारत में पड़ता है और कुछ तिब्बत में. एलएसी इससे होकर गुजरती है.
क्षेत्र में विवाद
- वर्ष 1999 में जब ऑपरेशन विजय के लिये इस क्षेत्र से सेना की टुकड़ी को कारगिल के लिये रवाना किया गया, तो चीन को भारतीय क्षेत्र के अंदर 5 किमी. तक सड़क बनाने का अवसर मिल गया। यह स्पष्ट रूप से चीन की आक्रामकता को इंगित करता है।
- वर्ष 1999 में चीन द्वारा निर्मित सड़क इस क्षेत्र को चीन के व्यापक सड़क नेटवर्क से जोड़ती है, यह G219 काराकोरम राजमार्ग से भी जुड़ती है।
- इन सड़कों के माध्यम से चीन की स्थिति भौगोलिक रूप से पैंगोंग झील के उत्तरी सिरे पर स्थित भारतीय स्थानों की उपेक्षा अधिक मज़बूत बनी हुई है।
- झील के उत्तरी किनारे पर उपस्थित पहाड़ यहाँ एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं, जिसे सेना “फिंगर्स” (Fingers) के नाम से संबोधित करती है। भारत का दावा है कि LAC फिंगर 8 से जुड़ी है।
भारत ने चीन को चेतावनी दी है कि एकपक्षीय रूप से यथास्थिति बदलने की कोशिश के गंभीर नतीजे होंगे. पीटीआई के साथ एक साक्षात्कार में चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिस्री ने कहा कि इससे न सिर्फ सीमा पर शांति प्रभावित होगी बल्कि द्विपक्षीय संबंधों के लिहाज से भी इसके दूरगामी परिणाम होंगे.
चीनी आक्रामकता का क्या कारण है?
- यदि जल शक्ति के संदर्भ में बात करें तो कुछ वर्ष पहले तक इस क्षेत्र में चीन की स्थिति अधिक मज़बूत थी, लेकिन करीब सात साल पहले भारत ने बेहतर गति एवं तकनीक वाली नौकाएँ खरीदी हैं, ताकि इस क्षेत्र में अधिक तेज़ी से आक्रामक प्रतिक्रिया की जा सके।
- हालाँकि दोनों ओर से गश्ती नौकाओं के विस्थापन के लिये बेहतर ड्रिल की व्यवस्था मौजूद है, पिछले कुछ वर्षों में जल के मुद्दों पर टकराव के कारण भी तनाव की स्थिति उत्पन्न हुई है।
यहां हम आपको बता दें कि शांति बहाली के लिए दोनों देशों के बीच सैन्य कमांडर स्तर की बातचीत का दौर जारी है. हालांकि इस बीच चीन कई बार पूरी गलवान घाटी पर दावा कर चुका है जिसे भारत ने खारिज किया है.
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