डीजल इतिहास में पहली बार 80 के पार चला गया लेकिन पीएम मोदी को कोई फर्क नहीं पड़ा, क्यों?

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24 जून 2020, ये तारीख इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई. जीहां. यही वो तारीख है जब मोदी सरकार में एक करामात हुई और इतिहास में पहली बार डीजल का दाम पेट्रोल के पार हो गया. लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हुई लगातार 19वेें दिन डीजल के दामों में इजाफा हुआ और कीमतें 80 के पर चली गई.

देखिए! एक बात तो तय है कि मोदी सरकार रिकॉर्ड बनाने में माहिर है. और ये रिकॉर्ड भी मोदी सरकार के नाम रहा. जैसे जैसे लॉकडाउन खुल रहा है. वैसे वैसे जनता की जेब ढीली हो रही है. लगातार 19वें दिन पेट्रोल के दाम तो नहीं बढ़ाए, लेकिन डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी कर दी है. इस बढ़ोतरी के बाद ऐसा पहली बार हुआ कि जब देश में पेट्रोल से महंगा डीजल हो गया है. पिछले 18 दिनों में डीजल की कीमत में 10.48 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है, जबकि पेट्रोल भी 8.50 रुपये महंगा हुआ है. अब इसमें और बढ़ोतरी हुई है.

डीजल की कीमत बढ़ने से आम आदमी पर इसकी चौतरफा मार पड़ेगी. इससे पब्लिक ट्रांसपोर्ट तो महंगा होगा ही साथ ही महंगाई भी बढ़ेगी. खेती पर भी इसका काफी असर पड़ेगा. पब्लिक ट्रांसपोर्ट के किराए के साथ-साथ ऑटो सेक्टर की बिक्री पर भी इसका गंभीर असर होगा.

पंचायत ऑनलाइन

पेट्रोल-डीजल की कीमत देश में लगातार 19वें दिन बढ़ी है. देश की राजधानी दिल्ली में डीजल की कीमत 80 रुपये के पार पहुंच चुकी है. भारतीय इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब डीजल 80 के पार पहुंचा है. दिल्ली में डीजल की कीमत में 14 पैसे की बढ़ोतरी के साथ अब नई कीमत 80.02 रुपए प्रति लीटर हो गई है. वहीं पेट्रोल की कीमत में भी 16 पैसे की बढ़ोतरी हुई है. इन 19 दिनों में पेट्रोल 8.66 रुपये और डीजल 10.62 रुपये प्रति लीटर महंगा हो चुका है.

सिर्फ दिल्ली में डीजल हुआ आगे एक दिन पहले देश के इतिहास में पहली बार डीजल की कीमतों ने पेट्रोल की कीमतों को पीछे छोड़ दिया. 24 जून को पेट्रोल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ, लेकिन डीजल की कीमत 48 पैसे बढ़ गई. हालांकि ये स्थिति सिर्फ दिल्ली में है. देश के बाकी हिस्सों में अभी भी पेट्रोल के मुकाबले डीजल का रेट कम है. दिल्ली में बढ़ी कीमत का एक कारण वैट भी है. दिल्ली सरकार ने लॉकडाउन के दौरान डीजल पर वैट की दर को बढ़ा दिया था.

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इसकी दूसरी वजह ये है कि मई के पहले हफ्ते में भारत सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर भारी एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई. पेट्रोल पर प्रति लीटर उत्पाद शुल्क 10 रुपये बढ़ाया गया, जबकि डीजल पर प्रति लीटर उत्पाद शुल्क 13 रुपये बढ़ाया गया. यहां भी डीजल के महंगा होने की राह तैयार की गई.

क्रूड की कीमतें डिमांड घटने से कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई है. इसी का असर घरेलू बाजार पर दिख सकता है. अगले कुछ दिन और कीमतों में स्थिरता देखने को मिल सकती है. इंटरनेशनल मार्केट में पिछले 18 दिनों से कच्चे तेल की कीमत 35-40 डॉलर प्रति बैरल के बीच है. लेकिन पेट्रोल-डीजल की कीमत में आम आदमी को उस हिसाब से राहत नहीं मिल रही है. लोग कीमतों को लेकर परेशान हैं लेकिन सरकार की सेहत पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा.

यहां आपको ये भी जान लेना चाहिए कि डीजल या पेट्रोल की कीमतें बढ़ती कैसे हैं? दरअसल विदेशी मुद्रा दरों के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतें क्या हैं, इस आधार पर रोज पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बदलाव होता है. इन्हीं मानकों के आधार पर पर पेट्रोल रेट और डीजल रेट रोज तय करने का काम तेल कंपनियां करती हैं. इसके बाद पेट्रोल पंप पर पहुंचने के बाद इनमें टैक्स और कमीशन को जोड़ लिया जाता है. बाकी बचा काम हम और आप बढ़ी हुई कीमतें चुकाकर करते हैं. अब सवाल ये है कि क्या सरकार हमें राहत दे सकती हैं. तो जवाब ये है कि बिल्कुल दे सकती है. लेकिन उससे लिए सरकार को हमारी फिक्र होनी चाहिए.

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