कोविड-19 : एसिम्प्टोमैटिक क्या है और ऐसे मरीज़ कितने खतरनाक हैं, 6 पॉइंट्स में समझिए

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लोगों में लक्षण निकलने से तीन दिन पहले अच्छी-ख़ासी संख्या में वायरस पैदा हो सकते हैं और हो भी सकता है कि लक्षण आने से एक दिन पहले यह दूसरे लोगों को संक्रमित भी करना शुरू कर दें.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की वैज्ञानिक ने साफ़ किया है कि बिना लक्षण वाले (एसिम्प्टोमैटिक) कोरोना वायरस संक्रमित लोगों से कितना संक्रमण फैला है, यह अभी भी ‘साफ़ नहीं’ है. डॉक्टर मारिया वेन केरखोव ने सोमवार को कहा कि यह ‘बेहद कम’ है कि एसिम्प्टोमैटिक लोग बीमारी को फैलाएं. लेकिन उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि उनका यह बयान सिर्फ़ कुछ छोटे मामलों में किए गए शोध पर आधारित है. हालांकि, लोगों के एक ऐसे तबक़े का पता चला था जो बिना लक्षण के भी टेस्ट में पॉज़िटिव पाए गए थे लेकिन उन्होंने कितने लोगों को संक्रमित किया, इसका अभी भी पता नहीं है.

कुछ महत्वपूर्ण बातें जान लीजिए

  1. बिना लक्षण के जिन लोगों के टेस्ट में पॉज़िटिव पाए गए थे लेकिन उन्होंने कितने लोगों को संक्रमित किया, इसका अभी भी पता नहीं है.
  2. संक्रमण के क्लस्टर को अगर देखा जाए तो एसिम्प्टोमैटिक मामले में उससे हुए दूसरे संक्रमण के मामले ‘बेहद कम’.
  3. विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्वास्थ्य आपात स्थिति कार्यक्रम के निदेशक डॉक्टर माइकल रेयान कहते हैं कि वो ‘पूरी तरह से आश्वस्त’ हैं कि बिना लक्षण वाले लोग संक्रमण फैलाते हैं लेकिन ‘सवाल है कि कितना?’
  4. एसिम्प्टोमैटिक मामले खोजने के लिए जब टेस्ट किए गए तो उसमें उन लोगों से संक्रमण बेहद कम फैला था जो कोरोना वायरस टेस्ट में पॉज़िटिव पाए गए थे और उनमें लक्षण नहीं थे.
  5. एसिम्प्टोमैटिक मामले ‘बेहद कम’ संक्रमण फैलाते हैं, यह संक्रमण तब हो सकता है जब लक्षण शुरू होने में एक दिन हो या जिस दिन लक्षण सामने आने लगें.
  6. एक पॉज़िटिव रिज़ल्ट यह नहीं बता सकता है कि किसी शख़्स में कितने वायरस हैं. इसके अलावा वो कितने लोगों से मिलता है और कितना खांसता-छींकता है इस पर भी संक्रमण का स्तर निर्भर करता है.

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