लॉकडाउन में कैसे होगी लाखों मजदूरों की मदद, सरकार के पास नहीं है डेटा ?
उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे बीजेपी शासित राज्यों में 11 लाख 36 हजार मजदूरों के बैंक खातों का ही पता नहीं हैं. ऐसे में इन गरीब मजदूरों तक सरकार की सीधी मदद कैसे पहुंचेगी ये बड़ा सवाल है ?
24 मार्च को लॉकडाउ का एलान करने के बाद निर्माण मजदूरों को आकस्मिक नकद मदद देने के लिए सरकार उनके खातों में सीधे रकम ट्रांसफर कर रही है. सरकार का दावा है कि इससे इन मजदूरों को राहत मिलेगी. लेकिन ताजा जानकारी ये है कि सरकार के पास 11 लाख 36 हजार मजदूरों के बैंक खातों की जानकारी ही नहीं है. उत्तर प्रदेश में 17 अप्रैल तक सरकार ने 6 लाख 4 हजार 473 मजदूरों तक सीधी मदद पहुंचाई है लेकिन अभी भी 5 लाख 32 हजार 895 मजदूर ऐसे हैं जिन्हें मदद का इंतजार है.
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प्रधानंमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को कोरोना वायरस से निपटने के लिए देश में लॉकडाउन की घोषणा की थी. इसके बाद दिल्ली, मुंबई जैसे देश के बड़े शहरों में लाखों दिहाड़ी मजदूरों के सामने रोजी-रोटी और रहने का संकट खड़ा हो गया. इसके बाद क्या हुआ हमने सड़कों पर देखा. मोदी सरकार की ये कहते हुए आलोचना भी हो रही है कि उन्होंने लॉकडाउन के दौरान दिहाड़ी मजदूरों को होने वाली परेशानी का अनुमान नहीं लगाया.
24 मार्च को केंद्रीय लेबर मिनिस्ट्री ने कंस्ट्रक्शन मजदूरों को राहत देने के लिए 52 हजार करोड़ रुपये उनके खातों में डालने का एलान किया. ये एलान बिल्डिंग एंव कंस्ट्रक्शन वर्क एक्ट के तहत किया गया था. लेकिन अभी तक लाखों मजदूरों को ये सरकारी मदद नहीं मिली है.
अगर बात उत्तर प्रदेश की करें तो योगी सरकार ने 21 मार्च को 20.3 लाख पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के लिए 1,000 रुपये की मौद्रिक राहत की घोषणा की थी. लेकिन 17 अप्रैल तक सभी मजदूरों तक मदद नहीं पहुंची थी. एक आधिकारिक दस्तावेज से पता चलता है कि, यूपी सरकार ने 13,66,535 पंजीकृत श्रमिकों के बैंक खातों का पता लगाने की शुरुआत की थी जिसमें अभी तक 6,04,473 श्रमिकों के विवरण का पता लगाया जा रहा है.
उत्तप्रदेश में श्रमिक विभाग के प्रमुख सचिव सुरेश चंद्र से मिली जानकारी के मुताबिक अभी प्रदेश में 6 लाख मजदूरों को मदद भेजी गई है. उन्होंने कहा हमने कभी नहीं सोचा था कि ऐसी आपदा की स्थिति होगी. सुरेश चंद्र के मुताबिक सभी मजदूरों के खातों की जानकारी जमा करने में सभी करीब एक हफ्ते का समय लग जाएगा. उत्तरप्रदेश श्रम विभाग ने 5 अप्रैल को केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखी थी जिसमें कहा था कि उनके पास सभी पंजीकृत श्रमिकों के खातों की डिटेल नहीं है.
आपको ये भी बता दे कि इस चिट्ठी में बोर्ड ने ये भी कहा कि आउटसोर्सिंग के जरिए 1 रुपये प्रति खाते के हिसाब के मजदूरों के खातों की जानकारी हासिल करनी होगी. इस चिट्ठी में बताया गया है कि प्रदेश में लाखों मजदूरों को आपात राहत राशि नहीं मिल पाएगी. एक सर्वे के मुताबिक भारत में 5 करोड़ 30 लाख श्रमिक हैं. लेकिन केंद्र सरकार के मुताबिक कंस्ट्रक्शन बोर्ड में सिर्फ 3.50 करोड़ श्रमिकों का ही पंजीकरण है.
उत्तरप्रदेश की तरह गुजरात सरकार के श्रम मंत्रालय के पास लाखों के श्रमिकों का डेटा नहीं है. बात सिर्फ गुजरात की ही नहीं है. हरियाणा, पंजाब जैसे राज्यों में भी सरकारें मजदूरों के खातों में सीधे मदद नहीं पहुंचा पा रही हैं क्योंकि उनके पास उनके खाते नहीं हैं. ऐसे में 24 मार्च से लेकर अभी तक इन दिहाड़ी मजदूरों की क्या दशा हो रही होगी ये आप खुद सोचिए.