कोरोना वायरस के परिवार का काला चिट्ठा यहां पढ़िए!
देश में कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे लोगों को ये उम्मीद है कि मई-जून में पड़ने वाली भीषण गर्मी कोरोना वायरस को खत्म कर देगी. लेकिन क्या ऐसा होगा. क्या गर्मी वायरस को खत्म कर देगी ?
कोरोना वायरस को डब्ल्यूएचओ ने महामारी घोषित किया है. और आमतौर पर महामहारियां मौसमी वायरस के जैसी मौसमी नहीं होती हैं. ये बात सही है कि कई ऐसी बीमारियां हैं जो मौसम बदलने के बाद पैदा होती हैं और कुछ समय बाद खत्म हो जाती हैं. जैसे टाइफाइड और खसरा मौसमी बीमारी है. ये मौसम के साथ पैदा होता और खत्म होता है. जो मैदानी इलाके हैं वहां गर्मी के दिनों में खसरा पैदा होता है. वहीं उष्णकटिबंधीय इलाकों में खसरा सुखे मौसम में ज्यादा पैदा होता है.
कोरोना वायरस के संदर्भ में अगर हम बात करें तो तो ये वायरस चीन में दिसंबर के महीने में शुरु हुआ और देखते ही देखते इसने दुनिया के 2 सौ से ज्यादा देशों को अपनी चपेट में ले लिया. इश वायरस ने अमेरिका, इटली और स्पेन जैसे देशों में हजारों लोगों की जानें ली हैं. यानी सर्दियों के दिनों में ये वायरस खूब पनपा. अभी भी ये ठंडे इलाकों में तेजी से फैल रहा है. लेकिन जिन इलाकों में गर्मी है वहां इस वायरस के फैलने की रफ्तार धीमी है.
2003 में पहली बार कोरोना के बारे में पता चला
कोरोना वायरस के असल नाम है सार्स वायरस, ये वायरस 2003 में पहली बार फैला था. उस वक्त ये शुरु होने के थोड़े ही समय में खत्म हो गया था. इसकी वजह से शोधकर्ता ये पता ही नहीं लगा पाए कि इसका मौसमी चक्र क्या है. कोविड-19 असल में सार्स (SARS) कोरोना वायरस के परिवार से है. इस नए कोरोना वायरस का आधिकारिक नाम कोविड-19 ही है. जानकारों ने जब इस वायरस पर शोध कार्य शुरु किया तो इसके बारे में कई बातें पता चलीं.
करीब 10 साल पहले ब्रिटेन में एक स्टडी की गई थी. इसमें तीन तरह के कोरोना वायरस के सैम्पल ऐसे मरीज़ों से लिए गए थे जिन्हें सांस के ज़रिए संक्रमण हुआ था.वहीं एक सैम्पल ऐसे मरीज़ से लिया गया था जिसे सर्जरी के दौरान संक्रमण हुआ था. इन सभी में वायरस का मौसमी चक्र नज़र आता है. इससे इशारा मिला कि तीन तरह के कोरोना वायरस दिसंबर से अप्रैल महीने के बीच सक्रिय होते हैं. जबकि सर्जरी वाले मरीज़ को संक्रमित करने वाला चौथा वायरस रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमज़ोर करने वाला था.
कोरोना वायरस से जुड़ी हुई ये शोध बताती है कि और शोधकर्ता भी यही मानते हैं कि कोविड-19 ठंडे और सूखे माहौल में ही पनपता है. लेकिन अभी जिन देशों में इस वायरस ने पनाह ली है, उनमें बहुत गर्म और उमस वाले देश भी शामिल हैं. ऐसे में कुछ लोगों का ये भी मानना है कि गर्मी इस वायरस के फैलने की रफ्तार को कम कर देगी. हालांकि अभी शोधकर्ता सिर्फ़ कंप्यूटर मॉडलिंग पर ही यक़ीन कर रहे हैं और उसी के आधार पर बात कर रहे हैं.
‘कोरोना’ के परिवार की पूरी जानकारी
कोरोना वायरस के पूरे परिवार को एनवेल्पड कहते हैं. इस वायरस के ऊपर प्रोटीन की एक परत होती है. आप सोच रहे होंगे कि इसका नाम कोरोना क्यों है? तो इसका जवाब ये है कि इस वायरस की सतह पर क्राउन या ताज की तरह नोकें निकली दिखती हैं. इसलिए इसका नाम कोरोना रखा गया है. वायरस के इस परिवार का नया मेंबर है कोविड-19. इसी ने इस वक्त दुनिया में हाहाकार मचा रखा है. इस तरह के प्रोटीन की परत वाले वायरस में अक्सर मौसम चक्र की मार झेलने की क्षमता ज्यादा होती है.
शोध में ये बात साबित हो गई है. SARS-Cov-2 40 प्रतिशत उमस और 21 से 23 तापमान के बीच प्लास्टिक और स्टील की सतह पर 72 घंटे ज़िंदा रह सकता है. लेकिन कोविड-19 के बारे में कहा जा रहा है कि ये 4 डिग्री सेल्सियस तापमान में 28 दिन तक ज़िंदा रहने की क्षमता रखता है. अभी तक ये शोध नहीं हो पाया है कि इस के जिंदा रहने के लिए अधिकतम और न्यूनतम कितने तापमान की जरूरत होती है. 2003 में फैलने वाला सार्स (SARS) वायरस भी ठंडे और ख़ुश्क वातावरण में ही फलता फूलता था. लेकिन जैसे जैसे मौसम में गर्मी बढ़ेती इसका असर कम होगा.
अगर कोविड-19 पर मौसम, नमी और तापमान का वही असर पड़ता है, जैसा कि अन्य वायरस पर तो इसका मतलब है कि अलग-अलग समय में कोरोना के मरीज़ों की संख्या तेज़ी से बढ़ेगी.
5 से 11 डिग्री सेल्सियस में तेजी से फैला कोरोना
ठंडे और उष्णकटिबंधीय देशों में भी खासी संख्या में कोरोना मरीज़ देखने को मिले हैं. एशिया में तापमान यूरोपीय और अमरीकी देशों के मुक़ाबले कहीं ज़्यादा है. फिर भी नया कोरोना वायरस यहां तेज़ी से फैल रहा है. लिहाज़ा कहना मुश्किल है कि ज़्यादा तापमान होने पर कोविड-19 कमज़ोर पड़ जाएगा. कोविड-19 अभी एक बिल्कुल नया वायरस है. इसलिए इसके बारे में ज्यादा जानकारी जुटाई जा रही है.