बेरोजगारी का दंश झेल रहे इस्पात नगरी के मजदूर

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बेरोजगारी इस वक्त देश की सबसे बड़ी समस्या है. इस समस्या से इस्पात नगरी जमशेदपुर टाटा भी अछूती नहीं है. आलम ये है कि महीनों से लोगों को काम नहीं मिला है. कंपनी में उत्पादन बंद है. यहां रहने वाले मजदूरों का कहना है कि ऐसी आर्थिक मंदी पहले कभी नहीं देखी.

जुलाई में जमशेदपुर में कान नहीं था, अगस्त भी ऐसे ही बीत गया और अब सितंबर-अक्टूबर में भी हालात बहुत ज्यादा अनुकूल नहीं हैं. स्टील उद्योग सुस्ती के दौर से गुजर रहा है और इसकी वजह से टाटा स्टील, जेएसडब्लू और आर्सेलर मित्तल जैसी बड़ी कंपनियों ने अपने उत्पादन में कटौती कर दी है. अगर छोटी कंपनियों की बात करें तो सैकड़ों छोटी-छोटी कंपनियां या तो बंद हो गईं या फिर उनका उत्पादन ठप हो गया है. इस्पात नगरी में ही ऐसी दर्जनों कंपनियां हैं जहां ताला लटका हैं और हजारों लोग बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं.

बेरोजगारी बढ़ने का कारण क्या है?

टाटा जमशेदपुर में तो सरकारी नीतियों की मार दो तरफा पड़ी है. एक तरफ केंद्र सरकार ने नोटबंदी और जीएसटी से कंपनियों की कमर तोड़ दी और दूसरी ओर झारखंड सरकार की ओर से बिजली के दर में अचानक की गई 38 प्रतिशत की बढ़ोतरी ने कंपनियों की बंदी करवा दी. एक आंकड़े के मुताबिक इन कंपनियों के बंद होने से अकेले झारखंड में करीब 70 से 80 हजार लोग बेरोजगार हो गए हैं. झारखंड इंडस्ट्रियल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (जियाडा) का कहना है कि टाटा समूह की कंपनियों में उत्पादन कम होने की वजह से ऐसी हालत हुई है.

अब अगर टाटा की ही बात करें तो आदित्यपुर इंडस्ट्रियल एरिया में करीब 50000 लोग ऐसे हैं जिन्हें बेरोजगारी का शिकार होना पड़ा. दिहाड़ी में काम करने वाले करीब 90 प्रतिशत लोग बेरोजगार हो गए हैं. यहां लोगों का कहना है कि बाजार में पैसे का प्रवाह नहीं है. स्टील उद्योग में स्लोडाउन ऑटो सेक्टर में मंदी की वजह से आया है. यही कारण है टाटा स्टील ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए तय लक्ष्य में कटौती की है.

सरकार ने क्या कदम उठाए हैं?

सरकार ऑटो सेक्टर की सुस्ती खत्म करने के लिए कई कदम उठा रही है, जैसे एलान हुआ है कि 31 मार्च 2020 तक ख़रीदे गए बीएस-IV वाहन अपने रजिस्ट्रेशन पीरियड तक बने रहेंगे और उनके वन टाइम रजिस्ट्रेशन फ़ीस को जून 2020 तक के लिए बढ़ा दिया गया. ऑटोमोबिल सेक्टर में स्क्रैपेज पॉलिसी लाने की घोषणा की गई है. इसके अलावा भी गाड़ी खरीद बढ़ाने के लिए दूसरी योजनाओं पर काम किया जाएगा. ये कदम इसलिए भी जरूरी हैं क्योंकि ऑटो सेक्टर के उत्पादन में करीब 12 प्रतिशत की गिरावट आई है और इससी वजह से स्टील सेक्टर भी प्रभावित हुआ है. क्योंकि, भारत में कुल स्टील उत्पादन का 20 प्रतिशत हिस्सा ऑटो सेक्टर में जाता है. जानकारों का कहना की अभी हालात बेहतर होने में पांच-छह महीने और लग सकते हैं.

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