‘प्रधानमंत्री से सैद्धांतिक मुद्दों पर बहस करने वाले नेतृत्व की जरूरत’
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने दिवंगत कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री एस जयपाल रेड्डी की याद में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि ऐसे नेताओं की जरूरत है जो बोलने से पहले ये परवाह न करें कि प्रधानमंत्री नाराज होंगे या खुश होंगे.
कांग्रेस के दिवंगत नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयपाल रेड्डी का 28 जुलाई को हैदराबाद में निधन हो गया था. उनकी याद में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था जिमसें बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी शामिल होने के लिए पहुंचे थे. इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि भारत को ऐसे नेतृत्व की जरूरत है जो प्रधानमंत्री से सैद्धांतिक मुद्दों पर बहस कर सके और इस बात की चिंता किए बिना अपने विचार रखे कि पीएम नाराज होंगे या खुश.
मुरली मनोहर जोशी ने 90 की दशक की शुरुआत में रेड्डी से अपने जुड़ाव को याद किया. उन्होंने बताया कि दोनों ही सांसद एक फोरम के सदस्य थे. जोशी याद करते हुए कहते हैं कि,
‘वह आखिर तक विभिन्न मुद्दों पर हर स्तर पर अपने विचार रखते थे। चाहे फिर वो फोरम के सदस्य के तौर पर हो, जनता पार्टी के सदस्य के तौर पर हो या फिर कांग्रेस पार्टी के सदस्य के तौर पर, उन्होंने इन मुद्दों पर कभी समझौता नहीं किया।’
मुरली मनोहनर जोशी ने कहा कि आज भी ऐसे ही नेतृत्व की जरूरत है. उन्होंने कहा कि आजकल ऐसे नेतृत्व की बहुत आवश्यकता है जो सिद्धांतों के साथ बेबाकी के साथ और बिना कुछ इस बात की चिंता किए हुए प्रधानमंत्री नाराज होंगे या खुश होंगे, अपनी बात साफ साफ कहते हैं, उनसे बहस करते हैं. जोशी ने रेड्डी को याद करते हुए कहा कि रेड्डी आईके गुजराल की सरकार में मंत्री बनने के बाद भी फोरम के विचारों को पीएम के समक्ष रखने के लिए राजी हुए. जब रेड्डी से उनके विचार पूछे गए तो उन्होंने बिना किसी संकोच, साफ शब्दों में माना कि वह फोरम के प्रस्तावों से सहमत हैं.
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मुरली मनोहर जोशी बीजेपी के कद्दावर नेताओं में गिने जाते हैं. 1991 से 1993 के बीच वो बीजेपी के अध्यक्ष रहे हैं और जब अध्यक्ष थे तो उन्होंने कन्याकुमारी से कश्मीर तक एकता यात्रा निकाली थी जिसमें देश के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कॉर्डिनेटर की भूमिका में थे. जिस कार्यक्रम में जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री की परवाह किए बगैर बोलने वाले नेतृत्व की जरूरत है उसमें वाइस प्रेसिडेंट एम वेंकैया नायडू, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, सीताराम येचुरी, डी राजा, शरद यादव और अभिषेक मनु सिंघवी जैसे तमाम नेता शामिल हुए थे.
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