विरल आचार्य ने RBI के डिप्टी गवर्नर पद से इस्तीफा क्यों दिया ?
![विरल आचार्य ने आरबीआई के डिप्टी गवर्नर के पद से इस्तीफा दे दिया है](https://rajniti.online/wp-content/uploads/2019/06/विरल-आचार्य.jpg)
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आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. विरल आचार्य के कार्यकाल के अभी 6 महीने वाकी थे. बीते करीब सात महीनों में ये दूसरी बार है जब आरबीआई में किसी अहम ओहदे पर बैठे अधिकारी ने अपने कार्यकाल पूरा होने से पहले ही अपने पद से इस्तीफा दिया हो. विरल आचार्य से पहले आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने दिसंबर में निजी कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था.
रिजर्व बैंक ने भी विरल आचार्य के इस्तीफे की पुष्टि क दी है. रिजर्व बैंक के मुख्य महाप्रबंधक योगेश दयाल ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा,
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“कुछ हफ्ते पहले डॉक्टर आचार्य ने रिज़र्व बैंक को एक चिट्ठी भेजी थी, जिसमें बताया गया था कि वो अति ज़रूरी निजी वजहों से 23 जुलाई 2019 के बाद अपने पद पर नहीं बने रह पाएंगे. उनके पत्र पर संबंधित अधिकारियों द्वारा विचार किया जा रहा है.”
ऐसा माना जा रहा है कि विरल आरबीआई के कामकाज में सरकारी दखल से नाखुश थे. बताया जा रहा है कि उन्होंने इसी महीने रिजर्व बैंक की मौद्रित नीति कमेटी की 6 जून को हुई बैठक से कुछ हफ्ते पहले ही अपना इस्तीफ़ा दे दिया था. विरल ने 23 जून 2017 को डिप्टी गवर्नर की जिम्मेदारी संभाली थी. उस वक्त विरल आचार्य का नाम चर्चा में आया था जब उन्होंने मोदी सरकार पर आरबीआई की स्वायत्ता पर से समझौता करने का आरोप लगाया था.
उन्होंने आरबीआई के डिप्टी गवर्नर के रूप में 26 अक्तूबर, 2018 को मोदी सरकार को खूब सुनाई थी. विरल आचार्य ने अपने इश भाषण में कहा था कि जो सरकारें अपने केंद्रीय बैंकों की स्वायत्तता का सम्मान नहीं करतीं, उन्हें देर-सबेर वित्तीय बाज़ारों के गुस्से का शिकार होन पड़ता है. बताया जा रहा है कि वो मोदी सरकार के आरबीआई के कामकाज में दखल से खुश नहीं थे.
विरल आचार्य के बारे में
सरकार जो चाहती है आरबीआई वही करे ये उन्हें पसंद नहीं था. कहा जा रहा है कि वो सरकार के कहने पर ब्याज दरों में कमी,गैर बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों यानी एनबीएफ़सी को और ज्यादा नकदी देने, आरबीआई के रिजर्व का कुछ हिस्सा सरकार को देने के पक्षधर नहीं थे. चुंकि ये सब करने से उर्जित पटेल ने भी इंकार कर दिया था और इस्तीफा दे दिया लिहाजा यही सब कारण विरल आचार्य के इस्तीफे के पीछे भी हैं.
विरल आचार्य का चयन 100 लोगों में से किया गया था. ये सौ वो लोग थे जिन्होंने आरबीआई का डिप्टी गवर्नर बनने के लिए आवेदन किया था. 42 साल के विरल आचार्य 2009 से अर्थशास्त्र को पढ़ा रहे हैं. डिप्टी गवर्नर बनने से पहले वो स्टर्न बिज़नेस स्कूल में बतौर शिक्षक काम कर रहे थे. उन्होंने लंदन बिजनेस स्कूल में भी अर्थशास्त्र पढ़ाया है. 1995 में आईआईटी मुंबई से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में फाइनेंस से पीएचडी की है. आपको बता दें कि आरबीआई के चार डिप्टी गवर्नर होते हैं. जिसमें दो कमर्शियल बैंकर होते हैं.