‘वॉट्सऐप इलेक्शन’ में सलेक्शन के लिए पॉलिटिकल पार्टी की प्लानिंग क्या है ?

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वो दौर बीत गया जब चुनाव सड़कों पर लड़ा जाता था और लोग घर घर जाकर वोट मांगते थे. अब चुनाव लड़ने के तरीकों में बदलाव आया है. लोग लोगों को डिजिटल संसाधनों के सहारे घेर रहे हैं. यही वजह है 2019 का इलेक्शन वॉट्सऐप इलेक्शन हो गया है

लोकसभा चुनाव 2019 : फेसबुक-ट्विटर पर प्रचार महंगा है लिहाजा नेताओं ने वॉट्सऐप को भाव देना शुरु किया है. तय तो ये 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में ही हो गया था कि नेता सोशल प्लेटफॉर्म को ज्यादा तरजीह देंगे लेकिन उसमें भी वॉट्सऐप पहली पसंद होगा ये तब पता चला जब नेताओं ने इसका जमकर इस्तेमाल करना शुरु किया. चुंकि 2014 के चुनाव के मुकाबले इस बार डेटा सस्ता, इसलिए प्रचार का तरीका बदल गया और अब राजनीतिक पार्टियां वॉट्स ऐप को प्रचार का माध्यम बना रही हैं.

वॉट्सऐप बना प्रचार का जरिया

आपको जानकर हैरानी होगी कि राजनीतिक पार्टियां की आईटी सेल से जुड़े हुए लोग 1 हजार से ज्यादा वॉट्सऐप ग्रुप संभाल रहे हैं और देशभर में वॉट्सऐप के जरिए प्रचार कर रहे हैं. यूं तो 2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया का इस्तेमाल हुआ था लेकिन तब फेसबुक और ट्विटर के जरिए प्रचार का जोर ज्यादा था. 2019 में वॉट्सऐप का जमकर इस्तेमाल किया जा रहा है.

  • भारत में 36 करोड़ वॉट्सऐप यूजर्स हैं
  • पन्ना प्रमुख की तर्ज  बनाए गए फोन प्रमुख
  • बीजेपी के सेल फोन प्रमुख और कांग्रेस ने डिजिटल साथी बनाए
  • दोनों दल 25% वोटरों तक वॉट्सऐप के जरिए पहुंचने की जुगाड़ में लगे

‘द सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसायटी’ के रिसर्चर इलोनाई हिकॉक की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल मई में हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा-कांग्रेस ने तकरीबन 50 हजार वॉट्सऐप ग्रुप बनाए थे. इसके बाद मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी वॉट्सऐप के जरिए प्रचार किया गया. कांग्रेस ने पांच विधानसभा चुनाव में वॉट्सऐप के जरिए प्रचार किया गया था और इसका फायदा भी उसे मिला. इसका कारण ये है कि वॉट्सऐप के जरिए लोगों तक सीधी पहुंच बनाना आसान है.

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बीजेपी ने लोकसभा चुनाव से पहले ही हर पोलिंग बूथ पर पन्ना प्रमुख की तरह एक-एक ‘सेल फोन प्रमुख’ की नियुक्ति की है. बूथ के लोगों से संपर्क करना और वीडियो, ऑडियो, ग्राफिक्स, कार्टून, मैसेज से प्रचार का काम दिया गया है. इसके लिए बीजेपी ने नौ लाख लोगों की टीम बनाई है. कांग्रेस ने भी चुनाव प्रचार के लिए बूथ लेवल पर वोटर्स तक वॉट्सऐप के जरिए पहुंचने की कोशिशें शुरु की थीं और हर बूथ पर मौजूद वॉलंटियर्स में से 10 कार्यकर्ताओं को बूथ सहयोगी बनाया. इन 10 बूथ सहयोगियों में से किसी एक व्यक्ति को ‘डिजिटल साथी’ के तौर पर नियुक्त किया गया.

25 फीसदी मतदाताओं तक पहुंचने का जुगाड़

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक इस बार लोकसभा चुनाव में 90 करोड़ वोटर्स मतदान कर रहे हैं जिसमें से 10.35 लाख पोलिंग बूथ बनाए गए हैं…वॉट्सऐप यूजर्स की अनुमानित संख्या 36 करोड़ है. लिहाजा वॉट्सऐप के जरिए भाजपा ने 9 लाख बूथ तक पहुंचने का लक्ष्य रखा था और कांग्रेस भी कम से कम इतने ही बूथ वॉट्सऐप के जरिए कवर करने का काम कर रही थी. एक वॉट्सऐप ग्रुप से अधिकतम 256 यूजर्स जोड़े जा सकते हैं. इस तरह भाजपा-कांग्रेस को उम्मीद है कि वह 90 करोड़ में से 23 करोड़ वोटर्स तक वॉट्सऐप के जरिए पहुंच सकती है. इस तरह 25% वोटर्स तक मैसेजिंग ऐप के जरिए प्रचार किया जा सकता है…राजनीतिक दलों की बात करें तो इस बार सोशल मीडिया कैम्पेनिंग में 90% इस्तेमाल वॉट्सऐप का हो रहा है.

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