बदले-बदले राहुल अब राजनीति में कितने असरदार नज़र आते हैं ?
राहुल के धुर विरोधी भी इस बात से इंकार नहीं कर सकते हैं कि राहुल गांधी एक राजनीतिज्ञ के रूप में परिपक्व होते जा रहे हैं.
न्याय योजना और रफाल भ्रष्टाचार के रूप में लोकसभा चुनाव 2019 का नैरेटिव राहुल ने ही सेट किया है. वहीं न्याय योजना के जरिए 2019 में देश के मुट्ठीभर बड़े उद्योगपतियों और करोड़ों गरीबों के बीच की सीधी लड़ाई का रूप दे दिया है.
2014 में यूपीए की सरकार में हुए घोटालों को ही मुख्य मुद्दा बनाया गया था. इसका सीधा फाएदा बीजेपी को मिला भी था. लेकिन मोदी सरकार के पांच साल के कार्यकाल में भ्रष्टाचार का कोई छोटा-बड़ा आरोप सीधे सरकार या उसके किसी मंत्री पर नहीं लगा. बावजूद इसके राहुल ने रणनीतिक सूझबूझ के चलते राफेल में भ्रष्टाचार के मुद्दे को इस तरह चुनावों में प्रचारित किया कि ना चाहते हुए भी बीजेपी को बैकफुट पर आना पड़ा. ये तब है जब राफेल सौदे में भ्रष्टाचार का कोई भी सुबूत राहुल पेश नहीं कर सके हैं.
जमीनी मुद्दों पर उछाल रही कांग्रेस
गरीबों, किसानों और देश के विकास के लिए पांच साल के कार्यकाल में क्या किया, ऐसे सवाल कांग्रेस की रैलियों में खूब उछाले जा रहे हैं. इन आरोपों पर बीजेपी की सफाई ये है कि सरकार ने हर मोर्चे पर काम किया है और पिछले पांच सालों में देश ने तरक्की की है. हालांकि कांग्रेस ये कह रही है कि जिस तरह राहुल किसानों बेरोजगारों के मुद्दे उठा रहे हैं उनकी काट के लिए बीजेपी घबराकर राष्ट्रवाद और धारा 370 जैसे मुद्दों को उठा रही है.
कांग्रेस की न्याय योजना के बारे में बताते हुए राहुल गांधी कहते हैं कि इस योजना से देश के 20 फीसदी गरीबों को फायदा होगा. इसका मतलब ये है कि देश में ऐसे लोगों की संख्या करीब 25 करोड़ हो सकती है. लोकतंत्र के लिहाज से संख्या बल सबसे महत्वपूर्ण होती है. यही वजह है कि राहुल गांधी ने अपना ध्यान गरीब वोटबैंक पर केंद्रित कर रखा है.
मोदी के वोटबैंक पर राहुल की नजर
राहुल की मंशा पीएम मोदी को इस वोटबैंक से दूर करने की है. इसिलिए वो बार-बार पीएम मोदी को अमीरों का दोस्त बताते हैं. उनपर आरोप लगाते हैं कि उनकी वजह से ही नीरव मोदी और माल्या जैसे उद्योगपति बैंकों का अरबों रूपया लेकर विदेश भाग गए.
राहुल पीएम मोदी पर आरोप लगाते हैं कि उन्होंने नियमों को ताक पर रखकर अनिल अंबानी को रफाल का हजारों करोड़ रूपए का ठेका दिलवा दिया. अडानी का नाम भी मोदी के साथ राहुल गांधी ने खूब जोड़ा है.
ये सच है कि नरेंद्र मोदी गरीबी औऱ मुफलिसी का जीवन जीकर शीर्ष स्तर तक पहुंचे हैं. अपने भाषणों और इंटरव्यू में वो अक्सर अपने गरीब बचपन की बातें करते भी हैं. राहुल गांधी ने इसी की काट के लिए मोदी का नाम उद्योगपतियों से जोड़ना शुरु किया है.
विधानसभा चुनाव में रणनीति रही कामयाब
कांग्रेस को गरीबों और किसानों की पार्टी बताने की रणनीति ने राजस्थान. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पार्टी के लिए चमत्कार किया है.
अब कांग्रेस को लगने लगा है कि राहुल गांधी पीएम मोदी को अमीरों का दोस्त और कांग्रेस को गरीबों और किसानों की पार्टी साबित करने में सफल साबित हुए और इसी मॉडल को वो लोकसभा चुनाव में भी इस्तेमाल कर रहे हैं.
भले ही कांग्रेस चुनावों में किए तमाम लोकलुभावन वादे पूरे कैसे करेगी ? ये सवाल विरोधी पूछ रहे हों लेकिन हकीकत यही है कि कांग्रेस का घोषणापत्र गरीबों और किसानों की जिंदगी बेहतर करने के वायदों से भरा हुआ है.
जानकारों का मानना है. कि कांग्रेस की इसी रणनीति के चलते. विकास के नाम पर चुनाव लड़ने की बात करने वाली बीजेपी को विकास का मुद्दा छोड़कर राष्ट्रवाद और धारा 370 जैसे मुद्दों को अपनाना पड़ रहा है.