लोकसभा चुनाव 2019: मैनपुरी का दिल ‘मुलायम’ क्यों है ?
समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव. 2014 में मुलायम सिंह मैनपुरी के साथ आजमगढ़ से चुनाव मैदान मे उतरे थे. दोनों जगह से जीते और बाद में उन्होंने मैनपुरी की सीट छोड़ दी. इस बार वो फिर से मैनपुरी से मैदान में हैं.
लोकसभा चुनाव 2019: मैनपुरी मुलायम सिंह यादव के प्रभाव वाली संसदीय सीट है और यहां बीजेपी की तमाम कोशिशों को वो नाकाम करते आए हैं. मैनपुरी में मुलायम को हराना नामुमकिन सा है. इस संसदीय सीट पर लंबे समय से समाजवाद का झंडा फहरा रहा है. ये वो सीट है जो 1996 से आठ बार हुए चुनाव में समाजवादी पार्टी लगातार यह सीट जीतती आ रही है. ये सीट तब भी सपा के खाते में रही जब 2014 में मोदी की आंधी चली थी. उस आंधी में भी मुलायम सिंह तीन लाख 64 हजार 666 मतों से जीते थे. उस चुनाव में मुलायम को 5,95,918 वोट हासिल मिले जबकि बीजेपी के शत्रुघ्न सिंह को 2,31,252 वोट मिले थे
मैनपुरी के सांसद
- 1952 बादशाह गुप्ता, इंडियन नेशनल कांग्रेस
- 1957 बंसीदास धनगर, सोशलिस्ट पार्टी
- 1962 बादशाह गुप्ता, इंडियन नेशनल कांग्रेस
- 1967 महाराज सिंह, इंडियन नेशनल कांग्रेस
- 1971 महाराज सिंह, इंडियन नेशनल कांग्रेस
- 1977 रघुनाथ सिंह वर्मा, भारतीय लोक दल
- 1980 रघुनाथ सिंह वर्मा, जनता पार्टी सेकुलर
- 1984 बलराम सिंह यादव, इंडियन नेशनल कांग्रेस
- 1989 उदय प्रताप सिंह, जनता दल
- 1991 उदय प्रताप सिंह, जनता पार्टी
- 1996 मुलायम सिंह यादव, समाजवादी पार्टी
- 1998 बलराम सिंह यादव, समाजवादी पार्टी
- 1999 बलराम सिंह यादव, समाजवादी पार्टी
- 2004 मुलायम सिंह यादव, समाजवादी पार्टी
- 2004 धर्मेंद्र यादव, समाजवादी पार्टी
- 2009 मुलायम सिंह यादव,समाजवादी पार्टी
- 2014 मुलायम सिंह यादव, समाजवादी पार्टी
- 2014 तेज प्रताप सिंह यादव, समाजवादी पार्टी
जहां सपा को हराना मुश्किल है
मुलायम सिंह ने 2004 में इस सीट पर चुनाव लड़ा था और फिर ये सीट छोड़ दी थी. मुलायम ने सीट छोड़कर यहां से अपने भतीजे धर्मेद्र यादव को लड़ाया. धर्मेंद्र ने जब चुनाव लड़ा तब वे सैफई के ब्लाक प्रमुख होते थे धर्मेंद्र यादव को 3,48,999 वोट हासिल हुए और बसपा के अशोक शाक्य को 1,69,286 वोट मिले. हां मैनपुर में 1996 का चुनाव कांटे का हुआ था जब बीजेपी के उपदेश सिंह चौहान को मुलायम सिंह यादव ने करीब 50 हजार वोटों से हराया था. मैनपुरी लोकसभा सीट में किशनी, करहल, कुरावली और कुसमुरा जैसे यादवों के गढ़ हैं जहां किसी और जीतना आसान नहीं होता.
मैनपुरी में हैं पांच विधानसभा
मैनपुर लोकसभा सीट में पांच विधानसभा सीटें हैं. मैनपुरी, करहल, भौगांव, किशनी, जसवंतनगर विधानसभाओं को मिलाकर बनी इस ससंदीय सीट पर लोकसभा चुनाव काफी अहम रहेगी. ये वो इलाका है जिसे सपा का अभेद गढ़ माना जाता है. यादव बाहुल मैनपुरी में दूसरे पायदान पर शाक्य और दलित वोटर है, इसके बाद राजपूत जाति के वोट हैं. अनुसूचित जाति के वोटरों की संख्या भी लगभग ढाई लाख से कम नहीं है. परंपरागत वोटरों के अलावा मुस्लिम और ओबीसी के समर्थन पर सियासत की जमीन पर खड़ी है.