हरियाणा: जनता से किस मुंह से वोट मांगेंगे मौजूदा सांसद
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लोकसभा चुनाव जीतने के लिए सियासी जमातें पूरी ताकत लगा रहीं. मुद्दे से ध्यान भटकाया जा रहा है. राष्ट्रवाद और देशप्रेम का राग अलापा जा रहा है. लेकिन अपने सांसदों को रिपोर्ट कार्ड देखकर आप वोट करें तो बेहतर है. चलिए हरियाणा के सांसदों का रिपोर्ट कार्ड आपको दिखाते हैं.
एक सांसद को अपने संसदीय क्षेत्र के विकास के स्थानीय क्षेत्र विकास योजना जिसे एमपीलैड भी कहते हैं. उसमें सालाना पांच करोड रुपया मिलात है. आपको जानकर हैरानी होगी की हरियाणा के सांसदों ने वो राशि खर्च ही नहीं की. हरियाणा के सांसदों ने विकास के लिए आए रुपयों में से 37.83 करोड़ खर्च ही नहीं किए. हरियाया में लोकसभा की 10 सीटें हैं जिसमें से सात पर 2014 में बीजेपी जीती थी. आकंड़े देखकर आप अपने सासंद को आंकिए.
1. फरीदाबाद लोकसभा सीट, सांसद कृष्णपाल (बीजेपी)
22.50 करोड़ का बजट दिया गया था. 2.48 करोड़ खर्च नहीं किए गए.
2. भिवानी–महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट, सांसद धर्मबीर बालेराम (बीजेपी)
25 करोड़ का बजट मिला था. 2.28 करोड़ खर्च नहीं किए गए.
3. कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट, सांसद राजकुमार सैनी (बीजेपी)
20 करोड़ दिया गया था. इसमे से 2.19 करोड़ खर्च नहीं किए
4. करनाल लोकसभा सीट, सांसद अश्वनी कुमार (बीजेपी)
20 करोड़ का बजट दिया गया था. 4.50 करोड़ खर्च नहीं किए गए
5. सोनीपत लोकसभा सीट, सांसद रमेशचंद्र कौशिक (बीजेपी)
25 करोड़ का विकास बजट दिया गया,3.76 करोड़ खर्च नहीं किए गए.
6. गुरुग्राम लोकसभा सीट, सांसद राव इंद्रजीत (बीजेपी)
25 करोड़ का बजट रिलीज किया गया 5.10 करोड़ की धनराशि खर्च नहींकी
7. रोहतक लोकसभा सीट, सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा (कांग्रेस)
22.50 करोड़ का बजट मिला था लेकिन 3.70 करोड़ खर्च नहीं हुए.
8. हिसार लोकसभा सीट, सांसद दुष्यंत सिंह चौटाला (इनेलो)
22.50 करोड़ का बजट दिया गया था. 3.56 करोड़ खर्च करना बाकी
9. सिरसा (आरक्षित) लोकसभा सीट, सांसद चरणजीत सिंह रौड़ी (इनेलो)
25 करोड़ का बजट दिया गया था. 4.96 करोड़ खर्च नहीं हुए.
10. अंबाला लोकसभा सीट, सांसद रतनलाल कटारिया (बीजेपी)
22.50 करोड़ की धनराशि आवंटित की गई, 5.50 करोड़ खर्च ही नहीं हुए
जिस पैसे को सांसद खर्च नहीं कर पाए ये सांसदों को एमपीलैड योजना के तहत मिलता है. इसके तहत सासंद को अपने निर्वाचन क्षेत्र में विकास के कामों को करवाने का दायित्व सौंपा जाता है. एमपीलैड की शुरुआत 1993-1994 में की गई थी. उस वक्त केंद्र में नरसिंह राव की सरकार थी.