सरकार की सिरदर्दी: एक साल में 8.51 लाख करोड़ हुआ राजकोषीय घाटा
चुनावी साल में राजकोषीय
घोटा मोदी सरकार का सबसे बड़ा सिरदर्द बन गया है. एक साल में अनुमान से करीब 134% की बढ़ोत्तरी के साथ राजकोषीय घोटा 8.51 लाख करोड़ रुपये हो गया है.
मोदी सरकार की
मौजूदा वक्त में सबसे बड़ी परेशानी राजकोषीय घाट हो गया है. क्योंकि इस सप्ताह अंतरराष्ट्रीय
मुद्राकोष के पास सुरक्षित विशेष निकासी अधिकार 7 लाख डॉलर घटकर 1.46 अरब डॉलर रह गया है और ये चिंता की बात है. केन्द्रीय
बैंक ने कहा कि आईएमएफ में देश का आरक्षित भंडार भी 15 लाख डॉलर घटकर 2.99 अरब डॉलर रह गया.
ऐसा क्यों हुआ ये समझने की जरूरत है. फरवरी 2019 के आखिर तक पूरे साल के संशोधित बजट अनुमान से ये 134.2 प्रतिशत पर पहुंच गया है यानी जो अनुमान था उससे 134 गुना ज्यादा है राजकोषीय घाटा. लेखा महानियंत्रक के आंकड़ों के अनुसार,
- अप्रैल-फरवरी, 2018-19 में राजकोषीय घाटा 8.51 लाख करोड़ रुपये रहा
- ये संशोधित बजट अनुमान 6.34 लाख करोड़ रुपये से 134.2% से ज्यादा
- आंकड़ों के अनुसार केंद्र सरकार की राजस्व प्राप्तियां 12.65 लाख करोड़ रहीं
- पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में राजस्व प्राप्तियां बजट अनुमान का 78.2% थीं
- सरकार का कर राजस्व 10.94 लाख करोड़ रुपये और गैर कर राजस्व 1.7 लाख करोड़ रुपये रहा
- 2018-19 की अवधि में सरकार का कुल खर्च 21.88 लाख करोड़ रुपये रहा
- इसमें से 19.15 लाख करोड़ रुपये राजस्व खाते का 2.73 लाख करोड़ रुपये पूंजी खाता का था
- फरवरी तक केंद्र ने राज्यों को कर में उनके हिस्से के 5.96 लाख करोड़ स्थानांतरित किए
- यह 2017-18 की समान अवधि से 67,043 करोड़ रुपये अधिक है
मुद्राकोष की क्या स्थिति है?
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार की बात करें तो लगातार तीसरे सप्ताह इसमें तेजी जारी रही. रिजर्व बैंक के आंकड़ें बताते हैं कि विदेशी मुद्रा भंडार 22 मार्च तक 1.02 अरब डॉलर बढ़कर 406.66 अरब डॉलर हो गया. विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा यानी विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां 1.03 अरब डॉलर बढ़कर 378.805 अरब डॉलर हो गईं हैं.
इससे पहले 13 अप्रैल, 2018 को ये 426.02 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया था. आरबीआई ने बता है कि समीक्षाधीन सप्ताह में देश का आरक्षित स्वर्ण भंडार 23.40 अरब डॉलर पर अपरिवर्तित रहा है. चुनावी साल में ये आंकड़े इसलिए जरूरी है क्योंकि ये देश के मुद्रा भंडार से जुड़े हैं और मौजूदा वक्त में जो हालात है वो अच्छे नहीं हैं.