चुनाव में सियासी दल कितना पैसा फूंकते हैं ये जानकर आपके होश उड़ जाएंगे !
भारत में अगले महीने से चुनाव शुरु हो जाएंगे. 17वीं लोकसभा के गठन के लिए 11 अप्रैल को पहले चरण का मतदान शुरु होगा. 7 चरण में मतदान होगा और 19 मई तक ये मतदान चलेगा. क्या आपको पता है कि इन चुनावों में कितना पैसा खर्च होगा ?
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. अगले 6 हफ्ते तक पूरा देश चुनावी मूड में रहेगा. उत्तर में हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं से लेकर दक्षिण में हिंद महासागर और पश्चिमी में थार के रेगिस्तान से लेकर पूर्व में सुंदरवन के मैंग्रोव जंगलों तक चुनाव होगा. सीएसडीएस का कहना है कि इस बार 11 अप्रैल को शुरू होकर 19 मई को संपन्न मतदान की प्रक्रिया पर 500 अरब रुपये खर्च होंगे. अमेरिका में चुनावी खर्च पर नजर रखने वाली संस्था ओपेन सीक्रेट्स डॉट ऑर्ग के मुताबिक 2016 में अमेरिका के राष्ट्रपतीय और संसदीय चुनाव में 6.5 अरब डॉलर खर्च हुए थे.
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चुनाव अरबों रुपए खर्च होंगे
आपको जानकर हैरानी होगी कि जिस देश में 60 फीसदी आबादी करीब 3 डॉलर से भी कम खर्च में गुजारा करती है वहां प्रति वोटर चुनाव में 8 डॉलर से ज्यादा खर्च आता है. अब आप सोच रहे होंगे कि ये खर्च किया कहा जाता है. तो एजेंसी बताती है कि सोशल मीडिया, यात्रा और विज्ञापनों में पैसा खर्च किया जाता है. 2014 के 2.5 अरब रुपये के मुकाबले इस बार यह खर्च 50 अरब डॉलर के स्तर को छू लेगा. ये आंकलन साक्षात्कारों, सरकारी आंकड़ों, सौंपे गए चुनावी कार्यों और अन्य अनुसंधानों पर आधारित है. आपको बता दें कि भारत में नेता प्रचार के लिए तरह तरह के तरीके अपनाते हैं और पानी की तरह पैसा बहाते हैं.
खूब पैसा उड़ाते हैं नेता
कुल 543 सीटों के लिए 8,000 से ज़्यादा उम्मीदवारों में मुकाबला होने के कारण वोटों के लिए कड़ी प्रतिस्पर्द्धा रहती है. और उम्मीदवारों मतदाताओं को लुभाने के लिए पूरी ताकत लगाते हैं. सर्वे ये भी बताता है कि नकदी, शराब, व्यक्तिगत उपयोग के सामान, उपहार ब्लेंडर्स, टेलीविजन सेट और बकरियां बांटते हैं. पिछले साल कर्नाटक में हुए चुनाव के दौरान 1.3 अरब रुपये से अधिक की बेनामी नकदी, सोना, शराब और ड्रग्स बरामद किए गए थे. नेता अपने समर्थकों को खाना खिलाने पिलाने में भी पैसा उठाते हैं. इसके अलावा डमी उम्मीदवारों पर भी पैसा खर्च होता है. डमी उम्मीदवार यानि आगे चल रहे उम्मीदवार के समान नाम वाले किसी व्यक्ति से नामांकन दाखिल करा वोटरों को भ्रमित करना और वोटों का विभाजन कराना.
कहां-कहां होता है खर्च?
डमी उम्मीदवार खड़े करने में भी पैसे लगते हैं. इंडिया टुडे की 2016 की एक रिपोर्ट के अनुसार उम्मीदवार का चुनाव खर्च 12 करोड़ रुपये से ऊपर जा सकता है. पार्टियां भी प्रति उम्मीदवार खर्च की सीमा से निबटने के लिए कई उम्मीदवार खड़े करती हैं, पर सर्वाधिक लोकप्रिय उम्मीदवार के लिए अधिकांश संसाधन लगाए जाते हैं. इसके अलावा विज्ञापनों पर भी पैसा खर्च किया जाता है. ज़ेनिथ इंडिया का कहना है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में विज्ञापनों पर 26 अरब रुपये तक खर्च किए जाएंगे. 2014 में दो मुख्य दलों के खर्चे के 12 अरब रुपये के चुनाव आयोग के आकलन के दोगुने से भी अधिक है. एक और हैरान करने वाली बात ये है कि विज्ञापनों के लिए फेसबुक पर नेताओं ने फरवरी महीने में चार करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं.