Site icon Rajniti.Online

रफाल पर सरकार के खिलाफ खबरें छापने वालों पर मुकदमा दर्ज हो सकता है

रफाल के मामले में सरकार बैकफुट पर आना नहीं चाहती और यही कारण है कि सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका पर सुनावाई शुरु होने के बाद एक बड़ा फैसला लिया जा सकता है. 8 फरवरी को द हिंदू ने नवंबर 2015 में “रक्षा मंत्रालय नोट” का हवाला देते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि मंत्रालय ने रफाल सौदे में पीएमओ ने फ्रांस के साथ समानांतर बातचीत पर कड़ी आपत्ति जताई थी लेकिन पीएमओ नहीं माना.

ये भी पढ़े:

सुप्रीम कोर्ट में 6 मार्च, 2019 को एटार्नी जनरल ने बताया कि राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद से जुड़े दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से चोरी हो गए हैं. एटार्नी जनरल ने ये भी बताया कि सरकारी गोपनीयता कानून के तहत उन दो प्रकाशनों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है जिन्होंने चोरी हुए दस्तावेजों के आधार पर रिपोर्ट को प्रकाशित की थी. इतना ही नहीं सरकार की कार्रवाई की जद में सरकारी गोपनीयता कानून के तहत मशहूर वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ भी कार्रवाई करने की बात कही जा रही है.

अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने तीन न्यायाधीशों की बेंच जिसमें  भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और जस्टिस एसके कौल और केएम जोसेफ के सामने ये दलील पेश की हैं. उन्होंने साफ साफ कहा कि द हिंदू और न्यूज एजेंसी एएनआई के पास चोरी हुए दस्तावेज हैं. और इनपर कार्रवाई की जाएगी.

https://www.youtube.com/watch?v=kJoImClyBn0

आपको बता दें कि यह पीठ रफाल सौदे से जुड़ी हुई पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने पहले रफाल से जुड़ी हुई सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था लेकिन 14 दिसंबर, 2018 के फैसले पर पुर्निवचार के लिए पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरूण शौरी और मशहूर वकील प्रशांत भूषण की याचिकाओं पर सुनवाई शुरु की थी.

Exit mobile version